Indian U19 World Cup Team: भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम एक बार फिर वर्ल्ड कप खिताब जीतने से चूक गई. उदय सहारन की कप्तानी में भारतीय टीम अंडर-19 वर्ल्ड कप 2024 के फाइनल तक पहुंची थी, लेकिन उसे 11 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 79 रनों से हार झेलनी पड़ी.
यह भारतीय टीम का अंडर-19 वर्ल्ड कप में लगातार 5वां फाइनल रहा था. हालांकि फाइनल में हार के बावजूद युवा खिलाड़ियों ने फैन्स का दिल जीत लिया. उन्होंने अपने प्रदर्शन से यह बता दिया कि वो यहीं नहीं रुकने वाले हैं, बल्कि भविष्य में भी गदर मचाने को तैयार हैं. आइए जानते हैं टीम में शामिल सभी प्लेयर्स के प्रदर्शन के बारे में...
कप्तान उदय ने काफी परिपक्वता दिखाई
भारत के अंडर-19 कप्तान ने पूरे टूर्नामेंट में अपनी कम उम्र को झुठलाते हुए परिपक्वता से बल्लेबाजी की. वह बल्लेबाजी लाइन अप का आधार रहे और टीम को दबाव भरी परिस्थितियों से बाहर निकाला. खासकर सेमीफाइनल में उन्होंने मैच विनिंग पारी खेली. अन्य मुकाबलों में उन्होंने बड़े स्कोर के लिए अच्छी नींव रखी.
इस प्रदर्शन की बदौलत वह 397 रनों के साथ टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर रहे जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है. अपने क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने के लिए सहारन ने राजस्थान के गंगानगर से पंजाब जाने का फैसला किया.
बेस्ट फिनिशर और एक्स फैक्टर रहे सचिन धास
महाराष्ट्र के बीड के इस खिलाड़ी ने अपनी फिनिशिंग की काबिलियत से सबको आकर्षित किया. उनका नाम महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के नाम पर रखा गया. धास ने बल्ले से एक्स फैक्टर प्रदान किया और जोखिम भरे खेल के बावजूद टूर्नामेंट के सर्वाधिक रन बनाने वाले शीर्ष पांच खिलाड़ियों में शामिल रहे.
सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ उनकी 96 रनों की पारी ने भारत की जीत में अंतर पैदा किया, क्योंकि टीम ने 32 रनों के अंदर 4 विकेट गंवा दिए थे. सचिन की यह पारी बेहद खास रही थी.
सरफराज के भाई मुशीर ने भी गदर मचाया
अपने बड़े भाई सरफराज खान की तरह मुशीर को लंबे समय तक बल्लेबाजी करना पसंद है. उन्होंने टूर्नामेंट में दो शतक और एक अर्धशतक से कुल 360 रन बनाए., उनके पिता नौशाद ने उनके क्रिकेट करियर में बड़ी भूमिका निभाई है.
सौम्य पांडे ने स्पिन के जाल में फंसाया
राजस्थान के भरतपुर में एक स्कूल शिक्षक के बेटे सौम्य ने अपनी सटीक बाएं हाथ की स्पिन से टूर्नामेंट में भारत को सही समय पर विकेट दिलाये और वह 18 विकेट लेकर टीम के सर्वाधिक विकेट झटकने वाले गेंदबाज रहे. उनके पिता ने उन्हें फिट बनाने के लिए क्रिकेट में डाला था. सर्दी जुकाम से बचने के लिए क्रिकेट खेलने वाले सौम्य अब काफी दूर तक आ चुके हैं.
अर्शिन को अगला हार्दिक पंड्या कहा जा रहा
महाराष्ट्र के सोलापुर के इस ऑलराउंडर को अंडर-19 विश्व कप खेलने से पहले ही इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का अनुबंध मिल गया था. कुलकर्णी ने अपनी मध्यम गति से भी काफी योगदान दिया है और उन्हें भविष्य का हार्दिक पंड्या कहा जा रहा है. उन्होंने आईसीसी टूर्नामेंट में भारत के लिए पारी का आगाज किया.
राज लिम्बानी ने तेज गेंदबाजी से छुड़ाए छक्के
कच्छ के रण के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज लिम्बानी ने नई गेंद से प्रभावित किया. बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लक्ष्य का पीछा करते हुए छक्का जड़कर भारत को नौवीं बार फाइनल में पहुंचाया. अपने सपने को साकार करने के लिए लिम्बानी को दयापुर गांव छोड़कर बड़ौदा आना पड़ा.
स्पिन ऑलराउंडर प्रियांशु को ज्यादा मौके नहीं मिले
लिम्बानी की तरह मोलिया भी बड़ौदा में रहते हैं और उन्होंने सात प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, जिसमें उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 144 रन रहा है. मध्यक्रम का यह बल्लेबाज ऑफ स्पिन गेंदबाजी कर सकता है. वह दक्षिण अफ्रीका में हालांकि ज्यादा कुछ नहीं कर पाए क्योंकि ज्यादातर मैच में शीर्ष क्रम ने रन जुटाए.
नमन और मुरुगन भी दिखाएंगे दमदार खेल
लखनऊ का यह बाएं हाथ का तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को आदर्श मानता है और उन्होंने भारत के इस तेज गेंदबाज से यॉर्कर डालना सीखा है. उन्होंने टूर्नामेंट में 19.83 की औसत से 12 विकेट चटकाए.
दूसरी ओर हैदराबाद के युवा ऑफ स्पिनर आर. अश्विन ने भी काफी प्रभावित किया है. हालांकि वह काफी विकेट नहीं ले सके, लेकिन रन गति पर लगाम कसने में सफल रहे.
IPL में धोनी की टीम से खेलेंगे अरावेली
रवि शास्त्री और आर श्रीधर की अकादमी का यह विकेटकीपर बल्लेबाज हैदराबाद के लिए लिस्ट-ए में पदार्पण कर चुका है और हाल में उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की नीलामी में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने खरीदा था जो उनकी प्रतिभा का प्रमाण है. वह तेलंगाना के राजन्ना सिरसिला जिले के पोथुगल गांव से हैं.
फाइनल में आदर्श ने खेली थी धांसू पारी
बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने लगातार टीम को मजबूत शुरुआत दी. बांग्लादेश के खिलाफ उनकी 76 रनों की शानदार पारी ने भारत को एक आदर्श शुरुआत कराई. फाइनल में भी उन्होंने 77 गेंदों में 47 रन की संघर्षपूर्ण पारी खेली.
आदर्श की क्रिकेट यात्रा में उनके परिवार का बलिदान अहम रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान उनके पिता और भाई की नौकरी चली गयी, लेकिन परिवार ने सुनिश्चित किया कि उनका क्रिकेट जारी रहे जिसके लिए उन्होंने अपनी जमीन भी बेच दी.
रुद्र पटेल और इनेश महाजन को नहीं मिला मौका
रुद्र पटेल टूर्नामेंट में खेलने का मौका नहीं मिला. वह अपनी कप्तानी में गुजरात को अंडर-16 राज्य चैम्पियनशिप का खिताब दिला चुके हैं. इसके बाद उन्होंने अंडर-19 वीनू मांकड़ ट्रॉफी में अपने राज्य का नेतृत्व किया और लगातार तीन शतक जड़कर सुर्खियों में आए, जिसमें हिमाचल प्रदेश के खिलाफ एक दोहरा शतक शामिल था.
इनेश महाजन टीम के रिजर्व विकेटकीपर थे और अवनीश के कारण उन्हें मौका नहीं मिला. नोएडा के बाएं हाथ के बल्लेबाज इनेश एमएस धोनी के मुरीद हैं.
धनुष गौड़ा और आराध्य शुक्ला ने इस तरह बनाई जगह
बेंगलुरु का उभरता हुआ यह तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ और आर विनय कुमार के नक्शेकदम पर चलना चाहता है. उन्हें हालांकि अपने कौशल को दिखाने का मौका नहीं मिला. वह कुछ बड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि उनके पिता अपने क्रिकेट सपने को पूरा करने में असफल रहे जबकि चोटों ने उनके बड़े भाई का करियर बर्बाद कर दिया.
गणित शिक्षक के बेटे आराध्य शुक्ला ने लंबा होने के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया. लुधियाना के इस खिलाड़ी ने सीके नायडू ट्रॉफी और कूच बिहार ट्रॉफी में प्रभावित किया जिससे उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली.