एडिलेड में पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने 76 रनों की बड़ी जीत दर्ज की. इसके साथ ही क्रिकेट वर्ल्ड कप में अब तक पड़ोसी मुल्क पर टीम इंडिया का सभी मैच जीतने का रिकॉर्ड बरकरार रहा.
पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत का 'सिक्सर'
इस मैच में भारत ने हर डिपार्टमेंट में पाकिस्तान को मात दिया. गेंदबाजी को पाकिस्तान का मजबूत पक्ष बताया जा रहा था, पर विराट कोहली, सुरेश रैना और शिखर धवन ने इसकी जमकर खबर ली. पहले टॉस जीतकर बल्लेबाजी करते हुए 300 का आंकड़ा छुआ. इसके बाद मोहम्मद शमी के नेतृत्व में गेंदबाजों ने पाक टीम को कभी भी मैच में टक्कर देने का मौका ही नहीं दिया.
वर्ल्ड कप में पाक के खिलाफ यह जीत का सिक्सर है. आइए नजर डालते हैं मुख्य 6 कारणों पर...
1. दबाव ले डूबा पाकिस्तान को
पाकिस्तान ने वर्ल्ड कप में भारत को आज तक नहीं हराया था. इसका दबाव पाक टीम के खिलाड़ियों पर पूरे मैच में दिखा. चाहे गेंदबाजी हो या फिर बल्लेबाजी, दबाव के कारण पाकिस्तानी टीम के खेल में धार नहीं नजर आई. इसकी शुरुआत टॉस से हो गई थी. सपाट पिच पर धोनी ने जैसे ही टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया, पाकिस्तान पूरी तरह से दबाव में आ गया. भारतीय बल्लेबाजों ने भी आत्मविश्वास भरा खेल दिखाया. शुरुआत में बड़े मैच के प्रेशर को झेला और जैसे ही लय में आए, पाकिस्तानी टीम पर आक्रमण कर दिया. हालांकि भारतीय पारी के अंत में पाकिस्तानी गेंदबाजी लय में जरूर दिखी, पर यह मैच जिताने के लिए नाकाफी था. कुछ ऐसा ही हाल बल्लेबाजी का था. 301 रनों के विशालकाय लक्ष्य के सामने पाक बल्लेबाज खुलकर खेल नहीं पा रहे थे. इसकी मुख्य वजह भारतीय गेंदबाजों की सटीक गेंदबाजी थी. बॉलरों ने पाकिस्तान को एक-एक रन के लिए तरसाया. नतीजा ये रहा कि उसके बल्लेबाज दबाव में विकेट फेंकते रहे.
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2. विराट कोहली, शिखर धवन और सुरेश रैना
कोहली का फॉर्म खराब है, पता नहीं... शिखर धवन को टीम में क्यों रखते हैं? सुरेश रैना तो बस आईपीएल में चलते हैं. इन सारी आलोचनाओं का जवाब एक ही मैच में मिल गया. कोहली ने शतकीय पारी खेल भारतीय क्रिकेट फैन्स के दिल को ठंडक पहुंचाई. धवन ने अपनी सधी हुई पारी से बता दिया वे टीम के लिए क्यों जरूरी हैं. और रैना ने एक बार बता दिया कि उनका बल्ला कुछ दिनों से खामोश था, पर वे बल्लेबाजी करना भूले नहीं है. इस तिकड़ी ने पाकिस्तान की गेंदबाजी में जबरदस्त सेंधमारी की. तीनों ने मिलकर भारतीय टीम के स्कोर में 254 रन का योगदान किया. 34 रन पर पहला विकेट गिरने के बाद कोहली ने पहले धवन के साथ मिलकर पारी को संभाला, इसके बाद रैना के साथ पार्टनरशिप में तेजी से रन बनाए.
