भारतीय टीम तीन मैचों की वनडे सीरीज खेलने के लिए जिम्बाब्वे दौरे पर पहुंच चुकी है. इस दौरे पर पहले शिखर धवन को टीम की कप्तानी करनी थी लेकिन भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) ने आखिरी समय में टीम में बदलाव करते हुए केएल राहुल को कमान सौंप दी. भारतीय टीम 2016 के बाद पहली बार जिम्बाब्वे गई है, ऐसे में यह दौरा काफी खास रहने वाला है.
कमजोर दिखाई दे रही जिम्बाब्वे को मात देने में भारतीय टीम को कोई खास परेशानी नहीं होनी चाहिए. खैर जिम्बाब्वे की टीम भले अब काफी कमजोर हो गई हो, लेकिन एक जमाने में वह बड़ी-बड़ी टीमों को टक्कर देने का दमखम रखती थी. भारत के साथ जिम्बाब्वे के कुछ तगड़े मुकाबले हो चुके हैं. ऐसा ही एक वनडे मुकाबला साल 2002 में फरीदाबाद के नाहर सिंह स्टेडियम में खेला गया था, जहां जिम्बाब्वे के एक पुछ्ल्ले बल्लेबाज डगलगस मारिलियर ने भारत के जबड़े से मैच छीन लिया था.
जिम्बाब्वे को बनाने थे 275 रन
उस मुकाबले में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 6 विकेट पर 274 रनों का स्कोर खड़ा किया था. वीवीएस लक्ष्मण ने 75 और कप्तान सौरव गांगुली ने 57 रनों का योगदान दिया था. वहीं अजीत अगरकर ने 19 गेंदों में 40 और मोहम्मद कैफ ने 39 रनों की नाबाद पारियां खेली थीं. जिम्बाब्वे की ओर से हीथ स्ट्रीक ने सबसे ज्यादा दो विकेट चटकाए.
हार के दहलीज पर थी जिम्बाब्वे
जवाब में जिम्बाब्वे के 21 रन पर दो विकेट गिर गए थे जिसके बाद एंडी फ्लावर (71) और एलिस्टर कैंपबेल (84) ने तीसरे विकेट के लिए 111 रनों की साझेदारी करके पारी संभाला. 132 रनों के स्कोर पर अनिल कुंबले ने एंडी फ्लावर को बोल्ड करके भारत को तीसरी सफलता दिलाई जिसके बाद लगातार विकेट्स गिरते चले गए. ऐसे में जिम्बाब्वे का स्कोर 44.2 ओवर्स में आठ विकेट पर 210 रन हो चुका था और उसकी हार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी.
...फिर मारिलियर ने धो डाला
मैदान में मौजूद भारतीय फैन्स खुशी के मारे उछल रहे थे क्योंकि उन्हें क्या मालूम था कि कुछ ही ओवर्स में मैच भारत के हाथों से फिसलने वाला है. दसवें नंबर पर बैटिंग करने जब डगलस मारिलियर उतरे तो जिम्बाब्वे को 40 गेंद में 65 रनों की दरकार थी. 20 साल पहले क्रिकेट में ऐसे समीकरण बल्लेबाजी टीम के लिए काफी मुश्किल समझे जाते थे लेकिन मारिलियर उस दिन कुछ ठान कर आए थे.
21 साल के डगलस मारिलियर ने अनिल कुंबले और जहीर खान की गेंदों पर जमकर रन बटोरे. मारिलियर ने इस दौरान खासतौर पर जहीर खान की यॉर्कर गेंदों को स्कूप करके फाइन-लेग रीजन में कई बार चौके के लिए भेजा. मारिलियर के शॉट्स का भारत के पास कोई जवाब नहीं था और उसे एक विकेट से मुकाबला गंवाना पड़ा. मारिलियर 24 बॉल में 56 रन बनाकर नाबाद रहे, जिसमें 10 चौके और एक छक्का शामिल रहा.
काफी फेमस हुआ 'मारिलियर शॉट'
मारिलियर ने इस मुकाबले से पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेले गए वनडे में ग्लेन मैक्ग्रा ओवर में स्कूप के जरिए दो चौके जड़े थे. मारिलियर को आप स्कूप शॉट का जन्मदाता भी कह सकते हैं और उनके शॉट को मारिलियर शॉट/पैडल स्कूप के नाम से जाना जाता है. इस शॉट में बल्लेबाज गेंद को स्कूप के जरिए फाइन-लेग रीजन में आसानी से बाउंड्री बटोरता है. जोस बटलर इसी प्रकार के शॉट खेलते नजर आते हैं.
बाद में दिलशान ने ईजाद किया 'दिलस्कूप'
डगलस मारिलियर के बाद आगे चलकर श्रीलंका के दिग्गज खिलाड़ी तिलकरत्ने दिलशान का 'दिलस्कूप शॉट' भी काफी फेमस हुआ. दिलस्कूप 'पैडल स्कूप' से अलग होता है क्योंकि इस शॉट में गेंद विकेटकीपर के एक तरफ के बजाय सीधे विकेटकीपर के सिर के ऊपर से बाउंड्री पार जाती है.