पाकिस्तान के आक्रामक बल्लेबाज जावेद मियांदाद ने एक क्रिकेट वेबसाइट से अपने वर्ल्ड कप की यादें शेयर कीं. पढ़िए उनका ये किस्सा, उन्हीं की जुबानीः
वर्ल्ड कप टीम में शामिल सचिन तेंदुलकर
‘मैं 18 साल का भी नहीं हुआ था तब. पहली बार 1975 का वर्ल्ड कप हो रहा था. ये बिल्कुल नया फॉर्मेट था. पर मुझे खुशी थी कि वर्ल्ड क्रिकेट के सारे बड़े नाम एक ही जगह इकट्ठे हो रहे हैं.
मैं टीम में उम्र में सबसे छोटा था, तो सब सीनियर्स मुझे बेबी कहते थे. पर मुझे इसका बुरा नहीं लगता था. मैं तो मैच के पहले गीली बॉल से बैटिंग प्रैक्टिस करता रहता था.
हमारा पहला मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था. मुझे फाइनल इलेवन में मौका नहीं मिला. हम ये मैच हार गए. फिर अगला मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ था. मुझे टीम में रख लिया गया. मैच के अगले दिन मेरा 18वां बर्थडे था. इसलिए मैं इस मैच में यादगार परफॉर्मेंस देना चाहता था.
मगर हुआ कुछ उल्टा ही. हम हार गए और सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर हो गए. हमने 266 रन बनाए थे. जवाब में एक समय वेस्टइंडीज के 166 रन पर आठ विकेट गिर गए. एक छोटी साझेदारी के बाद उनका स्कोर था 9 विकेट पर 203 रन. उन्हें अभी भी जीत के लिए 64 रन की दरकार थी. और कमाल देखिए, उन्होंने यह लक्ष्य हासिल कर लिया. हमें वह मैच नहीं हारना चाहिए था. आज तक इसकी तकलीफ है. अगले दिन मेरा जन्मदिन था और मैं जोर-जोर से रो रहा था.’
वैसे ध्यान रखें कि उसके बाद जावेद मियांदाद ने दुनिया भर के बॉलर्स को खूब रुलाया. भारत को तो आज तक उनके हमले की कसक है, जब मियांदाद ने एक मैच की आखिरी गेंद, जिसे चेतन शर्मा ने फेंका था, उस पर छक्का मार पाकिस्तान को जीत दिलाई थी.
मियांदाद के नाम सबसे ज्यादा वर्ल्ड कप (6) खेलने का भी रेकॉर्ड है. उन्होंने आखिरी वर्ल्ड कप 1996 में खेला. सचिन ने 2011 का वर्ल्ड कप खेलकर उनके इस रेकॉर्ड की बराबरी की.