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कैसे विकेटकीपर बने शानदार बल्लेबाज, वर्ल्ड कप में कैसा रहा उनका योगदान?

रहीम की तरह, इंग्लैंड के जोस बटलर, ऑस्ट्रेलिया के एलेक्स कैरी और महेंद्र सिंह धोनी जैसे विकेटकीपर हैं जो अपनी टीम के लिए इस वर्ल्ड कप में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

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MS Dhoni
MS Dhoni

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बांग्लादेश के विकेटकीपर बल्लेबाज मुश्फिकुर रहीम इस बार विश्व कप के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में शामिल हैं, 6 मैचों में वो 300 से ज्यादा रन जोड़ चुके हैं, जिनमें एक शतक और 2 अर्धशतक शामिल हैं. रहीम के 78 रन और शाकिब उल हसन के साथ 142 रन की साझेदारी की बदौलत बांग्लादेश ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने पहले ही मैच में एतिहासिक जीत दर्ज की थी.

रहीम की तरह, इंग्लैंड के जोस बटलर, ऑस्ट्रेलिया के एलेक्स कैरी और महेंद्र सिंह धोनी जैसे विकेटकीपर हैं जो अपनी टीम के लिए इस वर्ल्ड कप में अहम भूमिका निभा रहे हैं. एक वक्त था जब विकेटकीपर को सिर्फ स्टंप के पीछे गेंद पकड़ने के लिए रखा जाता था उनसे टीम को कुछ उम्मीद भी नहीं होती थी. वो 8 वीं या 9 वीं पोजिशन पर खेलते थे और टीम के स्कोर में कुछ मदद भी नहीं करते थे . 90 के दशक में तो तमिलनाडु के विकेटकीपर 11 वें नंबर पर आते थे, वो भी गेंदबाजों के बाद.

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1976 से 86 तक एकदिवसीय मैचों में भारत के विकेटकीपर सैयद किरमनी 8वें विकेट या उसके बाद ही खेलने आते थे, उन्होंने 11 वें नंबर पर भी बल्लेबाजी की है. इसी तरह स्टार विकेटकीपर नयन मोगिया ने भी भारत के लिए 1994 से 2000 के बीच 140 वनडे खेले लेकिन वो ज्यादातर 7वें या 8वें नंबर पर बैटिंग करते थे, मगर अब वक्त बदल गया है, अब विकेटकीपर न सिर्फ अपने दस्तानों से टीम को मजबूती देते हैं बल्कि अब कीपर अपने बल्ले से भी टीम में योगदान दे रहे हैं.

क्रिकेट डाटा के जानकार और मैनेजमेंट कंसल्टेंट कार्तिक एस ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि कैसे विकेटकीपर बल्लेबाजी के क्रम में ऊपर चढ़ते जा रहे हैं. यहां पता चलता है कि जिंब्बावे, श्रीलंका और इंग्लैंड ने सबसे पहले पहल की थी. आपके रमेश कालुविर्तना याद हैं? 1990-2004 तक वो श्रीलंका के विकेटकीपर थे और 6ठें या 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आते थे.

1996 में उनकी जिंदगी बदल गई जब उन्हें विस्फोटक बल्लेबाज सनथ जयसूर्या के साथ ओपनिंग मिली. यहीं से पहले 15 ओवर में ओपनिंग का अंदाज बदला और श्रीलंका के विश्व चैंपियन बनने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके बाद से ही विश्व क्रिकेट में विकेटकीपर का रोल बदल गया सभी टीमों ने विकेटकीपर के तौर पर मजबूत बल्लेबाजों का चुनाव किया और ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी का मौका दिया.

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इसके बाद  दुनिया ने चुनिंदा विकेटकीपर बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट ( ऑस्ट्रेलिया), कुमार संगकारा (श्रीलंका), मार्क बाउचर और ए बी डिविलियर्स ( दक्षिण अफ्रीका), एंडी फ्लावर( जिंबाव्वे)  और एम एस का खेल देखा. इंडिया टुडे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट ने सभी टीमों के 1 से 7 नंबर के बल्लेबाजों का बैटिंग औसत और विकेटकीपर के बैटिंग औसत की तुलना की. इसमें पता चला कि न सिर्फ वो ऊपर खेल रहे हैं बल्कि टॉप ऑर्डर की तरह रन भी बना रहे हैं.

इस बार विश्व कप में 4 टीमों के लिए विकेटकीपर ओपनिंग कर रहे हैं वहीं बाकी 6 टीमों के लिए विकेटकीपर 4 या उससे पहले ही बैटिंग करने मैदान में उतर जाते हैं. कुल मिलाकर विकेटकीपरों ने इस विश्व कप में 2000 से ज्यादा रन बनाये हैं और उनका औसत 36.1 का रहा, जो 1 से 7वें नंबर तक के बल्लेबाजों की औसत के लगभग बराबर है.

1979 विश्व कप में विकेटकीपरों का औसत सिर्फ 10 रनों का था जबकि टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों ने 28 के औसत से रन बनाये थे. लेकिन पिछले कुछ साल में ये अंतर घटा और पिछले कुछ विश्व कपों ( 2003, 2011,2015) में तो ये आंकड़ा सभी बल्लेबाजों के औसत आंकड़े को भी पार कर गया, इसलिए किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए कि विश्व कप के टॉप 10 बल्लेबाजों में तीन विकेटकीपर हैं संघकारा, डिविलियर्स और गिलक्रिस्ट.

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