आईपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग केस पर सुनवाई करते हुए सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने ‘मैच फिक्सिंग’ की पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह जाहिर करे कि गिरफ्तार आरोपियों ने ही मैच फिक्स किए थे.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा ने पुलिस से कहा कि आप टेलीफोन पर हुई जिस बातचीत (गिरफ्तार आरोपियों के बीच) का जिक्र कर रहे हैं वह बिल्कुल यह नहीं जाहिर करती कि उसमें मैच फिक्सिंग का कोई पुट है. यह सिर्फ सट्टेबाजी से जुड़ा हुआ है. मैच फिक्सिंग के बारे में कोई संकेत नहीं है.’
न्यायाधीश ने आरोप तय करने पर दलीलों की सुनवाई करते हुए विशेष सरकारी वकील राजीव मोहन से पूछा, ‘क्या सट्टेबाजी अपने आप में एक अपराध है?’ अदालत के सवाल के जवाब में मोहन ने कहा, ‘सट्टेबाजी अपने आप अवैध है लेकिन यह अपराध नहीं है.’ इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘किस प्रावधान के तहत, सट्टेबाजी अवैध है? किसी फौजदारी कानून के तहत सट्टेबाजी एक अवैध गतिविधि है?’ अभियोजक ने जवाब दिया, ‘यह दीवानी कानून में अवैध गतिवधि है और फौजदारी कानून में नहीं.’
आरोपों को तय करने के सवाल पर बहस के दौरान मोहन ने आरोपियों के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि वे लोग मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी में शामिल थे. उन्होंने बताया कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड साफ तौर पर आरोपियों के बीच संबंध को जाहिर करता है जो पैसा कमाने के आपराधिक गिरोह का हिस्सा थे. इस पर अदालत ने कहा, ‘आप जो कुछ कह रहे हैं वह 100 फीसदी सत्य हो सकता है लेकिन कृपया मुझे साक्ष्य दिखाइए.’ दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने मामले की आगे की कार्यवाही के लिए 8 मई की तारीख तय की.
-इनपुट भाषा से