एक बार फिर सीरीज गंवाने से मायूस भारतीय क्रिकेट टीम शुक्रवार से शुरू हो रहे पांचवें और अंतिम टेस्ट में इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक के विदाई टेस्ट में जीत दर्ज करने के इरादे से उतरेगी.
इंग्लैंड ने पांच मैचों की सीरीज में 3-1 की अजेय बढ़त बना ली है, जिसके कारण ओवल में होने वाला मैच महज औपचारिक बन गया है, लेकिन विराट कोहली की टीम सीरीज का सकारात्मक अंत करना चाहेगी.
विदेशी धरती पर सीरीज का 5वां टेस्ट कभी नहीं जीत पाई है टीम इंडिया
🏏 England vs India, 5th Test
🗓️ September 7, 2018
📍The Oval, London
⏲️15.30 IST#ENGvIND pic.twitter.com/m8ZWL0PgCt
— BCCI (@BCCI) September 7, 2018
भारत के लिए 2-3 का नतीजा 1-4 से कहीं बेहतर होगा और टीम टेस्ट जीत के लिए बेताब है. मुख्य कोच रवि शास्त्री ने यह कहकर टीम का मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया है कि यह पिछले 15 साल में विदेशी दौरों पर जाने वाली यह सर्वश्रेष्ठ टीम है. हालांकि तथ्य इसे साबित नहीं करते.
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आंकड़े देखें तो सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड (2002) और ऑस्ट्रेलिया (2003-04) में सीरीज ड्रॉ करवाई और वेस्टइंडीज में टीम टेस्ट मैच और पाकिस्तान में सीरीज जीतने में सफल रही.
राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में भारत ने वेस्टइंडीज में 2006 और इंग्लैंड में 2007 में सीरीज जीती और दक्षिण अफ्रीका में भी टीम एक टेस्ट जीतने में सफल रही.
अनिल कुंबले की अगुवाई में भारत ने पर्थ के उछाल भरे विकेट पर पहली बार टेस्ट जीता, जबकि महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारत ने न्यूजीलैंड में सीरीज जीती और पहली बार दक्षिण अफ्रीका में सीरीज ड्रॉ कराने में सफल रही.
दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में लगातार दो सीरीज गंवाने के बाद विदेशी दौरे पर अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीम का मिथक टूट गया है और टीम इंडिया यह साबित करने में नाकाम रही है कि वह उपमहाद्वीप के बाहर सीरीज जीतने में सक्षम है.
कोहली की टीम हालांकि 2018 में दोनों विदेशी सीरीज गंवाने के बावजूद अब तक अपनी शीर्ष टेस्ट रैंकिंग बचाने में सफल रही है. टीम का संयोजन एक बार फिर चर्चा का विषय है. टीम इंडिया सर्वश्रेष्ठ 11 खिलाड़ियों के साथ उतरना चाहेगी, लेकिन प्रयोग की संभावना भी बनी हुई है.
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टेस्ट टीम में पृथ्वी शॉ को शामिल करने से पता चलता है कि भारतीय चयनकर्ताओं की नजरें सलामी बल्लेबाजों के विकल्प पर टिकी हैं. मुरली विजय के टीम से बाहर होने के बाद चयनकर्ताओं को अपनी योजनाएं जल्द ही पुख्ता करनी होंगी, क्योंकि टीम दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाएगी.
ऐसा माना जा रहा है कि पृथ्वी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के खिलाफ परखा जाना चाहिए. अगर वह इस एकमात्र टेस्ट में विफल भी रहते हैं तो भी 18 साल की उम्र के कारण उनके पास दोबारा आगे बढ़ने का पर्याप्त समय होगा. अगर वह सफल रहते हैं तो ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए सलामी जोड़ी की समस्या का हल निकल सकता है.
दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि शिखर धवन और लोकेश राहुल की मौजूदा सलामी जोड़ी को बरकरार रखा जाना चाहिए. अगर चयनकर्ताओं की नजरें भविष्य पर हैं, तो यह इन दोनों में से एक के पास वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज और स्वदेश में प्रथम श्रेणी सत्र के शुरू होने से पहले प्रभावित करने का अंतिम मौका होगा. शुरुआती संकेत हैं कि पृथ्वी को मौके के लिए कम से कम घरेलू सत्र तक इंतजार करना होगा.
रवींद्र जडेजा को दौरे पर पहला टेस्ट खेलने का मौका मिल सकता है क्योंकि रविचंद्रन अश्विन ने बुधवार को नेट पर गेंदबाजी नहीं की, जबकि उनकी मूवमेंट में भी समस्या दिख रही थी.
टीम प्रबंधन ने पुष्टि नहीं की है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार अश्विन के कूल्हे की मांसपेशियों में जकड़न बढ़ गई है और वह अंतिम टेस्ट में नहीं खेल पाएंगे.
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यूएई में अगले हफ्ते शुरू हो रहे एशिया कप को देखते हुए जसप्रीत बुमराह को भी आराम दिया जा सकता है. बुमराह और शार्दुल ठाकुर भारत की समिति ओवरों की टीम का हिस्सा हैं. उमेश यादव की ऐसे में अंतिम टेस्ट के लिए टीम में वापसी हो सकती है.
इंग्लैंड के लिए यह टेस्ट हालांकि भावनात्मक रूप से अहम होगा. उसके सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक एलिस्टेयर कुक अंतिम बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नजर आएंगे और इसके साथ ही श्रीलंका दौरे के लिए टीम की सलामी जोड़ी की तलाश भी शुरू हो जाएगी.
कुक के संन्यास की घोषणा के बाद चयनकर्ताओं ने पांचवें टेस्ट की टीम में कोई बदलाव नहीं किया जो दर्शाता है कि चयनकर्ताओं ने दूसरे सलामी बल्लेबाज के. जेनिंग्स पर भरोसा बरकरार रखा है.