1983 के विश्व कप में सुनील गावस्कर के साथ टीम इंडिया के लिए ओपनिंग करने वाले कृष्णमाचारी श्रीकांत भारतीय टीम के लिए अहम खिलाड़ी रहे. मैदान के अंदर और बाहर उनका अंदाज बिल्कुल अलग था. आज के परिदृश्य में अगर श्रीकांत को समझना है तो वीरेंद्र सहवाग का उदाहरण दिया जा सकता है. श्रीकांत अपने हिसाब से ही बल्लेबाजी करते थे. मैदान पर लंबे शॉट्स लगाकर विरोधी टीम को शुरू में ही बैकफुट पर ढकेल देते थे.
1983 विश्व कप विजेता और 1985 वर्ल्ड चैम्पियनशिप विजेता टीम के अहम सदस्य श्रीकांत आज (21 दिसंबर) 62 साल के हो गए. इन दोनों टूर्नामेंट में श्रीकांत ने अहम भूमिका निभाई थी.
श्रीकांत अपनी बातों से टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम पर कभी दबाव नहीं बढ़ने देते थे. आज भी जब वो सबके सामने आते हैं, उनका वही पुराना अंदाज नजर आता है. श्रीकांत का जन्म 21 दिसंबर 1959 को चेन्नई में हुआ था. श्रीकांत ने 90 के दशक के पहले ही क्रिकेट में पिंच हिटिंग नाम के खेल का ईजाद कर दिया था. जो आगे चलकर कई महान सलामी बल्लेबाजों ने वनडे फॉर्मेट में अपनाया. सचिन तेंदुलकर, सनथ जयसूर्या, एडम गिलक्रिस्ट और वीरेंद्र सहवाग इस खेल और आगे ले गए.
22 साल की उम्र मे अपना इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले श्रीकांत ने 11 साल तक भारतीय टीम के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेला. कहा जाता है कि इतना समय काफी होता किसी भी चीज को बदलने में...लेकिन श्रीकांत के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ. श्रीकांत का खेल बिल्कुल वैसा ही रहा जैसा उन्होंने शुरुआत की थी.
श्रीकांत का टेस्ट करियर
श्रीकांत ने भारत के लिए 43 टेस्ट की 72 पारियों में 29.88 की औसत से 2062 रन बनाए, जिसमें 2 शतक शामिल हैं. श्रीकांत ने अपना टेस्ट डेब्यू 1981 में मुंबई में इंग्लैंड के खिलाफ किया था. श्रीकांत के नाम 2 टेस्ट शतक हैं. उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था. सिडनी में खेली गई इस पारी में श्रीकांत ने 117 गेंदों में 116 रनों की पारी खेली थी. इस पारी में 19 चौके और 1 छक्का जड़ा था.
वनडे के उस्ताद श्रीकांत
श्रीकांत ने वनडे में 146 मुकाबले खेले, जिसमें उन्होंने 29.01 की औसत से 4091 रन बनाए. श्रीकांत के वनडे करियर में 4 शतक हैं. इसके अलावा 80 के उस दौर में श्रीकांत ने इस फॉर्मैट में 71.74 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की. यह उस वक्त भारतीय बल्लेबाजों में सबसे ज्यादा था. श्रीकांत ने 1983 विश्व कप फाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ 38 रन बनाए थे. इस पारी में सभी भारतीय बल्लेबाज असफल रहे थे. श्रीकांत के 38 रन उस फाइनल में सर्वाधिक स्कोर थे. वेस्टइंडीज और भारतीय टीम का कोई बल्लेबाज श्रीकांत के उस स्कोर को पार नहीं कर पाया था.
दो फाइनल जिताने में अहम भूमिका
इसके अलावा 1985 की वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल में भी श्रीकांत ने 67 रन बनाकर भारत को फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ जीत दिलाई थी. इस चैम्पियनशिप में श्रीकांत ने सबसे ज्यादा रन बनाए थे. श्रीकांत इस चैम्पियनशिप में 5 मैचों में 59.50 की औसत से 238 रन बनाए थे. क्रिस श्रीकांत भारतीय टीम के लिए 1992 तक खेले. 1989 में उन्हें भारतीय टीम कीम कमान भी सौंपी गई, लेकिन वह कोई खास कमाल नहीं कर सके.
टीम इंडिया के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने श्रीकांत की कप्तानी में ही भारतीय टीम के लिए पहली बार मैदान पर कदम रखा था. श्रीकांत ने 4 टेस्ट और 13 वनडे मुकाबलों में कप्तानी की है. श्रीकांत की कप्तानी में सभी टेस्ट ड्रॉ रहे और वह बतौर कप्तान सिर्फ 4 वनडे मुकाबले ही जीत पाए और 8 में हार मिली.
अपने क्रिकेट करियर के बाद क्रिस श्रीकांत ने 2011 विश्व कप में भी एक अहम रोल अदा किया था. श्रीकांत 2008 से 2012 तक भारतीय क्रिकेट टीम की चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे. उन्हीं की देखरेख में 2011 की विश्व कप टीम चुनी गई थी.