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On This Day: हेनरी ओलंगा ने तानाशाही के खिलाफ मैच में विरोध जताया.... आखिरकार देश छोड़कर भागना पड़ा

2003 के विश्व कप में हेनरी ओलंगा ने अपने देश में तानाशाही के खिलाफ एक बिगुल फूंका था, बीच विश्व कप में तानाशाही का विरोध करने पर इन्हें सजा भी मिली.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • हेनरी ओलंगा ने तानाशाही का किया विरोध
  • क्रिकेट करियर को दांव पर लगाया
  • एंडी फ्लावर ने दिया था साथ

This is the moment
When all I've done
All of the dreaming
Scheming and screaming
Become one

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I won't look down
I must not fall
This is the moment
The sweetest moment
Of them all

This is the moment
Damn all the odds
This day or never
I'll sit forever with the gods
When I look back
I will always recall
Moment for moment
This was the moment
The greatest moment
Of them all

द वॉइस ऑस्ट्रेलिया के 2019 के ब्लाइंड ऑडिशन हो रहे थे. एक 40 साल के आस-पास का शख्स एक मशहूर ब्रॉडवे म्यूज़िकल का ये गीत गा रहा था. वहां बैठे जज मुंह खोलकर और आंखें फाड़कर उसे देख रहे थे. और सामने बैठी ऑडियंस तालियां पीट रही थी. उसने गाना खत्म किया तो उसके बारे में पूछा गया. उसने कहा, 'मेरा नाम हेनरी ओलंगा है. असल में मैं ज़िम्बाब्वे से हूं. मेरा एक लंबा इतिहास है. मैं टेस्ट क्रिकेट खेला करता था. ये बहुत साल पहले की बात है. मेरे जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव रहे. तनाशाह का विरोध करने के बाद मुझे अपना देश छोड़ना पड़ा और इंग्लैंड में शरण लेनी पड़ी. मैं गाया करता था. हाईस्कूल में गाता था. लेकिन फिर क्रिकेट मुझे इससे दूर लेकर चला गया.'

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90 के दशक का शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा जिसे क्रिकेट की बाल भर भी जानकारी हो और वो इस नाम से वाकिफ़ न हो - हेनरी ओलंगा. एक ऐसे दौर में, जब ज़िम्बाब्वे एक करारी टीम हुआ करती थी, हेनरी ओलंगा उसके सबसे मज़बूत स्तम्भ थे. सचिन और ओलंगा का मुक़ाबला लगभग सचिन-वॉर्न और सचिन-अख्तर के मुक़ाबलों के बराबर का ही कद रखता था. यूट्यूब पर हेनरी ओलंगा के इस ऑडिशन के वीडियो पर पहले 4 कमेन्ट भारतीय यूज़र्स के ही हैं और सभी कमेंट्स सम्मान से भरे हैं. हेनरी ओलंगा का एक हासिल ये भी है. 

लेकिन 10 फ़रवरी 2003 को वो घटना हुई थी जिसका ज़िक्र हेनरी ओलंगा ने उस ऑडिशन में किया. हेनरी ओलंगा ने हरारे स्पोर्ट्स क्लब में खेले जा रहे मैच में मुगाम्बे के राज का विरोध किया था. 2003 का क्रिकेट वर्ल्ड कप, एक ही दिन पहले, यानी 9 फ़रवरी को शुरू हुआ था. ये उस विश्व कप का दूसरा मैच था. ज़िम्बाब्वे और नामीबिया के बीच इस मैच में हेनरी ओलंगा और ऐंडी फ़्लॉवर अपनी बांह पर काली पट्टी बांधकर उतरे. 

मुगाबे और तानाशाही की संक्षिप्त कहानी

रॉबर्ट मुगाबे की तानाशाही की कहानी बेहद सीमित शब्दों में यूं समझाई जा सकती है- जब उनका देश एक ब्रिटिश कॉलोनी था, तब मुगाबे को ख़ासे अत्याचार सहने पड़े. अंग्रेज़ी हुकूमत का विरोध करने पर उन्हें जेल में ठूंस दिया गया. वो लोकप्रिय नेता बन गए और 1980 में पूरे देश ने ख़ुद को उन्हें सौंप दिया. लेकिन फिर मुगाबे ने अलग ही तस्वीर गढ़नी शुरू की. 1983 में उन्होंने अपने विरोधियों का सफ़ाया करने के आदेश दिए.

