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IND vs RSA: एक नजर पिछले वर्ल्डकप मुकाबलों पर

पिछले करीब ढाई दशकों में कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरूद्दीन, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, जवागल श्रीनाथ, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह और युवराज सिंह जैसे जितने भी बड़े नाम भारतीय क्रिकेट में हुए हैं उन सभी ने वर्ल्डकप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ किसी ना किसी मैच में शिरकत जरूर की है, लेकिन जीत देखना इनमें से किसी एक को भी नसीब नहीं हुआ.

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दक्ष‍िण अफ्रीकी टीम की फाइल फोटो
दक्ष‍िण अफ्रीकी टीम की फाइल फोटो

पिछले करीब ढाई दशकों में कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरूद्दीन, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, जवागल श्रीनाथ, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह और युवराज सिंह जैसे जितने भी बड़े नाम भारतीय क्रिकेट में हुए हैं उन सभी ने वर्ल्डकप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ किसी ना किसी मैच में शिरकत जरूर की है, लेकिन जीत देखना इनमें से किसी एक को भी नसीब नहीं हुआ. इंतजार अब काफी लंबा हो चला है. इस बार टीम इंडिया को उम्मीद है कि वो हार का ये सिलसिला तोड़ देगी. रविवार को होने वाले इस बेहद अहम मुकाबले से पहले आइये नजर डालते हैं भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच वर्ल्ड कप मुकाबलों के इतिहास और उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं पर-

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15 मार्च 1992, एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया
इस वर्ल्डकप में बहुत कुछ नया था. रंगीन जर्सी, सफेद गेंद, काली साइट स्क्रीन, फ्लड लाइट्स, नया राउंड रॉबिन फॉर्मेट, बरसात के लिए नए नियम और दक्षिण अफ्रीक. दक्षिण अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से करीब दो दशक के वनवास के बाद पहली बार कोई इतना बड़ा टूर्नामेंट खेल रहा था. नेलसन मंडेला और उनकी पार्टी अफ्रीकन नेशनल कॉन्फ्रेंस की कोशिशों की बदौलत उन्हें आखिरी मौके पर इस वर्ल्डकप में शामिल किया गया था, इसलिए टूर्नामेंट का शेड्यूल भी बदला गया. 29 की जगह अब टूर्नामेंट में 36 मैच खेले जाने थे. वर्ल्डकप में उनके खेलने के लिए आईसीसी ने एक शर्त भी रखी. शर्त के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में एक जनमत संग्रह कराया जाएगा, जिसमें केवल श्वेत दक्षिण अफ्रीकी ही वोट करेंगे. उनसे पूछा जाएगा कि क्या वो रंगभेद के खात्मे को सही मानते हैं. मंडेला की पार्टी ने आईसीसी को भरोसा दिया दक्षिण अफ्रीकी इस सवाल का जवाब हां में देंगे. खैर, ये जनमत वर्ल्डकप शुरू होने से पहले नहीं हो पाया. इस मैच से पहले ही भारत टूर्नामेंट से बाहर होने के कगार पर पहुंच चुका था, लेकिन दक्षिण अफ्रीका को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए भारत पर जीत की दरकार थी.

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दक्षिण अफ्रीकी कप्तान कैपलर वेसल्स ने टॉस जीता और भारत को बल्लेबाजी करने के लिए कहा. भारतीय बल्लेबाजी क्रम में बड़े-बड़े नाम थे श्रीकांत, मांजरेकर, अजहरूद्दीन, कपिल देव और दो उभरते हुए युवा बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर व विनोद कांबली. बरसात की वजह से मैच 30 ओवर का हो गया था. श्रीकांत बगैर खाता खोले डोनाल्ड का शिकार हुए तो अजहर (79) और मांजरेकर (28) ने संभल कर बल्लेबाजी शुरू की. लेकिन टीम के 100 रन होने से पहले ही मांजरेकर और 100 रन होने के तुरंत बाद तेंदुलकर (14) के आउट होते ही बड़े स्कोर की उम्मीदें धूमिल होने लगीं. अगर कपिल देव ने आखिरी समय में 33 गेंदों पर 42 रन ना बनाए होते तो हालात खराब होते. खैर भारत ने किसी तरह 30 ओवर में 180 रन का सम्मानजनक स्कोर बनाया और अपने गेंदबाजों को एक लड़ने लायक स्कोर दिया.

