टीम इंडिया की क्रिकेटिंग जर्नी साल 1932 में शुरू हुई थी, जब उसने इंग्लैंड के खिलाफ अपना डेब्यू टेस्ट मैच खेला था. सीके नायडू के नेतृत्व में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में खेले गए उस शुरुआती टेस्ट मैच को महज तीन दिनों में गंवा दिया था. टीम इंडिया की हार के बावजूद उस मुकाबले में मोहम्मद निसार छाए रहे थे.
मोहम्मद निसार ने भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट की पहली गेंद डाली थी. दाएं हाथ के तेज गेंदबाज निसार ने भारत के उस पदार्पण मैच में पहला विकेट चटकाने के साथ ही 5 विकेट हॉल भी पूरा किया था. आज ही (1 अगस्त) के दिन साल 1910 में पंजाब के होशियारपुर में मोहम्मद निसार का जन्म हुआ था.
निसार से गेंदबाज भारत में कभी नहीं हुआ!
निसार को अपने करियर में महज 6 टेस्ट (सभी इंग्लैंड के खिलाफ) मैच खेलने का मौका मिला, लेकिन इस दौरान उनकी गेंदों की रफ्तार काफी सुर्खियों में रही. सीके नायडू ने अपने एक लेख में कहा था कि निसार इंग्लैंड के तेज गेंदबाज हेराल्ड लारवुड से भी तेज थे. आज भी माना जाता है कि निसार जैसा तेज गेंदबाज भारत में कभी नहीं हुआ. द्वितीय विश्व युद्ध और भारत के विभाजन के चलते निसार की उपलब्धियों को भुला दिया गया.
लॉर्ड्स में भारत के ऐतिहासिक पहले टेस्ट मैच को देखने के लिए लगभग 25,000 लोग मौजूद थे. इंग्लिश कप्तान डगलस जार्डिन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी. इंग्लैंड की ओर से पर्सी होम्स और हर्बर्ट सटक्लिफ पारी की शुरुआत करने उतरे. सटक्लिफ और होम्स की ओपनिंग जोड़ी ने नौ दिन पहले ही यॉर्कशायर के लिए 555 रन जोड़े थे, लेकिन मोहम्मद निसार की रफ्तार के आगे दोनों ओपनर धराशाई हो गए.
इसके बाद फ्रैंक वूली भी रन आउट हो गए जिसके चलते इंग्लैंड का स्कोर 19/3 रन हो गया. बाद में कप्तान डगलस जार्डिन के 79 रनों की बदौलत इंग्लिश टीम पहली पारी में 259 रन बना पाई. मोहम्मद निसार ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 93 रन देकर 5 विकेट झटके. जवाब में सीके नायडू (40), नाओमल जूमाल (33) और वजीर अली (31) की बदौलत एक समय भारत का स्कोर 110/2 रन था. इसके बाद इंग्लैंड ने शानदार वापसी करते हुए भारत की पहली पारी को 189 रनों पर समेट दिया.
फिर इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी 8 विकेट पर 275 रन बनाकर घोषित कर दी. दूसरी पारी में भारत की ओर से जहांगीर खान ने 60 रन देकर 4 विकेट चटकाए. 346 रनों के टारगेट का पीछा करते हुए भारतीय टीम अपनी दूसरी पारी में 187 रनों सिमट गई. इस तरह भारत को अपने डेब्यू टेस्ट में 158 रनों से हार का सामना करना पड़ा था.
26 साल की उम्र में खेला अपना आखिरी मैच
भारत को 1933-34 में अपने घर पर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेलने का दूसरा मौका मिला. मुंबई में खेले गए उस टेस्ट मैच में निसार ने एक बार फिर गेंदबाजी का आगाज किया और पारी में 5 विकेट निकाले. इस दौरे में इंग्लैंड की टीम लगभग अजेय रही, हालांकि बनारस में विजयनगरम इलेवन के महाराजा से इंग्लिश टीम को 14 रनों की हार झेलनी पड़ी थी. निसार ने उस मैच में 117 रन देकर 9 विकेट चटकाए थे.
1936 में भारत ने एक बार फिर इंग्लैंड का दौरा किया. निसार ने उस दौरे के तीसरे टेस्ट में एक बार फिर 5 विकेट हॉल लिया. दुर्भाग्यवश 26 साल के निसार का वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का आखिरी मैच साबित हुआ. उसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध और राजनीतिक हालातों के चलते भारत 10 सालों तक क्रिकेट से दूर रहा.
