केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अलावा खेल और विधि मंत्रालयों ने भारतीय क्रिकेट टीम के लोगो को लेकर सवाल पूछा है. सीआईसी ने बीसीसीआई के उस लोगो का इस्तेमाल पर सवाल उठाया है जो स्टार ऑफ इंडिया सम्मान की तरह दिखता है. बता दें कि यह लोगो कोलोनियल रूल के दौरान ब्रिटिश अपने पसंदीदा राजाओं को दिया करते थे. आयोग ने कहा है कि बीसीसीआई का चिन्ह ब्रिटिश राज के स्टार ऑफ आर्डर की तरह है.
सूचना आयोग ने पूछा है कि 1857 में भारतीय स्वतंत्रता के पहले संघर्ष के बाद भारत के ऊपर अपने अधिकार को मजबूत करने के लिए ब्रिटिश शासकों ने वफादार भारतीय राजाओं को सम्मानित करने के लिए नाइटहुड का नया आर्डर शुरू किया. 1948 के बाद ऐसा कोई सम्मान नहीं दिया गया.
कोलोनियल विरासत से जुड़ा है बीसीसीआई
आयोग ने पूछा क्या किसी ने गौर किया कि बीसीसीआई अब भी प्रतीकात्मक रूप से इस कोलोनियल विरासत से जुड़ा हुआ है? हमारी टीम अब भी इस लोगो के साथ खेलती है.सीआईसी ने सरकार से पूछा है कि वे इस लोगो को सच्चे भारतीय प्रतीक जैसे तिरंगा या चार शेर या अशोक के धर्म चक्र या किसी अन्य जिसका फैसला वह स्वयं करे, उससे क्यों नहीं बदल देती.
मैच फिक्सिंग रोकने के लिए लाए गए विधेयक की स्थिति पर करें खुलासा
आयोग ने कड़े फैसले में साथ ही सरकार से जानना चाहा है कि वे स्पष्ट करे कि लोक सभा में जवाब देने बावजूद सरकार बीसीसीआई को आरटीआई कानून के दायरे में क्यों नहीं ला रही. सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर यह सवाल पूछा है. उन्होंने साथ की सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे खेलों में धोखाधड़ी और मैच फिक्सिंग रोकने के लिए विधेयक की स्थिति का खुलासा करें. सूचना आयुक्त ने साथ ही खुलासा करने को कहा है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए एक समान नीति क्यों नहीं लाती? जिससे कि विभिन्न राज्य सरकारों के बीच प्रचार हासिल करने की अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा को रोका जा सके.