scorecardresearch
 

'चुनिंदा लोगों की सोच, पूरे समाज की सोच नहीं', आज के माहौल पर कपिल देव का बयान

कपिल देव ने दिल्ली के इंडिया इस्लामिक सेंटर में स्पोर्टस एसोसिएशन के कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने देश में किसी भी तरह के साम्प्रदायिक तनाव से इंकार किया है...

Advertisement
X
Kapil dev in a Program
Kapil dev in a Program
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पढ़ाई में मन नहीं लगा, तो क्रिकेट को चुन लिया: कपिल देव
  • भारत के लिए ना खेल पाता तो यह जीवन संघर्ष लगता

देश को 1983 वर्ल्ड कप का खिताब जिताने वाले पूर्व क्रिकेट कप्तान कपिल देव देश में किसी भी तरह के साम्प्रदायिक तनाव से इंकार करते हैं. उनका कहना है कि कुछ चुनिंदा लोगों की सोच और मानसिकता पूरे समाज की मानसिकता नहीं मानी जा सकती.

Advertisement

उन्होंने कहा कि आज इस विषय पर जो लोग भी बोल रहे हैं, वह उनकी निजी राय हो सकती है, पूरे समाज से उनका कोई संबध नहीं है. कपिल देव मंगलवार को दिल्ली के इंडिया इस्लामिक सेंटर में स्पोर्टस एसोसिएशन द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे. 

'लोग शिक्षित होंगे तो कोई उन्हें गुमराह नहीं कर सकेगा'

देश में मंदिर-मस्जिद को लेकर बन रहे माहौल को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में कपिल देव ने कहा कि इस तरह की बातें पहले भी होती रही हैं. तीन या चार साल पहले भी कुछ लोग ऐसी बातें किया करते थे. समाज में किसी एक व्यक्ति की सोच या विचारधारा को समूचे समाज की विचारधारा नहीं समझना चाहिए. किसी को भी छोटी सोच नहीं रखनी चाहिए. सोच को हमेशा बड़ा रखकर आगे बढ़ना चाहिए. सभी को शिक्षा हासिल करनी चाहिए. लोग शिक्षित होंगे तो कोई भी उन्हें गुमराह नहीं कर सकेगा, लेकिन अशिक्षित व्यक्ति को कोई भी आसानी से गुमराह कर सकता है.

Advertisement

पटरी पर सामान बेचने वालों का जीवन कड़ा संघर्ष

जीवन के यादगार पलों के बारे में पूछे जाने पर कपिल देव ने कहा कि भारत के लिए खेलना ही उनके लिए यादगार है और जीवन का सबसे बड़ा आनंद भी वही है. जीवन में संघर्ष के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यदि भारत के लिए ना खेल पाता तो यह जीवन संघर्ष लगता, लेकिन भारत के लिए खेलने के बाद जीवन संघर्ष नहीं, बल्कि कामयाब और असान लगता है. क्रिकेट मेरे लिये संघर्ष नहीं बल्कि एक ख़ूबसूरत यात्रा थी. यह जीवन संघर्ष तो वास्तव में उन लोगों के लिए है जो पटरी पर सामान लगाकर बेच रहे हैं और उन्हें यह चिंता है कि घर में आज खाना बन पाएगा या नहीं.

kapil dev

पढ़ाई में मन नहीं लगा, तो क्रिकेट को चुन लिया

क्रिकेट में आने से संबधित सवाल के जवाब में कपिल देव ने कहा कि बचपन में पढ़ाई में मन नहीं लगता था और स्कूल से क्रिकेट खेलने के लिए पढ़ाई से हर हफ़्ते 3 दिन की छुटटी मिलती थी, इसलिये क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया. सफलता का राज पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जीवन में किसी की भी सफ़लता का राज काम के प्रति समर्पण, उत्साह व जोश होता है और सभी को अपने जीवन में अपने काम के प्रति समर्पण और उत्साह को बनाए रखना चाहिए तभी सफलता के मुकाम पर पहुंचा जा सकता है.

Advertisement

1983 में जिम्बाब्वे के खिलाफ हुए वर्ल्ड कप के मैच की वीडियो रिकार्डिंग ना होने का अफ़सोस तो नहीं, इस सवाल पर कपिल देव ने कहा कि अफ़सोस नहीं बल्कि ख़ुशी है, क्योंकि बिना रिकॉर्डिंग के आज भी उस मैच के बारे में बात हो रही है.  

राजनीति में जाने को लेकर कपिल ने क्या कहा?

राजनीति में जाने को लेकर किए गए सवाल पर कपिल देव ने इन्कार कर दिया. उन्होंने मदर टेरेसा का उदाहरण देते हुए कहा कि राजनीति में जाए बिना भी अच्छे काम और समाज की सेवा की जा सकती है. कपिल देव से जब जीवन में उनके हीरो या आदर्श के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि समय के साथ साथ हीरो बदलते रहे हैं. बचपन में कक्षा का मानीटर हीरो होता था, उसके बाद जीवन में जैसे-जैसे नए नए लोग मिलते गए हीरो भी नए नए बनते गए. उन्होंने कहा कि जो केवल किसी एक को ही अपना हीरो मानकर रूक जाता है उसकी सफ़लता भी वहीं रूक जाती है.

'क्रिकेट को लेकर माता-पिता से प्रोत्साहन नहीं मिला'

क्रिकेट खेलने को लेकर माता-पिता से प्रोत्साहन मिलने के सवाल पर कपिल देव ने कहा कि माता-पिता से उन्हें कोई प्रोत्साहन नहीं मिला, लेकिन इसमें माता-पिता की गलती नहीं, क्योंकि उस समय खेल में या संगीत आदि अन्य गतिविधियों से जीवन नहीं बनता था और सभी माता-पिता अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने के बजाय पढ़ा लिखाकर पैरों पर खड़ा करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि आज स्थितियां बदल गई हैं आज इन खेलों के प्रति आकर्षण और पैसा बढ़ा है, जिससे माता पिता भी अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement