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पूर्व बॉलर मखाया एंटनी ने किया खुलासा- उन्हें क्यों दौड़ना पड़ता था टीम बस के पीछे

पूर्व तेज गेंदबाज मखाया एंटनी ने दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ अपने समय को याद करते हुए कहा कि वह नस्लवाद का शिकार रहे और हमेशा खुद को अकेला महसूस करते थे.

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Makhaya Ntini (AP)
Makhaya Ntini (AP)

पूर्व तेज गेंदबाज मखाया एंटनी ने दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ अपने समय को याद करते हुए कहा कि वह नस्लवाद का शिकार रहे और हमेशा खुद को ‘अकेला महसूस’ करते थे. उन्होंने टीम के तत्कालीन खिलाड़ियों पर आरोप लगाया कि वे उन्हें अलग रखते थे. अमेरिका में अफ्रीकी मूल के जॉर्ज फ्लॉयड की एक श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों मौत के बाद विश्व भर में चल रहे ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ (अश्वेत जीवन भी मायने रखता है) आंदोलन के तहत उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया.

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'नाश्ते के कमरे कोई भी मेरे साथ नहीं बैठता था'

दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट में 390 और वनडे में 266 विकेट लेने वाले 43 साल के इस पूर्व खिलाड़ी ने शॉन पोलॉक, जैक कैलिस, मार्क बाउचर और लांस क्लूजनर जैसे दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया है. एंटनी दक्षिण अफ्रीका के उन 30 खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ के समर्थन में आवाज उठाई है. उन्होंने ‘दक्षिण अफ्रीकी प्रसारण निगम’ से कहा, ‘उस समय मैं हमेशा अकेले था.’ उन्होंने कहा, ‘खाना खाने के लिए जाते समय कोई भी मुझे साथ नहीं ले जाता था. टीम के साथी खिलाड़ी मेरे सामने योजना बनाते थे, लेकिन उस में मुझे शामिल नहीं करते थे. नाश्ते के कमरे कोई भी मेरे साथ नहीं बैठता था.’

इस वजह से वह टीम बस में जाने से बचते थे

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उन्होंने कहा, ‘हम एक जैसी वर्दी पहनते हैं और एक ही राष्ट्रगान गाते हैं, लेकिन मुझे इन सब (अलगाव) से निपटना पड़ा.’ एंटनी ने कहा कि अलगाववाद से छुटकारा पाने के लिए वह टीम बस से जाने से बचते थे और बस के पीछे दौड़ते थे. उन्होंने कहा, ‘मैं बस के ड्राइवर को अपना बैग देकर मैदान तक बस के पीछे-पीछे दौड़ता था, वापसी में भी मैं ऐसा ही करता था.’

उन्होंने कहा, ‘लोगों ने कभी यह नहीं समझा कि मैं ऐसा क्यों करता था. मैंने भी उन्हें कभी नहीं बताया कि मैं क्या करने की कोशिश कर रहा था. मेरे लिए यह अच्छा था क्योंकि इससे मैं किसी का सामना करने से बचता था.’

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उन्होंने कहा, ‘मैं एकांतवास से दूर भागने की कोशिश करता था. बस में अगर मैं पीछे बैठता था तो वे आगे बैठ जाते थे. जब भी हम जीतते थे तो माहौल खुशनुमा होता था, लेकिन हारने के बाद ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ा जाता था.’

'बेटे थांडो ने भी नस्लवाद का सामना किया है'

एंटनी ने कहा कि उनके बेटे थांडो ने भी नस्लवाद का सामना किया है. उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे थांडो ने भी यह अनुभव किया है, उसे अंडर-19 विश्व कप के शिविर में जाने से लगभग रोक दिया गया था. एंटनी के अलावा दक्षिण अफ्रीका के 30 खिलाड़ियों ने साथ मिलकर बीएलएम आंदोलन के समर्थन में हस्ताक्षर करते हुए बयान जारी किया था कि देश में नस्लवाद खेल का हिस्सा है. दक्षिण अफ्रीका क्रिकेटर्स संघ और क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने भी ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के पक्ष में बयान दिए हैं.

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