मोहम्मद निसार ने छह टेस्ट मैचों में 28.28 की औसत से 25 विकेट झटके. इनमें से 13 मौकों पर उन्होंने बल्लेबाजों को एलबीडब्ल्यू आउट किया था, जो उनकी गेदों की रफ्तार को प्रमाणित करते थे. निसार ने अपने पहले और आखिरी टेस्ट दोनो में 5 विकेट हॉल लेने का कारनामा किया. निसार ने 93 फर्स्ट क्लास मैचों में 396 विकेट चटकाए थे. इस दौरान उन्होंने 32 बार पारी में पांच या उससे ज्यादा विकेट हासिल किए.
अमर सिंह के साथ बनाई धांसू जोड़ी
मोहम्मद निसार के साथ-साथ अमर सिंह को कौन भूल सकता है. दाएं हाथ के फास्ट बॉलर अमर सिंह भी विपक्षी बल्लेबाजों के लिए किसी खौफ से कम नहीं थे. अमर सिंह ने ही भारत के पदार्पण टेस्ट मैच में मोहम्मद निसार के साथ गेंदबाजी की कमाल संभालते हुए दूसरे एंड से बॉलिंग की शुरुआत की थी. राजकोट में पैदा हुए अमर सिंह ने भारत के लिए 7 टेस्ट खेलकर 28 विकेट चटकाए.
वहीं 92 फर्स्ट क्लास मैचों में अमर सिंह नाम पर 506 विकेट दर्ज हैं. अंग्रेज खिलाड़ी लेन हटन ने एक बार कहा था कि अमर सिंह से बढ़िया गेंदबाज दुनिया में कोई नहीं है. अमर सिंह निचले क्रम पर बल्ले से भी योगदान देने में माहिर थे. अमर सिंह ने ही भारत के डेब्यू टेस्ट मैच के दौरान दूसरी पारी में 51 रन बनाए थे, यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में किसी भारतीय बल्लेबाज का पहला अर्धशतक था. अमर सिंह टाइफाइड बीमारी की वजह से सिर्फ 29 साल और 169 दिन की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए.
विभाजन के बाद लाहौर में जाकर बस गए
बंटवारे के समय कई नवाबों ने मोहम्मद निसार को भारतीय पक्ष में रहने के लिए अनुरोध करते हुए पत्र लिखा था, लेकिन निसार का दिल लाहौर में था. विभाजन के बाद निसार पत्रों के माध्यम से अपने भारतीय साथियों के संपर्क में रहते थे. लेकिन वह पंजाब में अपने जन्म स्थान होशियारपुर का दौरा करने में सक्षम नहीं थे.
मोहम्मद निसार पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के संस्थापकों में से एक रहे. उन्होंने पाकिस्तान की पहली टीम चुनी थी. लेकिन बाद में राजनीति की वजह से उन्होंने क्रिकेट प्रशासन छोड़ दिया. निसार ने पाकिस्तान रेलवे में ट्रैवल अधिकारी के रूप में काम करना जारी रखा. यात्रा के दौरान क्रिकेट किट वह अपने साथ रखते थे. इस दौरान वह स्थानीय टीमों के साथ मैच खेला करते थे. 1963 में ऐसी ही एक यात्रा के दौरान हृदय गति रुकने से ट्रेन में ही उनका निधन हो गया. मौत के समय क्रिकेट किट उनके पास ही थी.
... उनके सम्मान में निसार ट्रॉफी
भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड ने साल 2006 में मोहम्मद निसार के सम्मान में निसार ट्रॉफी की शुरुआत की. इस टूर्नामेंट में दोनों देशों की ओर से घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट की विजेता टीम आपस में भिड़ती थीं. पहले दो साल उत्तर प्रदेश और मुंबई ने जीते. वहीं 2008 में सुई नॉर्दर्न गैस पाइपलाइन लिमिटेड की टीम ने दिल्ली को हराकर खिताब जीता था. उस मैच में युवा खिलाड़ी विराट कोहली को मैन ऑफ द मैच चुना गया. 2008 में हुए मुंबई हमले के बाद दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध बिगड़ गए, जिसके चलते यह टूर्नामेंट फिर कभी नही हो पाया.