इंडियन प्रीमियर लीग के आठवें सीजन (आईपीएल-8) में बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को फिक्सिंग से बचाने के लिए एक ऐसा कदम उठाया है जो आपको हैरान कर देगा. बीसीसीआई ने स्पॉट फिक्सिंग पर लगाम लगाने के लिए खिलाड़ियों को महिला मित्र मुहैया कराने का मन बना लिया है. इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि सट्टेबाज महिला फैन के जरिए ही खिलाड़ियों को फिक्सिंग के जाल में लपेटते हैं. इस मायाजाल से बचने के लिए ही बीसीसीआई ने ये कदम उठाने का मन बनाया है.
इंडियन प्रीमियर लीग के आठवें सीजन (आईपीएल-8) में फिक्सिंग के जिन्न से बचने के लिए बीसीसीआई ने एक ऐसा तरीका ढूंढा है जिसपर विवाद हो सकता है. बीसीसीआई की एंटी करप्शन यूनिट ने आईपीएल टीमों के तमाम खिलाड़ियों के साथ मीटिंग की और उन्हें समझाया कि सट्टेबाज किस तरह से उन्हें फिक्सिंग के जाल में फंसाते हैं.
आईपीएल-8 में खबर आई थी कि राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ियों से फिक्सिंग के लिए संपर्क साधा गया था. एक घरेलू खिलाड़ियों ने फिक्सिंग के लिए संपर्क किया था हालांकि बीसीसीआई ने उस खिलाड़ी के नाम का खुलासा करने से मना कर दिया.
एक फ्रेंचाइजी के अधिकारी से जब हमारे सहयोगी अखबार मेल टुडे ने पूछा कि इस बार खिलाड़ियों को खासकर युवा खिलाड़ियों को फिक्सिंग के साये से कैसे बचाया जाएगा? तो उनका जवाब था, 'खिलाड़ियों को बताया गया है कि उन्हें किस तरह से 'हनीट्रैप' में फंसाया जाता है. उन्हें यकीन दिलाया जाता है कि वो बहुत स्मार्ट हैं और फिर उन्हें इस मायाजाल में फंसाया जाता है. ऐसा हममें से किसी के साथ भी हो सकता है. इस तरह से फैन की तरह खिलाड़ियों से जुड़ने के बाद वो खिलाड़ियों से पर्सनल हो जाती हैं.'
उन्होंने बताया, 'ये काफी तेजी से होता है और खिलाड़ियों से उनके रिश्ते बड़ी जल्दी मजबूत हो जाते हैं. वो खिलाड़ियों के साथ डिनर पर जाती हैं और इस तरह वो और करीब आ जाती हैं. उनके अंतरंग पलों का एमएमएस बना लिया जाता है और फिर उसके बाद खिलाड़ियों को इसके जरिए ब्लैकमेल किया जाता है. खिलाड़ियों के पास इसके बाद फिक्सिंग में फंसने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता है.'
अब बीसीसीआई खिलाड़ियों को खुद ही महिला मित्र मुहैया कराएगा, जिससे खिलाड़ी इस तरह के मायाजाल से बचकर ही रहें. पूर्व क्रिकेटर मदन लाल ने बीसीसीआई के इस फैसले को बहुत अच्छा करार दिया है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि बीसीसीआई ने ये अच्छा कदम उठाया है. स्पॉट फिक्सिंग सिर्फ खिलाड़ी कर सकते हैं. सबसे बड़ी दिक्कत है कि ज्यादातर खिलाड़ी ऐसे बैकग्राउंड से नहीं आते हैं जो फेम और चिकनी चुपड़ी बातें को समझ सकें और ये उनके सिर जल्दी ही चढ़ जाती हैं.'