भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पर 'बलिदान बैज' के निशान को लेकर जारी विवाद में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी कूद पड़े हैं. उन्होंने धोनी को इस विवाद को खत्म करने का सुझाव दिया है.
बीजेपी नेता स्वामी ने ट्वीट किया, 'मेरी महेंद्र सिंह धोनी को बिना मांगी गई सलाह: धोनी अगर आप आईसीसी के नियमों से सहमत हो जाते हैं, तो आपका कुछ भी नुकसान नहीं होता है. हालांकि यह मायने नहीं रखता है कि यह कितना अनुचित है. इस विवाद को खत्म करो. इसका आपके क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं है. इस विवाद को भारत विरोधी ताकतें तूल देना चाहती हैं.'
My unasked for advice to Dhoni: You lose nothing by agreeing to ICC Rules no matter how intrusive it is. Terminate the controversy which nothing to with your awe inspiring cricket. Anti Indian forces would like this controversy to grow
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 7, 2019
आपको बता दें कि बुधवार को साउथेम्प्टन में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले मैच के दौरान महेंद्र सिंह धोनी को बलिदान बैज के साथ खेलते देखा गया था. वो जो ग्लव्स पहने हुए थे, उसमें बलिदान बैज का निशान बना हुआ था.
जब धोनी विकेटकीपिंग कर रहे थे, तब इसको देखा गया और इसके बाद से विवाद पैदा हो गया. जब इस मामले ने ज्यादा तूल पकड़ा, तो आईसीसी ने महेंद्र सिंह धोनी को अपने दस्ताने से इस निशान को हटाने के लिए कह दिया. हालांकि धोनी ने अपने ग्लव्स से इस निशान को हटाने से साफ इनकार कर दिया.
वहीं, भारतीय सेना ने धोनी के ग्लव्स पर बने निशान को बलिदान बैज मानने से इनकार किया है. सेना के सूत्रों का कहना है कि बलिदान बैज स्पेशल फोर्सेज का प्रतीक चिह्न है, जो मरून रंग में होता है. इस चिह्न में हिंदी में बलिदान लिखा गया है. इसको अक्सर सीने पर लगाया जाता है. सेना का कहना है कि धोनी के ग्लव्स में जो निशान दिख रहा है, वह पैरा स्पेशल फोर्सेज का प्रतीक है.
जब आईसीसी ने धोनी से अपने ग्लव्स से इस निशान को हटाने को कहा, तो बीसीसीआई उनके समर्थन में उतर आई. बीसीसीआई के सीओए चीफ विनोद राय का कहना है कि आईसीसी को खत लिखकर कहा गया है कि वह महेंद्र सिंह धोनी को बालिदान बैज वाले ग्लव्स को पहनने की इजाजत दे.
इसके बाद खेल मंत्रालय भी धोनी के समर्थन में आ गया. केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, 'खेल निकायों के मामलों में सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है. वे स्वायत्त हैं, लेकिन जब मुद्दा देश की भावनाओं से जुड़ा होता है, तो राष्ट्रहित को ध्यान में रखना पड़ता है. मैं बीसीसीआई से आईसीसी में इस मामले को उठाने का अनुरोध करना चाहूंगा.'