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Lucknow Test Match: जब लखनऊ में मैच हुआ, सिद्धू ने 8 छक्के मारे और लखनऊ-दिल्ली के बीच फ़ैक्स सेवाएं बाधित हुईं

ये मैच नयन मोंगिया का पहला क्रिकेट मैच था. लेकिन इसके इर्द-गिर्द और भी कई कहानियां हैं. सबसे बात होनी चाहिये नवजोत सिंह सिद्धू की. भारत ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया. था तो टेस्ट मैच लेकिन मनोज प्रभाकर और सिद्धू ने कुछ ज़्यादा ही धीमी बल्लेबाज़ी की.

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Navjot Singh Sidhu (File Pic: Getty)
Navjot Singh Sidhu (File Pic: Getty)

18 जनवरी 1994. कड़ाके की ठंड. इतनी ठंड कि दिल्ली की सर्दी का फ़र्ज़ी फ़्रेज़ शर्मिंदा हो जाए. क्यूंकि शहर का नाम है लखनऊ. केडी सिंह बाबू स्टेडियम में दूसरा अंतर्राष्ट्रीय मैच खेला जाने वाला था. इससे पहले 1989 में पाकिस्तान और श्रीलंका यहां एक वन-डे मैच खेल चुके थे. इमरान खान प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट घोषित हुए थे. लेकिन अब कुछ साढ़े 3 साल बाद बारी थी इंडिया और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच की.

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ये मैच नयन मोंगिया का पहला क्रिकेट मैच था. लेकिन इसके इर्द-गिर्द और भी कई कहानियां हैं. सबसे बात होनी चाहिये नवजोत सिंह सिद्धू की. भारत ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया. था तो टेस्ट मैच लेकिन मनोज प्रभाकर और सिद्धू ने कुछ ज़्यादा ही धीमी बल्लेबाज़ी की. मनोज प्रभाकर ने तो 108 गेंदों में मात्र 21 रन बनाये. लगभग ढाई घंटे क्रीज़ पर बिताने वाले प्रभाकर ने एक चौका मारा. चूंकि टेस्ट मैच था इसलिये कुछ कहा नहीं गया लेकिन इसी साल के अंत की ओर उन्होंने लखनऊ के पड़ोसी शहर कानपुर के ग्रीन पार्क में वेस्ट-इंडीज़ के ख़िलाफ़ सेंचुरी तो मारी मैच के अंतिम ओवरों में इतनी धीमी बल्लेबाज़ी की कि फ़िक्सिंग आदि की बू आने लगी. खैर, नवजोत सिंह सिद्धू ने सचिन तेंडुलकर के साथ 121 रनों की पार्टनरशिप की. विक्रमसिंघे की शुरुआती टाइट गेंदबाज़ी के बाद सचिन ने खेल को खोलना शुरू किया और सिद्धू ने कुछ देर बाद क्रीज़ पर आगे-पीछे दौड़ना शुरू किया. 

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भारत की ज़मीन पर पहली बार टेस्ट मैच खेलने के लिये आये नये नवेले गेंदबाज़ मुथैया मुरलीधरन नवजोत सिंह सिद्धू के कोप का सबसे बड़ा शिकार बने. सिद्धू ने उन्हें कुल 6 छक्के मारे. हालांकि मुरलीधरन ने ही उन्हें आउट भी किया. सिद्धू उन्हें सातवां छक्का मारने के चक्कर में थे और लॉन्ग-ऑन बाउंड्री पर रुवान कल्पगे ने उन्हें कैच किया. सिद्धू ने अपनी पारी में कुल 8 छक्के मारे थे और ये अब तक का भारतीय रिकॉर्ड है. इसके बाद 2019 में इंदौर में मयंक अग्रवाल ने बांग्लादेश के ख़िलाफ़ 8 छक्के मारे.

