आखिरकार 39 साल के महेंद्र सिंह धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. क्रिकेट के मैदान पर उनका जीवन खुली किताब की तरह रहा, लेकिन निजी जिंदगी के पन्ने उन्होंने कभी नहीं खोले, जिसमें वह सोचते और फैसले लेते आए हैं. विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल में रन आउट होने के बाद से पिछले एक साल में उन्हें लेकर तरह-तरह की अटकलें लगीं, लेकिन उन्होंने चुप्पी नहीं तोड़ी.
धोनी का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर जाना भारतीय प्रशंसकों के लिए किसी सदमे से कम नहीं. उन्होंने जब भी कोई निर्णय लिया, अचानक उसकी खबर फैली. ऐसा पहली बार नहीं, जब उन्होंने अपने फैसले की भनक तक नहीं लगने दी हो. दिसंबर 2014 में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बीच में ही अचानक टेस्ट कप्तानी छोड़ी थी. इतना ही नहीं उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से तत्काल रिटायर होने की भी घोषणा कर दी.
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मीडिया से उनका खट्टा मीठा रिश्ता रहा है. कभी किसी को कोई ‘एक्सक्लूसिव’ उनसे नहीं मिला और आम प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी सवाल का जवाब वह कई तरह से देने में माहिर थे. विश्व कप 2015 सेमीफाइनल मैच के बाद उन्होंने कहा था, ‘मैं हमेशा बाबा (तत्कालीन टीम मैनेजर) से कहता हूं कि मीडिया आपके काम से खुश है तो इसका मतलब है कि आप अपना काम ठीक से नहीं कर रहे.’
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) का नाम आने के बाद मुंबई में 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए टीम की रवानगी से पहले उन पर सवालों की बौछार होती रही, लेकिन गरिमामय मुस्कान से उन्होंने जवाब दिया.
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कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि उनके कप्तान हमेशा धोनी रहेंगे और इस धुरंधर की मौजूदगी ने विराट का काम हमेशा आसान किया. भारतीय क्रिकेट में कई महान खिलाड़ी हुए और आगे भी होंगे, लेकिन अपनी शर्तों पर अपने करियर की दिशा तय करने वाले ‘कैप्टन कूल ’ धोनी जैसा कप्तान और खिलाड़ी सदियों में एक पैदा होता है.