सिडनी टेस्ट के ड्रॉ होने के साथ ही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया की झोली में चली गई. सिडनी की सपाट विकेटों पर जहां भारतीय टीम को दो स्पिन गेंदबाजों की कमी खली वहीं एक बार फिर बल्लेबाजों ने टेस्ट बचा लिया.
0-2 से सीरीज हारे तो बहुत हद तक इसका कारण गेंदबाज रहे. भारतीय गेंदबाजी कितनी बिखरी हुई थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोई भी एक बॉलर सभी चार टेस्ट नहीं खेल सका. मोहम्मद शमी ने भारत के लिए सबसे अधिक 15 विकेट लिए तो अश्विन ने 12 वहीं उमेश यादव ने 11 और ईशांत शर्मा ने 9 विकेट लिए. इन सभी गेंदबाजों ने तीन-तीन टेस्ट खेले. 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में शिकस्त के बावजूद बल्लेबाजों ने ये दिखाया कि भारतीय बल्लेबाजी कितनी मजबूत है. कुल मिलाकर यह सीरीज बल्लेबाजों के नाम रही और भारत के बाहर खेली गई सीरीज में पहली बार भारतीय बल्लेबाजों ने 7 शतक लगाए.
इस सीरीज में अपने प्रदर्शन की बदौलत भारतीय टीम के नए चमकते सितारे बन गए हैं कप्तान विराट कोहली, ओपनर मुरली विजय और मध्यक्रम के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे.
मुरली बने विजयी ओपनर
सबसे पहले जिस बल्लेबाज की बात होनी चाहिए वो हैं मुरली विजय. विजय ने खेली गई 8 पारियों में 60.25 की औसत से 482 रन बनाए. उन्होंने एक शतक लगाया जबकि 99 और 80 के स्कोर
के साथ चार अर्धशतक. सबसे बड़ी बात तो यह रही कि उन्होंने पूरी सीरीज के दौरान 23 घंटे पिच पर बल्लेबाजी की. मुरली ने इंग्लैंड में भी 25 घंटे बल्लेबाजी की थी. इस प्रकार मुरली विजय के
रूप में भारतीय टीम को अब टेस्ट क्रिकेट का एक सॉलिड ओपनर मिल चुका है.
कोहली हुए और विराट
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह सीरीज भारत के नए टेस्ट कप्तान विराट कोहली की थी. उन्होंने पहले टेस्ट में की दोनों पारियों में सेंचुरी समेत कुल चार शतक लगाए. केवल 33 टेस्ट
पुराने कोहली ने ऑस्ट्रेलिया में ब्रिसबेन टेस्ट (19 और 1) छोड़कर बाकी तीनों टेस्ट में शतक लगाया. एडिलेड में 115 और 141, मेलबर्न में 169 और 54 जबकि सि़डनी में 147 और 46 की
पारियां खेली. कुल मिलाकर इस सीरीज में विराट ने 8 पारियों में 86.5 की औसत से 692 रन बनाए. ‘लीडिंग फ्रॉम द फ्रंट’ किसे कहते हैं यह कप्तान विराट कोहली की ऑस्ट्रेलिया में खेली गई इस
सीरीज से पता चलता है. इंग्लैंड में वो बुरी तरह असफल रहे थे लेकिन इस दौरे में उनकी बल्लेबाजी एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है.
रहाणे बने टीम इंडिया के नए दीवार
जिस एक बल्लेबाज के खेल की बहुत तारीफ की जानी चाहिए वो हैं अजिंक्य रहाणे. रहाणे ने सीरीज में खेली गई 8 पारियों में 57 की औसत से 399 रन बनाए. उन्होंने इस दौरान एक शतक और
दो अर्धशतक भी लगाए. रहाणे ने इससे पहले इंग्लैंड में भी एक शतक (लॉर्ड्स टेस्ट) और दो अर्धशतक लगाए थे. विदेशी पिचों पर रहाणे अब तक तीन शतक और 6 अर्धशतक की मदद से 1069
बना चुके हैं और निश्चित तौर पर मुंबई का यह शांतचित्त बल्लेबाज टीम में राहुल द्रविड़ की ही तरह सबसे मजबूत दीवार बनता जा रहा है. उनका विकेट लेना विपक्षी गेंदबाजों के लिए चुनौती
बनता जा रहा है. सिडनी टेस्ट की दूसरी पारी में यह अजिंक्य रहाणे ही थे जो अंत तक आउट हुए बगैर 38 रन बनाए और टेस्ट को ड्रॉ कराने में कामयाब हुए.
टीम इंडिया ने पूरी सीरीज में 2757 रन बनाए. इनमें से 1573 रन इन तीनों बल्लेबाजों ने बनाए. यानी कुल बनाए गए रनों में से लगभग 57 फीसदी इन तीनों के बल्ले से निकले. इनके इस शानदार प्रदर्शन से यह कहा जा सकता है कि भारतीय टीम को गांगुली, द्रविड़ और सचिन के बाद नए अपने नए त्रिदेव मिल गए हैं.