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वर्ल्ड कप: 1992 वाले ग्रेटबैच के अवतार में हैं मैकुलम

1992 वर्ल्डकप ने दुनिया को पिंच हिटर दिए. तब न्यूजीलैंड के ओपनर मार्क ग्रैटबैच को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे उठाकर शॉट खेलेंगे और उन्हें सिर्फ 30 गज का दायरा पार करना होगा. इस बार ग्रेटबैच की भूमिका में हैं ब्रैंडम मेकुलम.

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मैकुलम
मैकुलम

क्रिकेट विश्वकप टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड एक बार फिर 1992 वाले रंग में है. अरे हां, बताते चलें कि विश्वकप में रंगीन जर्सी पहली बार क्रिकेटरों ने तभी पहनी थी. और बॉलरों को भी पहली बार पता चला था कि विश्वकप में सफेद बॉल से गेंदबाजी की सजा क्या हो सकती है. उसी वर्ल्डकप ने दुनिया को पिंच हिटर दिए. न्यूजीलैंड के ओपनर मार्क ग्रैटबैच को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे उठाकर शॉट खेलेंगे और उन्हें सिर्फ 30 गज का दायरा पार करना होगा. इस बार ग्रेटबैच की भूमिका में हैं ब्रैंडम मेकुलम.

ग्रेटबैच की कामयाबी ने पावर प्ले की बल्लेबाजी में नया ट्रेंड सेट किया. हालांकि, तब भारत के श्रीकांत भी ऐसे ही शॉट खेलते थे, लेकिन उसके पीछे उनकी कोई योजना नहीं थी. ग्रेटबैच से प्रेरणा लेकर ही 1996 विश्वकप में जयसूर्या और कालूवितरना की जोड़ी का जन्म हुआ. 15 ओवर में ही रनों का पहाड़ खड़ा कर दो. कह सकते हैं कि पावर प्ले के इसी रोमांच से संभवत: 20-20 क्रिकेट का सूत्रपात हुआ.

न्यूजीलैंड के लिए न्यूजीलैंड में खेलना उतना ही फायदेमंद है, जितना भारत के लिए भारत में खेलना. उसे अपने लीग के हर मैच वहीं खेलना है, जैसे 1992 में हुआ था. मैदान छोटे हैं. कौन-सी बाउंड्री कितनी पास है, खिलाडि़यों को अच्छे से पता है. और सबसे बड़ी बात, वहां के दर्शक अपनी टीम के समर्थन में जबर्दस्त माहौल खड़ा करते हैं.

1992 में पिंच हिटिंग और दीपक पटेल से गेंदबाजी की शुरुआत कराने का प्रयोग किया गया. इस बार वैसा तो कुछ नहीं है, लेकिन न्यूजीलैंड की टीम में ओपिनिंग मैकुलम कर रहे हैं. उन्हें इस साल न्यूजीलैंड का स्पोर्ट्समैन ऑफ द इयर का भी अवार्ड मिला है. वहां पहली बार यह किसी क्रिकेटर को दिया गया है. न्यूजीलैंड का मध्यक्रम संभाला है कोरी एंडरसन ने. एंडरसन याद हैं न, वन डे में सबसे तेज शतक लगाने वाले. अब तक यह टीम श्रीलंका को बुरी तरह पटखनी दे चुकी है. 331 रनों का विशाल लक्ष्य देने के बाद उसे 233 पर ऑलआउट करके. इस मैच में मैकुलम ने 49 बॉल में 65 रन बनाए तो एंडरसन ने 46 बॉल पर 75. स्कॉटलैंड का मैच 25 ओवर में निपटा दिया, तो इंग्लैंड का दस ओवर में ही.

इन सबके बावजूद न्यूजीलैंड की टीम भी दक्षिण अफ्रीका की तरह ही मानी जाती है. जो फॉर्म में हुई तो टूर्नामेंट पर दबदबा कायम रखती है. लेकिन अंतिम अहम मुकाबलों में हार जाती है. क्रिकेट के दीवाने जानते ही हैं कि 1992 में न्यूजीलैंड के सेमीफाइनल तक के सफर में क्या-क्या हुआ. सात मुकाबलों में एकतरफा जीत हासिल करते हुए वह सेमीफाइनल में पहुंची. यहां पाकिस्तान को 262 का लक्ष्य दिया. फिर उसके चार विकेट 140 रन के भीतर झटक लिए. वह फाइनल की ओर बढ़ रही थी कि आखिरी दस ओवरों में 22 साल के इंजमाम उल हक ने मैच पलट दिया. बेहद दबाव में 37 बॉल पर 60 रन ठोंककर. अब क्या कहेंगे?

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