कानपुर वनडे में भी जीत के पीछे विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी की बड़ी भूमिका रही. भले ही वो आज टीम इंडिया के कप्तान नहीं हैं. लेकिन जब भी टीम को उनकी जरूरत होती है या फिर टीम मुसीबत में होती है तो धोनी सामने आकर बड़ी भूमिका निभा जाते हैं.
कीवी बल्लेबाज को एक गलती पड़ी भारी
कानपुर वनडे में भी एक वक्त मैच टीम इंडिया के हाथ से फिसलती जा रही थी. कीवी बल्लेबाज मैदान के चारों तरफ शॉट लगाकर रन बटोर रहे थे. भारतीय गेंदबाज एक विकेट झटक कर मैच में वापसी के लिए हर दांव आजमा रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी. ऐसे में कीवी बल्लेबाज ने एक गलती की और धोनी ने अपनी चालाकी से उसे विकेट में तब्दील कर दिया.
धोनी की चालाकी से भारत को मिली सफलता
दरअसल न्यूजीलैंड के बल्लेबाज टॉम लाथम क्रीज पर जमे हुए थे और मजबूत इरादे के साथ शॉट जड़ रहे थे. लेकिन नॉन स्ट्राइकर पर खड़े लाथम छोर बदलने के चक्कर में धोनी के जाल में जा फंसे. हुआ यूं कि, 48वें ओवर की 5वीं गेंद जैसे ही जसप्रीत बुमराह ने फेंकी, बल्लेबाजी डे ग्रांडहोम्मे रन के लिए भागना चाहते थे. लेकिन उन्होंने तुरंत इरादा बदल लिया, क्योंकि गेंद धोनी के हाथों में पहुंच चुकी थी. जबकि दूसरे छोर पर खड़े लाथम बिना देखे दौड़ पड़े, जिसके बाद धोनी अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए गेंद बिना देरी किए दूसरे छोर पर खड़े बुमराह को थमा दी, और फिर बुमराह ने पीछ मुड़कर कुछ दूर से थ्रो कर लाथम को रनआउट कर पवेलियन भेज दिया.
विकेट साबित हुआ मैच का टर्निग प्वाइंट
धोनी की इस चालाकी को मैदान में मौजूद भारतीय टीम के साथ-साथ मैच का आनंद ले रहे दर्शक देखकर हैरान रह गए. आखिर कैसे पल झपकते धोनी ने खुद से आउट करने के बजाय गेंद बुमराह को देकर लाथम का विकेट सुनिश्चित कर लिया. कीवी बल्लेबाज लाथम 65 रन बनाकर आउट हुए. एक तरह से मैच का यही विकेट टर्निग प्वाइंट था. जिसे धोनी से अपनी सूझबूझ से कैश कर लिया.
बेहतरीन खेल रहे थे लाथम
अगर इस स्टेज पर आकर भारत को लाथम का विकेट नहीं मिलता तो मैच का परिणाम कुछ और हो सकता था. क्योंकि पिछले दोनों वनडे में लाथम ने शानदार बल्लेबाजी की थी. मुंबई में तो लाथम ने शानदार 103 रनों की नॉटआउट पारी खेली थी. जबकि पुणे वनडे में 38 रन बनाए थे.
लाथम का विकेट गिरते ही टीम इंडिया ने इस मैच में वापसी कर ली और फिर 6 रन मैच अपने नाम कर लिया. इस मैच में जीत के साथ ही भारत ने सीरीज पर भी 2-1 से कब्जा कर लिया.