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3. रफ्तार ने दिखाया दम
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जिन तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन ने भारतीय क्रिकेट फैन्स को सबसे ज्यादा मायूस किया, वे पाकिस्तान के खिलाफ दूसरे रंग में ही नजर आए. मैदान पर ऐसा जादू बिखेरा कि बॉलिंग कार्ड का नजारा ही बदल गया. मोहम्मद शमी ने आगे बढ़कर जिम्मेदारी ली और उमेश यादव व मोहित शर्मा ने भी उनका खूब साथ दिया. मोहम्मद शमी ने अपने 9 ओवर में सिर्फ 35 रन खर्चकर 4 विकेट झटके. मोहित शर्मा भी कंजूस निकले. उन्होंने 9 ओवर में सिर्फ 35 रन खर्चकर 2 विकेट झटके. और उमेश यादव ने एक ही ओवर में दो विकेट झटककर पाकिस्तानी मध्यक्रम बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी.
4. महेंद्र सिंह धोनी का धमाल
जैसा लीडर वैसी टीम. ये कहावत धोनी पर खूब फिट बैठती है. पाक के खिलाफ मुकाबले में कैप्टन कूल भी एग्रेसिव नजर आ रहे थे. उनकी रणनीति स्पष्ट थी. यह जानते हुए कि हमारी गेंदबाजी कमजोर है, उन्होंने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. यानी बल्लेबाजों पर भरोसा तो दिखाया ही, साथ में गेंदबाजों को बड़ी भूमिका निभाने के लिए जिम्मेदारी सौंप दी. कभी भी मैच को अपने हाथ से निकलने नहीं दिया. पाकिस्तानी बल्लेबाजी जैसे ही दबाव में आए, उन्होंने गेंदबाजी क्रम में लगातार बदलाव करते हुए प्रेशर बनाए रखा. साथ में धोनी ने विकेट के पीछे भी जबरदस्त कीपिंग की.
5. अश्विन और जडेजा की जोड़ी चल गई
आर अश्विन और रवींद्र जडेजा ने इस मैच में भले ही तेज गेंदबाजों की तुलना में कम विकेट लिए हों पर उनकी गेंदबाजी में वो पैनापन नजर आया, जिसकी टीम को दरकार थी. दोनों गेंदबाजों ने भले ही कुल 18 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 97 रन दिए हों, पर मिडिल ओवर में इनकी गेंदबाजी ने ही जबरदस्त कमाल किया. अश्विन ने तो अपने 8 ओवर से 3 मेडन फेंके, वहीं हैरिस सोहेल को आउट करके एक खतरनाक साझेदारी तोड़ दी. जडेजा ने उमर अकमल जैसे धाकड़ बल्लेबाज को शून्य के स्कोर पर चलता किया.
6. पाकिस्तान की बल्लेबाजी
पिच सपाट थी, इसलिए रन तो बनना पहले से तय था. पाकिस्तानी गेंदबाजों ने भले ही शुरुआत में खूब रन लुटाए, पर आखिरी पांच ओवरों में सिर्फ 27 रन देकर पांच भारतीय बल्लेबाजों को आउट करके उन्होंने अपनी टीम की जोरदार वापसी कराई. ऐसे में दारोमदार पूरी तरह से बल्लेबाजों पर था. पर अनुभव की कमी कहिए या फिर बड़े मैच का दबाव, पाकिस्तानी बल्लेबाजी पूरी तरह से लचर नजर आई. यूनिस खान जो अब तक मिडिल ऑर्डर में पाकिस्तान के लिए रनों का अंबार लगा चुके हैं, उनका ओपनिंग करना चौंकाने वाला फैसला था. इसके अलावा कोई भी बल्लेबाज क्रीज पर टिककर खेलना नहीं चाहता था. अगर बाउंड्री से रन नहीं बन रहे हैं, तो सिंगल-डबल पर जोर दिया जाए. क्रिकेट का यह पाठ तो पाकिस्तानी बल्लेबाजी पूरी तरह से भूल गए थे. मिस्बाह को छोड़ दिया जाए, तो एक भी बल्लेबाज खुद को अप्लाई करता नहीं दिखा. बड़े स्कोर का पीछा करते वक्त चैंपियन टीमें मैच को आखिरी ओवर तक ले जाती हैं पर पाकिस्तानी बल्लेबाजी को देख ऐसा प्रतीत हुआ कि वे इसके लिए तैयार ही नहीं हैं.