श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में खराब प्रदर्शन से हरभजन सिंह दबाव में आ गए हैं और भारत के पूर्व स्पिनर वेंकटपति राजू का मानना है कि यह अनुभवी आफ स्पिनर वापसी में अपनी उपयोगिता साबित करने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने के चक्कर में फ्लॉप रहा. स्पिनरों के दबदबे वाले मैच में हरभजन ने 25 ओवरों में सिर्फ एक विकेट लिया.
राजू ने कहा, ‘अपने एक्शन में सुधार के दौरान हरभजन रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया से गुजरा. फिर वह टीम से बाहर था और अब उसने वापसी की है लिहाजा उसने अतिरिक्त प्रयास किया. अनुभव के मामले में कोई कमी नहीं है और उसे बखूबी पता है कि किन हालात में कैसे खेलना है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन समस्या यह है कि जब आप वापसी करते हैं तो आप खुद को साबित करने की कोशिश करते हैं. आप अतिरिक्त प्रयास करते हैं जो कई बार कारगर साबित नहीं होते.’
श्रीलंका में 22 साल पहले टेस्ट सीरीज जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे राजू ने कहा कि तीन स्पिनरों की रणनीति तभी कामयाब होती है जब स्कोर अच्छा हो. उन्होंने कहा, ‘जब भारत तीन स्पिनरों के साथ उतरता था तब वीरेंद्र सहवाग जैसे बल्लेबाज थे जो काफी रन बनाते थे. 400 का स्कोर हमेशा मददगार होता है. इसके अलावा हरफनमौला गेंदबाज भी टीम में थे. अभी यह युवा टीम है जो अनुभव के साथ बेहतर होगी.’
श्रीलंकाई जीत के नायक रंगाना हेराथ और थारिंडू कौशल की तारीफ करते हुए राजू ने कहा कि दोनों को घरेलू पिच पर खेलने का फायदा मिला. उन्होंने कहा, ‘रंगाना हेराथ और थारिंडू कौशल ने आपसी तालमेल के साथ घरेलू हालात का फायदा उठाते हुए गेंदबाजी की. स्पिनरों की श्रीलंका की रणनीति कामयाब रही लेकिन बल्लेबाजों ने भी रन बनाए थे.’
राजू ने यह भी कहा कि अनुकूल पिचों पर घरेलू क्रिकेट के अभाव से भारतीय खिलाड़ियों और खासकर स्पिनरों के विकास पर असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘भारत विदेश में काफी क्रिकेट खेल रहा है और खिलाड़ियों को घरेलू मैच खेलने का समय ही नहीं मिल पाता. इसके अलावा भारत में भी आईपीएल जैसे टूर्नामेंटों से उनका कार्यक्रम काफी व्यस्त रहता है. इससे उन पिचों पर राज्य के खिलाड़ी ही खेलते हैं और अपना खेल निखारते हैं.’
इनपुटः भाषा