दक्षिण अफ्रीका के लिए पारी की शुरुआत एंड्रयू हडसन(53) और पीटर कस्टर्न (84) ने की और पहले ही विकेट के लिए 128 रन जोड़कर अपनी टीम के लिए जीत की नींव रख दी. लेकिन मैच ने एक बार फिर करवट बदली और दक्षिण अफ्रीका ने अगले 35 रनों के अंदर अपने 4 विकेट गंवा दिए. भारत के पास मैच बचाने का मौका तो था, लेकिन रनों का फासला सिर्फ 27 ही बचा था. जिसे कप्तान वेसल्स और हैंसी क्रोनिए ने आखिरी ओवर की पहली गेंद पर मंजि‍ल तक पहुंचा दिया. इस मैच के हीरो पीटर कस्टर्न रहे, जिन्हें असल में वर्ल्डकप के 30 संभावितों में भी चुना नहीं गया था. बाद में कप्तान वेसल्स और कोच माइक प्रॉक्टर की कोशिशों के बाद उन्हें टीम में जगह मिली थी. इस मैच की जीत से दक्षिण अफ्रीका सेमीफाइनल में पहुंची लेकिन खिलाड़ियों को अब भी पता नहीं था कि वो सेमीफाइनल खेलेंगे भी या नहीं, क्योंकि आईसीसी ने दक्षिण अफ्रीका में जो सर्वे कराया था, उसका नतीजा इस मैच के दो दिन बाद आया. खिलाड़ियों को लगा कि अगर वोट रंगभेद के हक में पड़ा तो उन्हें वापस लौटना पड़ेगा. लेकिन 2.8 मिलियन लोगों के बीच किए गए इस सर्वे में 68.73 प्रतिशत लोगों के रंगभेद के खात्मे को सही माना और दक्षिण अफ्रीका वर्ल्डकप का सेमीफाइनल खेल पाया.

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15 मई 1999, होव, इंग्लैंड
वर्ल्डकप के सातवें एडिशन में दोनों टीमों का ये पहला-पहला मैच था. टॉस भारत के हक में गिरा और कप्तान अजहरूद्दीन ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया. सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड जिस बल्लेबाजी क्रम के पहले तीन बल्लेबाज हों उस टीम से उम्मीदें बढ़ना लाजमी था. सचिन-सौरव ने निराश भी नहीं किया. पहले विकेट के लिए दोनों ने 16वें ओवर तक 67 रन जोड़ भी लिए थे, लेकिन लांस क्लूजनर की एक गेंद ने 28 रन बना चुके सचिन को वापस पवेलियन भेज दिया. इसके बाद द्रविड़ और गांगुली ने दूसरे विकेट के लिए 130 रनों की धीमी लेकिन सॉलिड पार्टनरशिप कर टीम का स्कोर 42वें ओवर तक 197 पर पहुंचा दिया. द्रविड़ 54 रन बनाकर आउट हुए तो गांगुली की लय भी बिगड़ गई. अजहर के साथ तालमेल की कमी ने सौरव को शतक पूरा नहीं करने दिया और वो 97 का स्कोर बनाकर रन आउट हुए.

इसके बाद रनों पर जैसे लगाम सी लग गई. अजहर (24) और जडेजा (16) ने हाथ दिखाने की कोशिश तो की लेकिन कामयाब नहीं हुए. टीम इंडिया 50 ओवर में 5 विकेट पर सिर्फ 253 रन ही बना पाई. दक्षिण अफ्रीका के सामने स्कोर बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन इंग्लैंड की परिस्थितियों में श्रीनाथ, प्रसाद और कुंबले जैसे गेंदबाजों के सामने बल्लेबाजी करना इतना आसान भी नहीं था. और इसका अंदाजा अफ्रीका को पारी की शुरुआत में ही हो गया. श्रीनाथ ने दोनों ओपनर्स को जमने का मौका दिए बगैर पवेलियन की राह दिखा दी. 22 रन पर दो विकेट गंवाने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने संभलकर खेलना शुरू किया.

