बीते रविवार को 75 बरस की उम्र में अपनी आंखें हमेशा के लिए मूंद लेने वाले बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया को हमेशा ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिसने भारतीय क्रिकेट को आत्मनिर्भर संस्था बनाया और क्रिकेट की ताकत को इंग्लैंड के लॉर्डस से कोलकाता के ईडन गार्डन्स तक पहुंचाया.
डालमिया ने बदला भारतीय क्रिकेट
डालमिया ने अपने लंबे प्रशासनिक करियर के दौरान अच्छा, बुरा और बदतर हर तरह का दौर देखा. भारतीय क्रिकेट को उनका सबसे बड़ा तोहफा 1990 के दशक की शुरुआत में वर्ल्ड टेल के साथ लाखों डालर का टेलीविजन करार था जिसने बीसीसीआई को दुनिया में सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. कुशल रणनीतिकार डालमिया ने 1987 में भारत की सहमेजबानी में रिलायंस वर्ल्ड कप और 1996 में विल्स वर्ल्ड कप के आयोजन में अहम भूमिका निभाई.
बंगाल क्रिकेट संघ से शुरू हुआ था डालमिया का सफर
डालमिया ने 35 साल के अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत राजस्थान क्लब से बंगाल क्रिकेट संघ की कार्यकारी समिति का सदस्य बनकर की जबकि इसके बाद वह कैब के कोषाध्यक्ष और सचिव भी बने. बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष बीएन दत्त के शागिर्द डालमिया 1980 के दशक में कोषाध्यक्ष बने और उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिन्होंने एनकेपी साल्वे को मनाया कि रिलायंस कप के फाइनल का आयोजन वानखेड़े स्टेडियम की जगह कोलकाता के ईडन गार्डन्स में कराया जाए. उन्होंने उस वक्त के अपने खास मित्र रहे इंद्रजीत सिंह बिंद्रा के साथ मिलकर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को पछाड़कर भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका को 1996 वर्ल्ड कप की सह मेजबानी दिलाई. वर्ष 1997 में उन्हें सर्वसम्मति से इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल का अध्यक्ष चुना गया.
पवार खेमे से नहीं बनी
वर्ष 2001 में वह एसी मुथैया को हराकर बीसीसीआई अध्यक्ष बने. इसके बाद अगले चुनाव में उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए अपने खेमे के उम्मीदवार रणबीर सिंह महेंद्रा को अपना निर्णायक मत देकर सिर्फ एक मत से अपने प्रतिद्वंद्वी एनसीपी के दिग्गज नेता शरद पवार को हराया. हालांकि पवार, एन श्रीनिवासन, शशांक मनोहर और ललित मोदी की चौकड़ी ने बिंद्रा के समर्थन से अगले साल ना सिर्फ महेंद्रा को हराया बल्कि उनके खिलाफ तमाम मामले भी खोल दिए. उन्हें 2006 में बीसीसीआई से निलंबित किया गया और उनके घरेलू संघ (CAB) से भी बाहर कर दिया गया. डालमिया ने इसके बाद लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर राज्य संघ में अपना स्थान वापस हासिल किया. आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण सामने आने के बाद वह अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पहले सर्वसम्मत उम्मीदवार थे और इस साल की शुरुआत में वह एक बार फिर सर्वसम्मति से बीसीसीआई अध्यक्ष बने.