भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 25 जून का दिन बेहद खास है. 41 साल पहले यानी 1983 में इसी टीम इंडिया ने पहली बार क्रिकेट विश्व कप जीता था. तब लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रनों से शिकस्त दी थी. भारतीय टीम की इस जीत से पूरी दुनिया दंग रह गई थी. उस वर्ल्ड कप की शुरुआत से पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि भारत खिताब जीत जाएगा, लेकिन कपिल देव के रणबांकुरों ने स्वर्णिम प्रदर्शन करके ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज जैसी दिग्गज टीमों को धूल चटाई.
भारतीय टीम की खिताबी जीत में सभी खिलाड़ियों ने अपनी भूमिका को बखूबी तरीके से निभाया. भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के मौजूदा प्रेसिडेंट रोजर माइकल हम्फ्री बिन्नी भी भारतीय टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने उस वर्ल्ड कप में गेंद से धांसू प्रदर्शन किया था. रोजर बिन्नी उस विश्व कप में 18 विकेट्स के साथ सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे. बिन्नी ने लगभग सभी मैचों में अच्छी बॉलिंग की थी. फाइनल मुकाबले में भी उन्होंने शानदार खेल दिखाया था और 10 ओवर्स में 23 रन देकर 1 विकेट हासिल किए.
Relive India's stunning win over the mighty West Indies in the 1983 men's @cricketworldcup final, including Kapil Dev's spectacular running catch to dismiss Viv Richards 🌟
— ICC (@ICC) June 25, 2020
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वैसे रोजर बिन्नी का 1983 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में सबसे अच्छा प्रदर्शन ऑस्ट्रलियाई टीम के खिलाफ रहा था. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उस मैच में भारत का जोश काफी हाई था, क्योंकि वह मैच जिम्बाब्वे के खिलाफ मुकाबले के ठीक बाद हुआ. जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में ही कपिल देव ने नाबाद 175 रन बनाए थे. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 60 ओवर में 247 रन बनाने का लक्ष्य दिया था, लेकिन उसकी पूरी टीम 129 रनों पर ढेर हो गई थी. बिन्नी ने 8 ओवर में 29 रन देकर 4 विकेट लिए थे. उन्होंने ग्राहम वूड, ग्राहम येलप, कप्तान डेविड हुक्स और अंत में टॉम होगान को आउट किया.
भारत के लिए खेलने वाले पहले एंग्लो-इंडियन क्रिकेटर
क्रिकेट वर्ल्ड कप 1983 में शानदार प्रदर्शन के बाबवजूद टीम के बाकी सदस्यों के मुकाबले उनकी उतनी चर्चा नहीं होती है. रोजर बिन्नी भारत के लिए खेलने वाले पहले एंग्लो-इंडियन क्रिकेटर थे. रोजर के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी ने भी आगे चलकर भारत का प्रतिनिधित्व किया. रोजर बिन्नी स्कॉटिश मूल के भारतीय हैं, हालांकि उनका जन्म भारत में ही हुआ.
दाएं हाथ के फास्ट बॉलिंग ऑलराउंडर रोजर बिन्नी ने 1979-87 के दौरान भारत के लिए 27 टेस्ट और 72 वनडे इंटरनेशनल मैचों में भाग लिया. उन्होंने साल 1979 में पाकिस्तान के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट के जरिए अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. बिन्नी ने टेस्ट क्रिकेट में 3.63 की औसत से 47 विकेट लिए. वहीं वनडे इंटरनेशनल में उनके नाम पर 29.35 के एवरेज से 77 विकेट दर्ज हैं. रोजर बिन्नी बल्ले से भी काफी योगदान देने में माहिर थे. उनके नाम पर टेस्ट में 830 और वनडे इंटरनेशनल में 629 रन दर्ज हैं.
रोजर बिन्नी ने क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कोचिंग को अपना करियर बनाया था. जब साल 2000 में मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह जैसे सितारों से सजी भारतीय टीम ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता था तो उस टीम के कोच रोजर बिन्नी ही थे. कैफ और युवराज जैसे सितारे अपनी कामयाबी में रोजर बिन्नी को श्रेय देना नहीं भूलते हैं. बिन्नी ने युवराज के लिए उसी समय कह दिया था कि वह काफी नाम कमाएंगे.
... विवादों में भी रह चुके रोजर बिन्नी
बता दें कि 68 साल के रोजर बिन्नी भारतीय टीम के चयनकर्ता भी रह चुके हैं. बिन्नी के चयनकर्ता रहते हुए साल 2014 उनके बेटे स्टुअर्ट बिन्नी का टीम इंडिया के लिए सेलेक्शन हुआ तो काफी बवाल मचा था. उस समय इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि पिता के चलते ही स्टुअर्ट का चयन हुआ है. बिन्नी ने इसे लेकर कहा था कि जब उनके बेटे का नाम चयन के लिए आया, तो वह मीटिंग छोड़ बाहर चले गए थे. बिन्नी 18 अक्टूबर 2022 को बीसीसीआई के प्रेसिडेंट बने.
ऐसा रहा भारत-वेस्टइंडीज का फाइनल मैच
फाइनल मुकाबले की बात करें तो वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया और 54.4 ओवरों में सिर्फ 183 रनों पर समेट दिया (तब 60 ओवरों के एकदिवसीय अंतरारष्ट्रीय मुकाबले होते थे). भारत की ओर से कृष्णमाचारी श्रीकांत ने सबसे ज्यादा 38 रन बनाए, जो बाद में फाइनल का सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर साबित हुआ.
वेस्टइंडीज जैसी तगड़ी टीम के लिए 184 रन कोई बड़ा लक्ष्य नहीं था, लेकिन तेज गेंदबाज बलविंदर सिंह संधू ने गॉर्डन ग्रीनिज को सिर्फ एक रन पर बोल्ड कर भारत को जबरदस्त सफलता दिलाई. हालांकि इसके बाद विवियन रिचर्डस ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 33 रन बना डाले. विव रिचर्ड्स को मदन लाल ने चलता किया.
रिचर्ड्स ने गेंद पर अचानक मिड विकेट की तरफ एक ऊंचा शॉट खेला. कपिल ने अपने पीछे की तरफ लंबी दौड़ लगाते हुए एक अद्धभुत कैच लपक लिया. विंडीज ने 57 के स्कोर पर तीसरा विकेट गंवाया. इस बेशकीमती विकेट के साथ भारतीय टीम का जोश दोगुना हो गया. रिचर्ड्स के आउट होने के बाद विंडीज की पारी संभल नहीं पाई. आखिरकार पूरी टीम 52 ओवरों में 140 रनों पर सिमट गई.
आखिरी विकेट के तौर पर माइकल होल्डिंग का विकेट गिरा और लॉर्ड्स का मैदान भारत की जीत के जश्न में डूब गया. फाइनल में भारत की ओर से मदन लाल ने 31 रन पर तीन विकेट, मोहिंदर अमरनाथ ने 12 रन पर तीन विकेट और संधू ने 32 रन पर दो विकेट लेकर क्लाइव लॉयड के धुरंधरों की चुनौती ध्वस्त कर डाली. मोहिंदर अमरनाथ सेमीफाइनल के बाद फाइनल में भी अपने ऑलराउंड प्रदर्शन (26 रन और 3 विकेट) से 'मैन ऑफ द मैच' रहे. 1983 वर्ल्ड कप की ऐतिहासिक सफलता ने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी.