टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने कहा है कि टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सबको हैरान करने वाले महेंद्र सिंह धोनी को ऐसे कप्तान के रूप में जाना जाएगा जिन्होंने उदाहरण पेश करते हुए टीम की अगुआई की और सिर्फ बातों पर ध्यान नहीं दिया.
द्रविड़ ने कहा, ‘वह ऐसा कप्तान है जिसके नेतृत्व में खेलने में मुझे मजा आया.’ उन्होंने कहा, ‘धोनी के बारे में एक चीज जो मुझे पसंद है वह यह है कि आपको जो दिखता है वही मिलेगा. कोई जटिलता नहीं, हमेशा उदारण के साथ अगुआई की. धोनी के नेतृत्व में खेलने की एक चीज जो मुझे सबसे अच्छी लगती थी वह यह थी कि वह आपको कभी ऐसी चीज करने के लिए नहीं कहता था जो वह खुद नहीं कर सकता था.’
आस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में ड्रॉ समाप्त हुए तीसरे टेस्ट के बाद धोनी ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया. धोनी ने हालांकि मैच के खत्म होने के बाद भी संन्यास लेने का कोई संकेत नहीं दिया था.
द्रविड़ ने कहा, ‘वास्तविकता यह है कि उसकी मौजूदगी में सीनियर समूह बदलाव के दौर से गुजर रहा था और युवा खिलाड़ी आ रहे थे. वह कप्तान के रूप में काफी बात नहीं करता और अपने काम से आपका सम्मान जीतने की कोशिश करता है. वह कभी पीछे नहीं हटता और उदाहरण के साथ अगुआई करता है और ज्यादा बोलने में विश्वास नहीं करता.’
द्रविड़ ने कहा कि धोनी को छोटे शहरों के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत होने का श्रेय जाता है. पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘रांची जैसे छोटे शहर से आकर भारत की कप्तानी करना और 90 टेस्ट मैच खेलना. मुझे लगता है कि उसने कप्तानी के काम को और सम्मानित बना दिया.’ द्रविड़ ने कहा कि धोनी के संन्यास की घोषणा से वह भी स्तब्ध थे. उन्होंने कहा कि अगर भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मौजूदा सीरीज गंवाई नहीं होती तो शायद धोनी अपने करियर पर फैसला करने में और समय लेते.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि इसकी उम्मीद नहीं थी कि वह सीरीज के बीच में ऐसा करेगा. मुझे उम्मीद थी कि वह सीरीज के अंत में समीक्षा करेगा क्योंकि भारत को अगले सात या आठ महीने तक टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलना.’ द्रविड़ ने कहा, ‘जहां तक मैं धोनी को जानता हूं अगर सीरीज हारी नहीं होती तो मुझे नहीं लगता कि वह बीच में ऐसा फैसला करता.’ द्रविड़ ने धोनी की कप्तानी शैली की तारीफ की और उन्हें आक्रामक कप्तान करार दिया.
उन्होंने कहा, ‘भारत की कप्तानी करते हुए वह कभी रक्षात्मक नहीं हुआ. स्पिनरों के साथ वह हमेशा आक्रमण करता था, स्पिन की अनुकूल पिचों पर वह हमेशा नतीजा हासिल करने की कोशिश करता था. विदेशों में पिछले तीन या चार साल में उसे लगा कि शायद उसके पास ऐसे संसाधन नहीं हैं कि 20 विकेट चटकाए जा सकें.’