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मालूम पड़ा कि इसमें दसियों हज़ार लोगों को मार दिया गया. लगभग 4 दशक लम्बे चले मुगाबे के दौर में भ्रष्टाचार अपने चरम पर रहा. इस दौरान मुगाबे ने हर वो काम किया जिससे उनकी ज़िन्दगी ऐश में बीते और उनके विरोधियों को कुचला जा सके. उन्होंने हर असफलता का ठीकरा या तो विरोधियों के सर पर या ब्रिटेन के सर पर फोड़ा. मुगाबे कहते थे - "मुझे यहां भगवान ने बिठाया है. और भगवान के अलावा कोई और मुझे हटा नहीं सकता.'' 2017 में उन्हें सत्ता से बेदखल किया गया.

10 फ़रवरी को क्या हुआ?

9 फ़रवरी को वर्ल्ड कप का पहला मैच हुआ. ब्रायन चार्ल्स लारा ने शानदार वापसी की और शतक मारा. मेज़बान साउथ अफ़्रीका ये मैच हार गई. अगले दिन, यानी 10 फ़रवरी को एक 'छोटा' मैच होना था. ज़िम्बाब्वे बनाम नामीबिया. इस मैच को लेकर बहुत उत्साह से नहीं देखा जा सकता था. लेकिन मैच शुरू होने के 2 घंटे पहले वो घटनाक्रम शुरू हुआ जिसने इस 'छोटे' मैच को इतना बड़ा बना दिया कि इसने तमाम ज़िंदगियों को बदल दिया.

वाइल्डहॉर्न और लेस्ली ब्रिक्स के लिखे बोल फिर याद आते हैं

I won't look down
I must not fall
This is the moment
The sweetest moment
Of them all

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मैच शुरू होने से कुछ वक़्त पहले ऐंडी फ़्लॉवर और हेनरी ओलंगा अपना विरोध ज़ाहिर करते हुए काली पट्टी बांधेंगे और देश में 'लोकतंत्र की मृत्यु' पर दुख जताते हुए पब्लिक स्टेटमेंट देंगे. इन दोनों को तुरंत ही ज़िम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड के CEO विन्स हॉग के पास ले जाया गया. उन्होंने लाख समझाया, लेकिन ये दोनों नहीं माने. और थोड़ी ही देर में प्रेस को ओलंगा और एंडी फ़्लावर ने अपना स्टेटमेंट थमा दिया.

This is the moment
Damn all the odds
This day or never
I'll sit forever with the gods

लेकिन अभी भी, बाक़ी दुनिया को इसकी भनक नहीं लगी थी. क्यूंकि ज़िम्बाब्वे पहले बल्लेबाज़ी कर रही थी. पत्रकारों में खुसफुसाहट तो थी, लेकिन ज़िम्बाब्वे के इतिहास और उस समय की स्थिति को देखते हुए किसी घटना की उम्मीद कम की जा रही थी. लेकिन टीम की बालकनी में हेनरी ओलंगा देखे जा चुके थे. वो पूरी किट पहने हुए थे और उनकी बांह पर काला टेप लगा हुआ था. ये वो टेप था जो लगभग हर क्रिकेटर की किट बैग में मिलता है.

ये इस बात का सूचक था कि ओलंगा ने बगैर आधिकारिक मदद के ये विरोध करने का फैसला लिया था. क्यूंकि अधिकारिक काली पट्टियां इस टेप की नहीं होती थीं. खैर, ज़िम्बाब्वे का पहला विकेट 22वें ओवर में गिरा. एंडी फ़्लावर बल्लेबाज़ी करने पहुंचे. उनकी बांह पर भी काली पट्टी/टेप दिख रहा था.

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ज़िम्बाब्वे के अधकारियों में खलबली मच चुकी थी. इन दोनों खिलाड़ियों के मैच से पहले दिए गए स्टेटमेंट और बांह पर चिपके काले टेप ने कहानी को मूर्त रूप दे दिया था. लेकिन वैश्विक स्तर के टूर्नामेंट में हो रहे इस शांत प्रदर्शन के चलते ज़िम्बाब्वे के अधिकारी कुछ ख़ास कर भी नहीं सकते थे. सिवाय, मैच देखने के.ज़िम्बाब्वे ने वो मैच जीता. एंडी फ़्लावर ने 29 गेंदों में 39 रन बनाए. हेनरी ओलंगा ने 3 ओवरो में 8 रन दिए. 

Henry Olonga and Andy Flower (Reuters)
Henry Olonga and Andy Flower

मैच के बाद क्या हुआ?

ओलंगा बताते हैं कि वो घर वापस आए और उन्हें ख़ुद पर गर्व था. हेनरी ओलंगा ने ये भी कहा था, 'अगर कोई मुझे मारना चाहता था तो आ जाये. लोगों को मालूम है मैं कहां रहता हूं.'

मैच के बाद ज़िम्बाब्वे के क्रिकेट बोर्ड ने मामला आईसीसी को रेफ़र किया और खिलाड़ियों पर एक्शन लेने को कहा. लेकिन ओलंगा और फ़्लॉवर को दुनिया भर में सराहा जा रहा था. आईसीसी कुछ ख़ास करने के मूड में नहीं थी. उसने खिलाड़ियों को आगाह किया कि वो दोबारा ऐसी हरकत नहीं कर सकते थे.

ओलंगा कहते हैं, "आईसीसी ने हमें ऐसा दोबारा न करने के लिये कहा. लेकिन उन्होंने सही शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया. तो इसके बाद हमने सफ़ेद पट्टी लगायी. फिर लाल."

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हांलाकि कभी भी खिलाड़ियों को सफ़ेद या लाल पट्टी के साथ मैदान पर नहीं उतरने दिया गया. हेनरी ओलंगा को ज़िम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने आख़िरी ग्यारह में जगह नहीं दी. वो एंडी फ़्लावर के साथ भी ऐसा करना चाहते थे लेकिन बोर्ड को मालूम था कि ऐसा होने पर सीनियर खिलाड़ी मैदान में न उतरने का मन बना चुके थे.

इसके अलावा, फ़्लावर ओर ओलंगा, दोनों को न खिलने पर ये संदेश भी जाता कि इन्हें न खिलाने के लिये राजनीतिक कारण थे. लिहाज़ा ख़राब फ़ॉर्म का हवाला देकर ओलंगा को नहीं खिलाया गया. ओलंगा को जगह मिली सुपर सिक्स के आख़िरी मैच में जहां ज़िम्बाब्वे के सामने थी केन्या की टीम. 

वर्ल्ड कप के बाद क्या हुआ?

इतने बड़े टूर्नामेंट के दौरान, जिसपर दुनिया भर की निगाहें थीं, ओलंगा और फ़्लावर ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर रहे थे. उनका टूर्नामेंट का आख़िरी मैच श्रीलंका के ख़िलाफ़ हुआ. ज़िम्बाब्वे टूर्नामेंट से बाहर हो ही चुकी थी. उस मैच के बारे में ओलंगा कहते हैं, "मैं उस मैच में खेलना चाहता था लेकिन तब तक ये साफ़ था कि मेरी जान को ख़तरा था. इसलिए मैं दिमाग़ी तौर पर तैयार नहीं था. मुझे वहां के सिक्योरिटी ऑफ़िसर ने बताया था कि श्रीलंका वाले मैच में 6 सीक्रेट पुलिस के लोग थे. मुझे हमारे पूर्व मैनेजर डैन स्टैनार्ड, जो ख़ुद कभी सीक्रेट पुलिस में थे, ने बताया था कि वो मुझे मारने आये थे और मुझे बचके रहना चाहिए."

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इसके बाद ओलंगा के साथ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण तरीक़े का व्यवहार किया गया. ओलंगा ने मैच खत्म होते ही क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी. इसके बाद जब टीम होटल से निकलकर हवाई अड्डे की ओर चली तो ओलंगा को बस में घुसने से मना कर दिया गया. उनसे कहा गया कि वो अपने साधन से हवाई अड्डे पहुंचे और होटल का बिल ख़ुद भरें. ओलंगा को बस के साथ चलने वाली सिक्योरिटी के साथ, उनकी गाड़ी में बैठकर हवाई अड्डे जाना पड़ा. 

पोर्ट एलिज़ाबेथ से फ़्लाइट पकड़कर अपने टीम के साथियों के साथ हेनरी ओलंगा जोहानिलबर्ग पहुंचे. यहां उन्होंने सभी से विदा ली और कुछ महीनों के लिये गायब हो गए. उनके टीम के साथी डगलस हॉन्डो ने उनकी क्रिकेट किट उनके घर पहुंचायी. 

यहां से हेनरी ओलंगा इंग्लैण्ड पहुंचे. 2006 में उनका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया. वो 9 साल तक इंग्लैंड से बाहर नहीं निकल सके. फिर उन्हें ब्रिटिश नागरिकता मिली जिसके बाद वो ऑस्ट्रेलिया चले गए. फ़िलहाल, हेनरी ओलंगा ऑस्ट्रेलिया में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं. और एक दिन दुनिया ने उन्हें ये गाते हुए सुना:

When I look back
I will always recall
Moment for moment
This was the moment
The greatest moment
Of them all...

 

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