34वें की आखिरी गेंद तक ऑस्ट्रेलिया ने 1 विकेट पर 197 रन बना लिए थे. इस समय पर स्टीव स्मिथ 105 रन और एरॉन फिंच 73 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद थे. जाने-अनजाने में 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल की यादें हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी को परेशान करने लगी थी. लेकिन 35वें ओवर की पहली गेंद के बाद अचानक ही पूरा नजारा बदल गया. एक समय जो ऑस्ट्रेलिया 350 रन का स्कोर पर बनाती दिख रही थी अचानक ही उसकी पारी पर विकेटों का अंकुश लग गया.
34.1 ओवर- उमेश यादव ने बाउंसर फेंका, इस गेंद को हुक करने के चक्कर में स्टीव स्मिथ फंस गए. गेंद बल्ले का टॉप एज लेकर डीप स्कावयर लेग की तरफ चली गई. इस कैच को रोहित शर्मा ने पकड़ा.
37.3 ओवर- मैक्सवेल ने 13 गेंदों में तूफानी 23 रन बना लिए थे. वे बेहद ही विध्वंसक नजर आ रहे थे. लेकिन तेजी से रन बनाने के चक्कर में मैक्सवेल ने आर अश्विन की गेंद को स्वीप किया. लेकिन शॉट हवाई थी और गेंद सीधे अजिंक्य रहाणे के हाथों में चली गई .
38.2 ओवर- अब बारी उमेश यादव की थी. उन्होंने क्रीज पर डटे एरॉन फिंच को अपना शिकार बनाया. उमेश यादव ने शॉर्ट बॉल फेंकी, गेंद तेजी से आई और फिंच मिसटाइम कर गए. शिखर धवन ने मिड विकेट पर उनका कैच लपक लिया.
42.1 ओवर- माइकल क्लार्क पारी को संभालने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन मोहित शर्मा की शॉर्ट गेंद पर वह भी फंस गए. मिडविकेट के ऊपर से गेंद मारने के चक्कर में वह सीधे रोहित शर्मा के हाथों में कैच दे बैठे.