करीब डेढ साल की कानूनी लड़ाई का नतीजा ही था कि बीसीसीआई से एन श्रीनिवासन की विदाई हो गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उन 12 खिलाड़ियों की भूमिका पर कोई टिप्पणी नहीं की गई जिनकी गतिविधियां आईपीएल प्रकरण में न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की जांच के दायरे में आई थीं.
जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर और एफएमआई कलीफुल्ला की खंडपीठ ने कुछ मुद्दे पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढा की अध्यक्षता में गठित तीन जजों की समिति के लिए छोड़ दिए हैं. कोर्ट ने यह भी नहीं कहा है कि क्या जिन खिलाड़ियों के नाम मुद्गल समिति की रिर्पोट में सामने आए हैं उनके मामलों में आगे जाचं की जरूरत है.
मुद्गत समिति ने 10 फरवरी, 2014 की अपनी अंतरिम रिपोर्ट और 3 नवंबर, 2014 की अंतिम रिपोर्ट में खिलाड़ियों समेत कुछ अन्य व्यक्तियों के खराब आचरण का जिक्र किया था. समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में 12 खिलाड़ियों के नामों का जिक्र करते हुए उनकी सूची सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी थी.
समिति ने कहा था कि इनके खिलाफ जांच की आवश्यकता है और बाद में अंतिम रिपोर्ट में समिति ने स्पष्ट रूप से बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष को एक क्रिकेटर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का दोषी पाया था. रिपोर्ट ने खिलाडि़यों की आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले इस क्रिकेटर के नाम का जिक्र नहीं किया था.
इनपुट भाषा से