India Tour of South Africa: भारतीय टीम का साउथ अफ्रीका दौरा समाप्त हो चुका है. भारतीय टीम ने दौरे का आगाज सेंचुरियन टेस्ट में यादगार जीत के साथ किया था. लेकिन उसके बाद भारतीय खिलाड़ी एक टीम के तौर पर क्लिक नहीं कर पाए. नतीजतन बाकी दो टेस्ट मैचों के साथ ही वनडे सीरीज में भारत को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी.
कुल मिलाकर दौरे का निचोड़ यही है कि अब आत्ममंथन के लिए कई सवाल टीम प्रबंधन के सामने होंगे. इस दौरे पर रवाना होने से पहले ही संकेत मिल गए थे कि सब कुछ ठीक नहीं रहने वाला है, जब तत्कालीन टेस्ट कप्तान विराट कोहली की बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों से ठन गई थी.
कोहली के लिए मुश्किल दौर!
विराट कोहली शायद ना मानें, लेकिन तीन में से दो प्रारूपों में कप्तानी छोड़ने और वनडे में बर्खास्त होने के बाद एक क्रिकेटर के तौर पर सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं. कोहली ने दौरे पर कुछ अच्छी पारियां खेलीं. केपटाउन में आयोजित तीसरे टेस्ट में उन्होंने 79 रन बनाए, जहां वह काफी टच में दिखाई दे रहे थे. इसके बाद एकदिवसीय सीरीज में भी उन्होंने दो अर्धशतक जड़े, लेकिन उनके शतक का इंतजार अब भी जारी है. केपटाउन टेस्ट में बतौर कप्तान अपने आखिरी मुकाबले में डीआरएस को लेकर प्रसारकों पर टिप्पणी ने भी उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल किया है.
राहुल की कप्तानी फ्लॉप
केएल राहुल को बतौर कप्तान खुद को साबित करने का बेहतरीन मौका था, लेकिन जोहानिसबर्ग टेस्ट और वनडे सीरीज में उनकी कप्तानी फ्लॉप साबित हुई. राहुल को कप्तानी के अलावा जिस चीज से ज्यादा नुकसान होगा, वह बल्लेबाजी में उनका दृष्टिकोण रहा. दूसरे वनडे में 79 गेंदों पर 55 रनों की पारी के दौरान वह स्ट्राइक रोटेट नहीं कर पा रहे थे. रोहित शर्मा के वापस आने के बाद यह तय है कि राहुल को अगर वनडे क्रिकेट की योजना में शामिल होना है तो उन्हें मध्यक्रम में बल्लेबाजी करनी होगी और फिनिशर बनना होगा.
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने राहुल को लेकर कहा, 'क्या केएल राहुल किसी भी नजरिये से कप्तान लग रहे थे.' समझा जाता है कि कोच राहुल द्रविड़ राहुल को दीर्घकालिक विकल्प के रूप में देखते है और यही वजह है कि उन्होंने उनकी कप्तानी का बचाव किया.
द्रविड़ ने कहा, उन्होंने (राहुल) अपने काम को बखूबी अंजाम दिया. कप्तानी का मतलब अपने खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराना भी है. वनडे टीम में संतुलन की कमी दिखी. वह समय के साथ सीखेंगे.'
रहाणे-पुजारा के लिए आगे क्या?
भारत ऐसी टीम से हारा है जो बदलाव के दौर से गुजर रही है और जिसके कोच पर नस्लीय दुर्व्यवहार के आरोप तक लगे थे. भारतीय टीम ने बेखौफ क्रिकेट नहीं खेली और ना ही कोई सूझबूझ दिखाई. चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में चमके, लेकिन इसके अलावा सकारात्मक क्रिकेट नहीं खेल सके. दोनों छह पारियों में 200 रन भी नहीं बना सके और अब उनका करियर निस्संदेह ढलान की ओर दिख रहा है. हनुमा विहारी जैसे खिलाड़ी लंबे समय से इंतजार में हैं.
ईशांत का युग खत्म!
गेंदबाजी की बात करें, तो ईशांत शर्मा को बाहर रखना इस बात का प्रतीक है कि टीम प्रबंधन को अब उन पर भरोसा नहीं रहा. जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. आर अश्विन और भुवनेश्वर कुमार ने भी निराश किया. शॉर्ट गेंदों के सामने श्रेयस अय्यर की तकनीकी कमियों की भी कलई खुल गई.
शार्दुल-दीपक ने उम्मीदें जगाईं
दौरे में भारतीय टीम के लिए प्लस प्वाइंट शार्दुल ठाकुर और दीपक चाहर का ऑलराउंड खेल रहा. शार्दुल ने पूरे दौरे पर गेंद के साथ ही बल्ले से धमाकेदार प्रदर्शन किया. हालांकि, दीपक चाहर सिर्फ एक मुकाबला खेल सके. लेकिन उस मुकाबले में वह ऑलराउंड प्रदर्शन करने में सफल रहे. आगामी वर्ल्ड कप के मद्देनजर इन दो खिलाड़ियों ने बतौर ऑलराउंडर एक विकल्प देने की कोशिश की है.