पांच साल के लंबे इंतजार के बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ दूसरे मैच में अपना पहला वनडे अर्धशतक जमाने वाले मुरली विजय सीमित ओवरों के क्रिकेट में भी अपनी छाप छोड़ने को बेताब हैं.
दूसरे मैच में मैन ऑफ द मैच रहे विजय
दो साल बाद वनडे टीम में चुने गए विजय ने 95 गेंदों में 72 रन बनाए जिसकी बदौलत उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. विजय और अजिंक्य रहाणे ने पहले विकेट के लिये 112 रन की साझेदारी करके टीम इंडिया की 62 रनों से जीत में अहम भूमिका निभाई.
अपनी पारी से खुश हैं विजय
मैच के बाद विजय ने बीसीसीआई टीवी से कहा, 'मैं इस पारी से बहुत खुश हूं क्योंकि इन हालात में अच्छी शुरुआत जरूरी थी. पहले मैच के बाद हमने इस पर बात की थी. हमने तय किया था कि शुरुआती विकेट जल्दी नहीं गंवाने हैं क्योंकि इससे मध्यक्रम पर दबाव पड़ता है. अजिंक्य और मैं अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे. मैं और रन बना सकता था लेकिन खेल में ऐसा चलता है. मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं क्योंकि आखिर में टीम की जीत हुई.'
'मुझे अपनी तकनीक पर पूरा भरोसा'
यह पूछने पर कि क्या इस मैच के लिए उन्होंने अपनी तकनीक में कोई बदलाव किया? उन्होंने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो नहीं. मैं पहले वनडे में सिर्फ नौ गेंद खेल सका लेकिन मेरा फुटवर्क सही था और मैं गेंद को बखूबी देख पा रहा था. मुझे कुछ बदलाव करने की जरूरत नहीं थी. मुझे अपनी क्षमता पर भरोसा करते हुए सिर्फ रणनीति पर अमल करने पर फोकस करना था. मैं जानता था कि मेरी बल्लेबाजी में कोई खामी नहीं है. मुझे बस शाट्स के चयन में सावधानी बरतनी थी.'
अजीब विकेट के चलते हुई थोड़ी समस्या
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे आज मैदान पर जमने में समय लगा क्योंकि ये बड़े अजीब विकेट हैं. आपको लगता है कि आप जम गए हैं लेकिन एक अच्छी गेंद पर आप आउट हो सकते हैं. पहले दस ओवर में मैंने कई अच्छे शाट लगाये लेकिन गेंद सीधे फील्डर के पास गई. उसके बाद मुझे लगा कि कुछ अलग करने की बजाय मुझे इंतजार करना चाहिये. मैं और अजिंक्य स्ट्राइक बखूबी रोटेट कर रहे थे और कुछ हड़बड़ी करने की जरूरत नहीं थी. धीरे धीरे विकेट आसान हो गया और मुझे लगा कि 25वें ओवर तक टिकने पर मैं शुरूआती धीमी बल्लेबाजी की भरपाई कर सकूंगा.'
इनपुट: भाषा