सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल मामले में अहम फैसला सुनाते हुए गुरुवार को कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के निर्वासित अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन 'हितों के टकराव' की स्थिति में रहते हुए बीसीसीआई अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ सकते.
बीसीसीआई को वार्षिक चुनाव करवाने के लिए छह सप्ताह का समय देते हुए न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'एन. श्रीनिवासन सहित ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका बीसीसीआई के किसी आयोजन में वाणिज्यिक हित हो वह बीसीसीआई में किसी भी पद के लिए चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं रखता.'
कोर्ट ने अपने 230 पृष्ठों के फैसले में कहा, 'हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि बीसीसीआई में चुनाव लड़ने की अयोग्यता उन लोगों पर लागू होगी जिनके बीसीसीआई के किसी आयोजन में किसी तरह के वाणिज्यिक हित हों, और वह तब तक चुनाव नहीं लड़ सकता जब तक उसके बीसीसीआई में वाणिज्यिक हित हों या बीसीसीआई की समिति उसे उचित सजा न दे दे.'
चेन्नई सुपर किंग्स का भविष्य अंधेरे में
गौरतलब है कि श्रीनिवासन के पास इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स का मालिकाना हक है. कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है जब श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद या फिर चेन्नई सुपर किंग्स में से किसी एक को चुनना होगा. कोर्ट के फैसले के बाद चेन्नई सुपर किंग्स का भविष्य भी अंधकारमय दिख रहा है. कोर्ट ने हालांकि श्रीनिवासन को सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामले को छिपाने के आरोप से बरी कर दिया.
बीसीसीआई के नियम 6.2.4 नियम पर कोर्ट ने लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा बीसीसीआई के उस नियम में किए गए संशोधन की भी आलोचना की, जिसके तहत बीसीसीआई के अधिकारियों को आईपीएल, चैंपियंस लीग टी-20 टूर्नामेंट और बीसीसीआई द्वारा आयोजित अन्य आयोजनों में वाणिज्यिक हित रखने की अनुमति दी गई है. कोर्ट ने कहा, 'बीसीसीआई के नियम 6.2.4 में संशोधन कर शामिल किए गए वाक्य 'आईपीएल या चैंपियंस लीग टी-20 जैसे आयोजनों को छोड़कर' को अब से अमान्य और अप्रभावी घोषित किया जाता है.'
सट्टेबाजी के दोषी हैं मयप्पन और कुंद्रा
कोर्ट ने श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स के अधिकारी गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सह-मालिक राज कुंद्रा को सट्टेबाजी का दोषी करार दिया और कहा कि सिर्फ उन्हें ही दंडित नहीं किया जाएगा बल्कि उनके खिलाफ भी फैसला सुनाया जाएगा जिन फ्रेंचाइजी का वे प्रतिनिधित्व करते हैं. कोर्ट ने मयप्पन और कुंद्रा को 'टीम अधिकारी' कहा है.
तीन सदस्यीय समिति करेगी मयप्पन और कुंद्रा की सजा तय
कोर्ट ने अन्य मामलों के अतिरिक्त मयप्पन और कुंद्रा की सजा तय करने के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति गठित की है. न्यायमूर्ति आर. वी. रावींद्रन और न्यायमूर्ति अशोक भान समिति के दो अन्य सदस्य हैं. समिति गठित करने के अपने फैसले पर कोर्ट ने कहा, 'इससे न सिर्फ पक्षपात या किसी तरह के प्रभाव में फैसला करने की शंका खत्म हो जाती है, बल्कि पूरी प्रक्रिया को यह पारदर्शी बनाती है, खासकर तब जब हम बेहद ईमानदार और उच्च न्यायिक मानदंडों वाले व्यक्तियों को समिति में शामिल करते हैं.'
सुंदर रमन का 'रोल'
कोर्ट ने कहा कि मयप्पन और कुंद्रा की सजा तय करते हुए समिति सभी लोगों को नोटिस जारी करेगी. इसके अलावा यह समिति बीसीसीआई के नियमों की समीक्षा करेगी और बीसीसीआई चुनाव में खड़े होने के लिए प्रत्याशी की पात्रता और उपयुक्तता से संबंधित नियमों में बदलाव के सुझाव भी देगी. कोर्ट ने समिति से बीसीसीआई अधिकारी सुंदर रमन की इस मामले में सभी गतिविधियों की पड़ताल करने और जरूरत पड़ने पर मुद्गल समिति की सहायता के लिए गठित जांच दल की मदद लेने के लिए भी कहा.
'बीसीसीआई से दूरी बनाए रखें श्रीनिवासन'
कोर्ट ने श्रीनिवासन से बीसीसीआई से दूरी बनाए रखने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने हालांकि पूर्व खिलाड़ी सुनील गावस्कर और मौजूदा भारतीय क्रिकेट टीम के निदेशक रवि शास्त्री के कमेंटेटर के तौर पर सेवाएं देने के संदर्भ में हितों के टकराव और पेशेवर हित में स्पष्ट अंतर व्यक्त किया. श्रीनिवासन ने तो कोर्ट के फैसले पर चुप्पी साधे रखी, लेकिन कई पूर्व खिलाड़ियों, प्रशासकों और वकीलों ने कोर्ट के फैसले की सराहना की है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की हुई सराहना
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि कोर्ट का फैसला 'हितों के टकराव' जैसे विवादित मुद्दे की पड़ताल की दिशा में अहम फैसला है. इसके अलावा पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी, आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी और हर्षा भोगले ने भी ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं और कोर्ट के फैसले की सराहना की.
ललित मोदी की ट्वीट्सः
Extremely happy with the Hon. Supreme Court judgement on #srinivasan ..always believed that I would be vindicated #IPLVerdict
— Lalit Kumar Modi (@LalitKModi) January 22, 2015
Haven't read 130page #IPLVerdict but overjoyed Hon. SC has struck down the amendments made to rule 6.2.4 that created conflict of interest
— Lalit Kumar Modi (@LalitKModi) January 22, 2015
Cannot agree more on SC's observation: "Game is a game only if it is pristine and free from any sporting fraud" #IPLVerdict is watershed!
— Lalit Kumar Modi (@LalitKModi) January 22, 2015
Hope that the 3-Member Committee of former Judges constituted by the SC will bring the #IPLVerdict to its logical conclusion.
— Lalit Kumar Modi (@LalitKModi) January 22, 2015