भारतीय टीम के लिए टेस्ट डेब्यू 'क्रिकेट का मक्का' कहे जाने वाले लॉर्ड्स पर... आगाज इतना बेहतरीन कि पहले टेस्ट में शतक के बाद अगले टेस्ट में भी शतक जड़ा और जब कप्तानी मिली तो देश को जीतने की आदत डाल दी, वो भी ऐसी 'दादागीरी' के साथ कि जिसे देख क्रिकेट की दुनिया दंग रह गई. जी हां! बात हो रही है 'प्रिंस ऑफ कोलकाता', 'बंगाल टाइगर', 'ऑफ साइड के भगवान' जैसे नामों से पहचाने जाने वाले सौरव गांगुली की. भारतीय फैन्स के चहते 'दादा' आज (8 जुलाई) 51 साल के हो गए.
'दादा' की कप्तानी में भारतीय टीम ने नई ऊंचाइयों को हासिल किया. वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, युवराज सिंह जैसे स्टार क्रिकेटर्स के करियर को संवारने में गांगुली का अहम रोल रहा. यहां तक कि महेंद्र सिंह धोनी ने भी गांगुली की कप्तानी में ही भारत के लिए अपना डेब्यू किया था. गांगुली ऐसे कप्तान के रूप में याद किए जाते हैं जिन्होंने अपनी टीम को लड़कर जीतना सिखाया.
...जब गांगुली ने लॉर्ड्स में अंग्रेजों से लिया बदला!
गांगुली की 'दादागीरी' की किस्से आज भी फैन्स के जेहन में हैं. 13 जुलाई 2002 को इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह की जादुई पारी के दम पर भारत ने फाइनल मैच में इंग्लैंड को हराकर नेटवेस्ट सीरीज पर कब्जा किया था. तब लॉर्ड्स की बालकनी में गांगुली ने अपनी टी-शर्ट उतारी और ऐसे लहराई कि यह वाकया इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.
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गांगुली ने शर्ट लहरकार तब अंग्रेज क्रिकेटर एंड्रयू फ्लिंटॉफ को जवाब दिया था. फ्लिंटॉफ ने उसी साल फरवरी (3 फरवरी 2002) में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत पर जीत के बाद अपनी शर्ट निकालकर मैदान में दौड़ लगाई थी. और अब 'दादा' की बारी थी. बदला चुकाने का लॉर्ड्स से बड़ी जगह और कुछ नहीं हो सकती थी. और उन्होंने बालकनी से शर्ट लहराकर वानखेड़े का बदला लिया.
हालांकि सौरव गांगुली ने 2018 में प्रकाशित अपनी किताब (ए सेंचुरी इज नॉट एनफ) में लिखा, 'फाइनल मैच में जीत को लेकर टीम काफी उत्साहित थी और जहीर खान के विनिंग शॉट लगाते ही मैं अपने आपको रोक नहीं सका.' गांगुली ने माना कि जीतने के बाद शर्ट उतारकर सेलिब्रेट करना सही नहीं था. जीत का जश्न मनाने के लिए और भी कई तरीके थे.
स्टीव वॉ को टॉस के लिए कराया इंतजार
सौरव गांगुली मैदान में लेट आने के लिए जाने जाते थे. साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज में गांगुली ने स्टीव वॉ को 'दिन में तारे' दिखा दिए थे. कोलकाता के ईडन गार्डन्स में हुए ऐतिहासिक टेस्ट मैच के पहले दिन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ टॉस के लिए समय से पहले आ गए, लेकिन दादा का इंतजार होता रहा. दादा थोड़ा लेट पहुंचे क्योंकि उनका ब्लेजर खो गया था, जिसे खोजने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. गागुली टॉस के लिए देरी से पहुंचे तो उस दौरान स्टीव वॉ काफी गुस्साए हुए थे.
ऑस्ट्रेलिया टीम का रुक गया था विजयरथ
भारतीय टीम ने उस कोलकाता टेस्ट मैच में फॉलोऑन खेलने के बावजूद जीत हासिल की थी. यादगार जीत के साथ ही भारत ने ऑस्ट्रेलियाई टीम का विजयरथ रोक दिया था. उस मुकाबले से पहले ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 16 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की थी. खास बात यह है कि चेन्नई में खेले गए सीरीज के तीसरे मैच में भी टॉस के लिए सौरव गांगुली थोड़ा लेट पहुंचे थे. इस बार भी स्टीव वॉ का गुस्सा देखने लायक रहा था.
ऐसा रहा गांगुली का इंटरनेशनल करियर
बएं हाथ के बल्लेबाजी और दाएं हाथ से गेंदबाजी करने वाले सौरव गांगुली ने भारत के लिए 113 टेस्ट और 311 वनडे इंटरनेशनल मुकाबले खेले. बाएं हाथ के स्टाइलिश बल्लेबाज सौरव गांगुली ने टेस्ट मैचों में 42.17 की औसत से 7212 रन बनाए, जिनमें 16 शतक और 35 अर्धशतक शामिल रहे. वनडे इंटरनेशनल में गांगुली के नाम पर 41.02 की औसत से 11363 रन दर्ज हैं. वनडे इंटरनेशनल में गांगुली के बैट से 22 शतक और 72 अर्धशतक निकले. गेंदबाजी की बात करें तो गांगुली ने इंटरनेशनल क्रिकेट में 132 विकेट लिए.
सौरव गांगुली ने 49 टेस्ट और 147 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी की. गांगुली ने भारतीय टीम को ऐसे मुकाम पर पहुंचाया ,जो देश के बाहर भी जीतना जानती थी. गांगुली की कप्तानी में ही टीम इंडिया 2003 में वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंची थी. वहीं, 2002 की चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत संयुक्त विजेता रही थी. गांगुली ने 2019-22 के दौरान बीसीसीआई के अध्य़क्ष पद का भी कार्यभार संभाला.