ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच क्रिकेट मैदान पर विवादों का इतिहास बहुत पुराना है. तीन दशक पहले मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर भी ऐसा ही कुछ हुआ था जब सुनील गावस्कर ने गुस्से में मैच का बहिष्कार करने वाले थे. 33 साल बाद गावस्कर ने माना है कि उनका तरीका गलत था. Ind vs Aus: क्रिकेट मैदान पर विवादों का इतिहास
पूर्व कप्तान गावस्कर ने विरोध जताने के अपने तरीके पर शनिवार को दुख जताया और कहा कि यह उनकी तरफ से बहुत बड़ी गलती थी. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1981 की सीरीज खराब अंपायरिंग के कारण प्रभावित रही.
क्या था पूरा मामला...
डेनिस लिली की इनकटर पर अपने तीसरे टेस्ट मैच में अंपायरिंग कर रहे रेक्स वाइटहेड ने गावस्कर को एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया. गावस्कर का मानना था कि गेंद उनके बल्ले को छूकर पैड पर लगी. वह क्रीज से नहीं हटे और उन्होंने अपना विरोध जताया. गावस्कर ने अपना बल्ला पैड पर पटका ताकि अंपायर उनकी नाराजगी को समझ सकें. गावस्कर जब बेमन से पवेलियन लौट रहे थे तभी लिली ने कोई टिप्पणी कर दी जिससे बात बिगड़ गई.
गावस्कर वापस आए और उन्होंने साथी सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान को भी क्रीज छोड़ने की हिदायत दे डाली. चौहान ने वही किया जो कप्तान ने उन्हें कहा लेकिन बाउंड्री लाइन पर टीम मैनेजर शाहिद दुर्रानी और सहायक मैनेजर बापू नाडकर्णी ने उन्हें रोक दिया.
चौहान वापस अपनी पारी आगे बढ़ाने के लिए क्रीज पर आ गए जबकि गावस्कर पवेलियन लौट गए. गावस्कर ने कहा, ‘मुझे उस फैसले पर दुख है. वह मेरी तरफ से बड़ी गलती थी. भारतीय कप्तान होने के नाते मुझे उस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए था. मैं किसी भी तरह से अपनी हरकत को सही साबित नहीं कर सकता. मैं आउट था या नहीं, मुझे उस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए था.’
'आज ऐसा किया होता, तो लग जाता जुर्माना'
गावस्कर ने आगे कहा, ‘अगर आज के जमाने में ऐसी घटना घटी होती तो मुझ पर जुर्माना लग जाता.’ कपिल देव उस समय काफी युवा थे और उनका यह केवल दूसरा विदेशी दौरा था. उन्होंने 28 रन देकर पांच विकेट लिए और ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 83 रन पर ढेर करने में अहम भूमिका निभाई. भारत इससे तीन मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर करने में सफल रहा था.
कपिल बोले, 'हम कप्तान के साथ थे'
कपिल ने उस घटना के बारे में कहा कि तब टीम गावस्कर के साथ थी. उन्होंने कहा, ‘मैं तब काफी युवा था और किसी तरह की प्रतिक्रिया करने की स्थिति में नहीं था. लेकिन मैं एक बात कह सकता हूं कि हम सभी अपने कप्तान के साथ थे. चाहे वह सही थे या गलत हम अपने कप्तान का साथ दे रहे थे. वह (गावस्कर) अब यहां बैठकर कह सकते हैं कि वह गलत थे लेकिन उस समय हम सब उनके साथ थे.’
इनपुट भाषा से