इसके बाद सचिन तेंडुलकर अपनी रौ में चालू रहे. दिन का खेल ख़तम होने पर सचिन 88 रनों पर और कप्तान अज़हर 20 रनों पर खेल रहे थे. सचिन ने अगले दिन अपना शतक पूरा किया और कुल 142 रन बनाये. उन्होंने अपनी पारी में 22 चौके मारे. ये सचिन तेंडुलकर का 7वां और श्रीलंका के ख़िलाफ़ दूसरा टेस्ट शतक था. इससे पहले सचिन तेंडुलकर ने घरेलू ज़मीन पर महज़ एक ही शतक बनाया था जो चेन्नई में इंग्लैण्ड के ख़िलाफ़ 11 फ़रवरी 1993 को स्कोरबुक्स में दर्ज हुआ.

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पहले दिन का खेल ख़तम होने की एक और रोचक कहानी है जो खेल पत्रकार और इसपीएन स्टार डॉट कॉम के एडिटर रह चुके जयदीप घोष बताते हैं. जयदीप ये मैच कवर करने के लिये लखनऊ पहुंचे हुए थे. असल में ये उनकी क्रिकेट कवर करने की पारी का डेब्यू था. वो कहते हैं कि जिस तरह से भारतीय टीम उन दिनों अपनी पिचों पर विरोधी खेमे को पनपने का मौका भी नहीं देती थी, लोग इस बात पर शर्त लगा रहे थे कि मैच आख़िर कितने दिन चलेगा. इसी क्रम में वो कहानी बताते हैं कि कैसे मैच के पहले दिन, यानी 18 जनवरी को नयी दिल्ली और लखनऊ के बीच के ऑप्टिकल केबल में कुछ समस्या आ गयी. इसका नतीजा ये हुआ कि दिल्ली से आये पत्रकार अपनी मैच रिपोर्टें दिल्ली के दफ़्तरों में फ़ैक्स नहीं कर सके. इसका फ़ायदा उठाया छोटे पत्रकारों ने और उन्होंने जुगाड़ बिठाकर अपनी मैच रिपोर्ट दिल्ली पहुंचायी. अगले रोज़, राजधानी से छपने वाले, एक नहीं कई बड़े अख़बारों में उन्हें बाईलाइन मिली हुई थी.

जिन मुथैया मुरलीधरन के नाम अलग-अलग अख़बारों में अलग-अलग तरीक़े से छप रहे थे, उन्होंने पारी में कुल 162 रन तो दिए लेकिन 5 विकेट भी निकाले.

भारत के 511 रनों के जवाब में श्रीलंका को फ़ॉलो-ऑन तक खेलना पड़ गया. दोनों पारियों में कुल 392 रन ही बस सके. पहली पारी में रोशन महानामा और दिलीप समरवीरा ने सेंचुरी से ज़्यादा रनों की पार्टनरशिप की लेकिन उसके बाद विकेटों का बांध खुल गया जो मैच ख़तम होने तक नहीं रुका. अनिल कुम्बले ने पहली पारी में गेंदबाज़ी की तो 4 विकेट निकाले. फ़ॉलो-ऑन खिलाते समय तो उन्होंने कोई कसर ही नहीं छोड़ी और 7 आउट किये. गेंदबाज़ी वाले हाथ और उंगलियों में चोट के बावजूद उन्होंने कुल 11 विकेट निकाले और दो-दो शतकवीरों के रहते प्लेयर ऑफ़ द मैच उठाया.

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जैसा कि जयदीप बता रहे थे कि लोग इस बात का तुक्का मार रहे थे कि मैच कितने दिनों में ख़तम हो जायेगा, असल में ऐसा हुआ भी था. इसी लिये ये मैच और भी स्पेशल बन जाता है. दोनों टीमों को मालूम पड़ चुका था कि भारत पूरी तरह से हावी था. उन्होंने चौथे दिन, यानी 21 जनवरी को आपस में ही बातचीत करके तय किया कि चौथे दिन दोनों टीमें आराम करेंगी. और इस तरह से 21 जनवरी को एक भी गेंद नहीं फेंकी गयी. 22 जनवरी को श्रीलंका के कुल 13 विकेट गिरे और भारत ये मैच एक पारी और 119 रनों से जीत गया. इस सीरीज़ के तीनों टेस्ट, भारत ने पारी के अंतर से ही जीते. हालांकि इसमें अम्पायरों के कई विवादास्पद फैसलों का भी हाथ रहा जो भारत के पक्ष में ही जाते दिखे. 

 

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