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जैक कैलिस और बल्लेबाजी क्रम में प्रमोशन देकर ऊपर भेजे गए मार्क बाउचर ने संभलकर खेलना शुरू किया, लेकिन 34 रन बनाकर बाउचर कुंबले की गेंद पर बोल्ड हो गए. इसके बाद आए डेरिल कलिनन ने रन तो सिर्फ 19 ही बनाए लेकिन कैलिस के साथ मिलकर टीम का स्कोर 100 के पार पहुंचा गए. इसके बाद कप्तान हैंसी क्रोनिए (27) और जॉन्टी रोड्स (नाबाद 39) ने कैलिस के साथ छोटी लेकिन अहम साझेदारियां निभाकर अपनी टीम को जीत के करीब पहुंचा दिया. हालांकि मंजि‍ल के करीब पहुंचकर कैलिस लड़खड़ा गए और शतक से सिर्फ 4 रन पहले रन आउट हो गए. भारत को इस मैच में 4 विकेट से मात मिली और दक्षिण अफ्रीका को मिली भारत के खिलाफ वर्ल्ड कप में दूसरी जीत.

12 मार्च 2011, नागपुर, भारत
अपने मैदानों पर भारत का मुकाबला करना आसान नहीं है और इसलिए वर्ल्डकप के इस एडिशन में भारत ने फेवरेट के तौर पर शुरुआत की थी. बांग्लादेश पर बड़ी जीत दर्ज करके, इंग्लैंड के साथ मैच टाई, आयरलैंड और नीदरलैंड्स पर आसान जीत दर्ज करने के बाद भारत नागपुर पहुंचा था. यहां उसका मुकाबला दक्षिण अफ्रीका की ऐसी टीम से था, जिसके खिलाफ उसे वर्ल्डकप में अभी भी खाता खोलना बाकी था. दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज और नीदरलैंड्स को हराकर और इंग्लैंड के हाथों हारकर नागपुर पहुंची थी. वीसीए स्टेडियम में टॉस धोनी ने जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया, जिसे सहवाग और सचिन ने एकदम सही साबित किया. दोनों ने मिलकर सिर्फ 18 ओवर तक ही 142 रन जोड़ दिए. 66 गेंदों पर धुआंधार 73 रन बनाकर सहवाग आउट हुए तो उनकी जगह गंभीर ने ले ली.

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सचिन के साथ मिलकर गंभीर ने टीम इंडिया का स्कोर पहले 200 और फिर 250 के पार पहुंचा दिया. इस दौरान सचिन ने अपने वन-डे करियर की 48वीं सेंचुरी पूरी कर ली. उधर गंभीर ने भी अर्द्धशतक जमा दिया. 41वें ओवर में 267 रन पर ये जोड़ी टूटी तो दक्षिण अफ्रीका को मैच में वापसी की उम्मीद बंधी. सचिन 111 रन बनाकर आउट हुए और एक रन बाद ही 268 के कुल स्कोर पर गंभीर (69) भी पवेलियन लौट गए. इसके बाद तो जैसे टीम इंडिया में 'तू चल मैं आया' की प्रतियोगिता शुरू हो गई और देखते ही देखते टीम इंडिया ने अपने 8 बल्लेबाज सिर्फ 29 रन के दौरान गंवा दिए. एक समय बड़े स्कोर की तरफ बढ़ती दिख रही टीम इंडिया पूरे 50 ओवर भी नहीं खेल पाई और 48.4 ओवर में महज 296 रन पर सिमट गई.

डेल स्टेन दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी के हीरो रहे जिन्होंने 50 रन देकर 5 विकेट लिए. जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने भी संभलकर शुरुआत की लेकिन कप्तान ग्रेम स्मिथ 16 रन से आगे नहीं बढ़ पाए. अब हाशिम अमला के साथ क्रीज पर जैक कैलिस थे और दोनों ने मिलकर ठोस साझेदारी बनानी शुरू कर दी. दोनों ने मिलकर 86 रन जोड़े. अमला 61 रन बनाकर आउट हुए तो एबी डिविलियर्स और कैलिस (69) ने जिम्मेदारी संभाली. डिविलियर्स (52) ने तो ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की. टीम इंडिया के गेंदबाजों ने नियमित अंतराल पर विकेट तो लिए लेकिन दक्षिण अफ्रीका की छोटी-छोटी साझेदारियां काफी बड़ी साबित हुईं. जेपी ड्यूमिनी और योहान बोथा ने 23-23 रन बनाए तो फैफ ड्यू प्लेसी 25 रन बनाकर नाबाद रहे. दक्षिण अफ्रीका ने 2 गेंद बाकी रहते 3 विकेट से इस मैच को जीता. डेल स्टेन इस मुकाबले के 'मैन ऑफ द मैच' रहे.

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