क्रिकेट के इतिहास में 15 नवंबर की तारीख बेहद खास है. 33 साल पहले साल 1989 में आज ही के दिन 16 साल 205 दिन की उम्र के एक लड़के ने कराची के नेशनल स्टेडियम में पहला टेस्ट मैच खेला था. वह लड़का उस समय मुश्ताक मोहम्मद और आकिब जावेद के बाद सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाला तीसरा टेस्ट क्रिकेटर था. तब शायद किसी ने सोचा नहीं होगा कि यही लड़का एक दिन 'क्रिकेट का भगवान' कहलाएगा. जी हां! बात हो रही है सचिन रमेश तेंदुलकर की.
उस कराची टेस्ट के जरिए सचिन तेंदुलकर का ऐसा सफर हुआ, जिसने विश्व क्रिकेट में अपनी अमिट छाप छोड़ी. सचिन ने डेब्यू के बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा और कीर्तिमानों की झड़ी लगाते हुए कुल 200 टेस्ट मैच भी खेले. 24 साल के यादगार करियर के दौरान सचिन ने टेस्ट क्रिकेट में 53.78 की औसत से 15921 रन बनाए. इस दौरान उनके बल्ले से 51 शतक और 68 अर्धशतक निकले. वनडे इंटरनेशनल में भी सचिन तेंदुलकर ने 49 शतक और 86 अर्धशतक लगाए. यानी कि तेंदुलकर के नाम पर इंटरनेशनल क्रिकेट में कुल 100 शतक हैं.
छठे नंबर पर बैटिंग करने उतरे थे सचिन
सचिन तेंदुलकर के पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम कमान कृष्णमाचारी श्रीकांत के हाथों में थी. पहली पारी में पाकिस्तान ने 409 रन बन बनाकर भारत को दबाव में डाल दिया था. नतीजतन एक समय भारतीय टीम 41 के स्कोर पर 4 विकेट गंवा चुकी थी. जब चौथे विकेट के रूप में मनोज प्रभाकर आउट हुए तो सचिन क्रीज पर उतरे. छठे नंबर पर बैटिंग करने वाले सचिन ने 24 गेंदों का सामना किया और दो चौकों की मदद से 15 रन बनाए. साथ ही सचिन ने मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ 32 रनों की साझेदारी की.
आखिरकार सचिन को जिस पाकिस्तानी तेज गेंदबाज ने आउट किया वह भी अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहा था. वो गेंदबाज कोई और नहीं वकार यूनुस थे. वकार ने सचिन को अपने शानदार इनस्विंगर से क्लीन बोल्ड किया था. भारत ने पहली पारी में 262 रन बनाए. मजे की बात है कि कराची टेस्ट में सचिन और वकार के अलावा शाहिद सईद (पाक) और सलिल अंकोला ने भी डेब्यू किया था. सईद और अंकोला का यह पहला और आखिरी टेस्ट साबित हुआ.
दूसरी पारी में बैटिंग का नहीं मिला मौका
पाकिस्तान ने अपनी दूसरी पारी 305/5 के स्कोर पर घोषित कर दी और भारत को 453 रनों का टारगेट मिला. भारतीय बल्लेबाजों ने बेहतर प्रदर्शन (303/3) कर मैच ड्रॉ करा लिया, हालांकि सचिन को दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला. अपना 100वां टेस्ट मैच खेल रहे कपिल देव ने उस टेस्ट में 7 विकेट लिए (एक अर्धशतक भी) और मैन ऑफ द मैच रहे.
इसके बाद फैसलाबाद में खेले गए दूसरे टेस्ट की पहली पारी में सचिन ने 172 गेंदों में 59 रन बनाकर अपना पहला अर्धशतक पूरा किया. अगले मैच (लाहौर) में तेंदुलकर एक और अर्धशतक के करीब पहंचे, लेकिन 41 रन बनाकर अब्दुल कादिर की गेंद पर बोल्ड हो गए थे. याद दिला दें कि पाकिस्तान के खिलाफ वह टेस्ट सीरीज अंत में ड्रॉ पर छूटी.
सचिन की नाक पर लगी थी गेंद: वकार
वकार यूनुस ने उस टेस्ट सीरीज को लेकर एक इंटरव्यू में कहा था, 'पहला टेस्ट कराची में था और मैंने उसे (सचिन) जल्दी आउट कर दिया था. मुझे लगता है कि उसने 15 रन बनाए होंगे. उसने अपनी छोटी पारी के दौरान दो अच्छे ऑन और स्ट्रेट ड्राइव खेले. उस सीरीज में सियालकोट के ग्रीन टॉप विकेट पर वह अर्धशतक (57) जड़ने में कामयाब रहा. इस पारी के दौरान शुरू में ही उसे नाक पर गेंद लगी. 16 साल का बच्चा... चोट के बाद बिल्कुल पीला-सा पड़ गया था, लेकिन बहुत दृढ़ था.'
वकार ने कहा, 'मुझे याद है कि सिद्धू उनके साथ बल्लेबाजी कर रहे थे. दोनों ने दोबारा तैयार होने में पांच-सात मिनट लिए और फिर से तैयार हो गए. सचिन ने फिफ्टी पूरी की. पहली नजर में उसने मुझे ऐसा नहीं लगने दिया कि वह महान सचिन तेंदुलकर बनने जा रहा है. उसके बाद के वर्षों में उसने जो किया वह अद्भुत है. मैदान पर मैदान से बाहर भी. उस समय मुझे नहीं पता था कि वह क्रिकेट में इतना बड़ा नाम होगा. लेकिन उसे उसकी मेहनत की कीमत मिल गई.'
आखिरी पारी भी 15 नवंबर को खेली
इसे संयोग ही माना जाएगा कि 2013 में सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट क्रिकेट की आखिरी पारी 15 नवंबर को ही खेली थी. वेस्टइंडीज के खिलाफ 14 नवंबर को शुरू हुए मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेल गए टेस्ट के दूसरे दिन (15 नवंबर) सचिन 74 रन बनाकर पवेलियन लौटे थे. इसके साथ ही 24 साल 1 दिन के सफर के बाद सचिन तेंदुलकर ने आराम लिया.