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टीम इंडिया के 'संकटमोचक' सुरेश रैना को जन्मदिन मुबारक

एक समय था जब भारत में क्रिकेट बड़े शहरों तक ही सिमटा हुआ था. वजह चाहे जो भी हो लेकिन सच्चाई यही है कि क्रिकेट के अधिकतर नाम बड़े शहरों से ही आया करते थे. लेकिन वक्त बदला और धीरे-धीरे छोटे शहरों से टीम इंडिया को स्टार क्रिकेटर मिलने लगे.

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एक समय था जब भारत में क्रिकेट बड़े शहरों तक ही सिमटा हुआ था. वजह चाहे जो भी हो लेकिन सच्चाई यही है कि क्रिकेट के अधिकतर नाम बड़े शहरों से ही आया करते थे. लेकिन वक्त बदला और धीरे-धीरे छोटे शहरों से टीम इंडिया को स्टार क्रिकेटर मिलने लगे. आज ऐसे ही एक क्रिकेटर का जन्मदिन है, जो आए तो छोटे शहर से लेकिन कारनामे बड़े कर दिखाए. नाम है उनका सुरेश रैना.

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सुरेश रैना ने जिस समय अपने करियर की शुरुआत की उस समय टीम इंडिया में जगह बनाना कोई आसान काम नहीं था. ये वो दौर था जब सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ और महेंद्र सिंह धोनी टीम के नियमित खिलाड़ी हुआ करते थे. रैना ने 2005 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे में डेब्यू किया लेकिन वे पहली ही गेंद में बिना रन बनाए आउट हो गए. 2005 का साल रैना के लिए कोई खास नहीं रहा और उन्होंने उस साल 8 मैचों की 5 पारियों में मात्र 89 रन बनाए.

...और तब आया पहला मौका जब रैना ने बताया कि वो कितने खतरनाक हैं
दिनः 31 मार्च 2006, मैचः भारत बनाम इंग्लैंड और जगहः नाहर सिंह स्टेडियम फरीदाबाद. पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने भारत के सामने 227 रनों का लक्ष्य रखा. लेकिन मात्र 92 रन पर आधी टीम इंडिया पवेलियन लौट चुकी थी. तभी 18 साल के सुरेश रैना ने नाबद 81 रनों की आकर्षक पारी खेल कर भारत को जीत दिला दी. ये पहला मौका था जब रैना ने बताया कि वो किस कद के खिलाड़ी हैं.

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फरीदाबाद में खेली गई मैच जिताऊ पारी के बाद रैना नियमित रूप से टीम इंडिया का हिस्सा बन गए. रैना उन खिलाड़ियों में हैं, जिन्होंने टीम हित के लिए किसी भी क्रम पर खेलने से कभी मना नहीं किया. हालांकि शुरुआत से ही रैना को ज्यादातर निचले क्रम में ही बल्लेबाजी करने का मौका मिला. लेकिन उन्होंने हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और कुछ ऐतिहासिक पारियां भी खेली.

कोच गैरी कर्स्टन ने कहा था रैना की वजह से जीते वर्ल्ड कप
2011 का वर्ल्ड कप भारत ने सिर्फ युवराज सिंह के ऑलराउंड प्रदर्शन, विराट कोहली, तेंदुलकर, सहवाग, गौतम गंभीर, धोनी की बल्लेबाजी, जहीर, मुनफ और हरभजन की गेंदबाजी के दम पर नहीं जीता. बल्कि हकीकत ये है कि रैना ने वर्ल्ड कप जीत में वो किरदार निभाया था जो कभी भूला नहीं जा सकता. टूर्नामेंट के शुरुआत में रैना को प्लेइंग एलेवेन में जगह ही नहीं मिली, यूसुफ पठान उनकी जगह खेले. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में अचानक धोनी ने पठान को ड्रॉप करके रैना को टीम में शामिल कर लिया.

ये चयन भारत के लिए बहुत सही साबित हुआ और रैना ने बहुत ही नाजुक मौके पर नाबाद 34 रनों की पारी खेलकर भारत को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया. सेमीफाइनल में रैना ने पाकिस्तान के खिलाफ एक हाई वोल्टेज मैच में 36 रनों की नाबाद पारी खेलकर टीम इंडिया की जीत में अहम किरदार निभाया. इन दो पारियों को पूर्व कोच गैरी कर्स्टन भारत के लिए टर्निंग प्वाइंट मानते हैं. उन्होंने कहा था कि टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप रैना की वजह से जीता.

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टेस्ट में डेब्यू के लिए करना पड़ा 5 साल का लंबा इंतजार
वनडे टीम में जगह पक्की करने के बावजूद भी रैना को टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू के लिए 5 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने सौरव गांगुली की तरह अपने पहले टेस्ट मैच में शतक के साथ एंट्री की. डेब्यू टेस्ट में शतक बनाने वाले रैना भारत के 12वें बल्लेबाज थे. पहले टेस्ट के शतक की गूंज ऐसी थी कि लगा टीम इंडिया को दादा का रिप्लेसमेंट मिल गया. लेकिन रैना टेस्ट क्रिकेट में वो कारनामा न कर पाए जो उन्होंने वनडे में किया है.

IPL में खूब दिखता है रैना का जलवा..
सुरेश रैना ने IPL में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए लगातार शानदार प्रदर्शन किया है. IPL में सबसे ज्यादा (3325) रन सुरेश रैना के नाम दर्ज है. सबसे ज्यादा (24) अर्धशतक सुरेश रैना ने ही जड़े हैं. सबसे जायद छक्के लगाने के मामले में रैना क्रिस गेल के बाद दूसरे नंबर पर हैं. ऐसे ही न जाने कितने रिकॉर्ड्स इस खिलाड़ी ने अपने नाम कर रखे हैं.

कुछ खास बातें:
विराट कोहली और आर अश्विन ने सुरेश रैना की कप्तानी में अपना पहला टी-20 मैच खेला.

रैना भारत के एक मात्र ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने टेस्ट, वनडे और टी-20 में टीम इंडिया की तरफ से शतक ठोका है.

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