लाहौर में पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया (Pak Vs Aus) के बीच खेला जा रहा सीरीज़ का तीसरा टेस्ट मैच अपने आप में खास साबित हो रहा है. यह सीरीज़ का तीसरा टेस्ट है, शुरुआती दो मैच ड्रॉ हो गए थे. लेकिन तीसरे मैच में खास यह है कि पाकिस्तानी अंपायर अहसान रज़ा (Ahsan Raza) की वापसी.
साल 2009 में पाकिस्तान के लाहौर में जब श्रीलंकाई टीम पर आतंकी हमला हुआ था, उस दौरान अहसान रज़ा को भी दो गोलियां लगी थीं. अब 13 साल बाद अहसान रज़ा उसी मैदान पर वापसी कर रहे हैं और एक इंटरनेशनल मैच में अंपायरिंग कर रहे हैं.
लाहौर का गद्दाफी स्टेडियम पाकिस्तान के सबसे ऐतिहासिक स्टेडियम में से एक है. साल 2009 में जब श्रीलंकाई टीम पाकिस्तान के दौरे पर थी, तब यहां पर ही मैच होना था. टीम जब आ रही थी तब आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी.
क्रिस ब्रॉड ने बचाई थी जान
श्रीलंका के महेला जयवर्धने, तिलकरत्ने दिलशान समेत कई बड़े नाम उस दौरान घायल हुए थे. पाकिस्तानी अंपायर अहसान रज़ा जो उस वक्त एक मिनी वैन में थे, तब उन्हें दो गोलियां लगी थीं. खास बात यह भी है कि लाहौर में उस वक्त होने वाले मैच के रेफरी क्रिस ब्रॉड भी उनके साथ थे, जिन्होंने अहसान रज़ा के सीने पर हाथ रख उनकी जान बचाई थी.
अहसान रज़ा ने खुद इस बात को माना था कि उनके हाथ में आईसीसी की किताब थी, जिसने उनकी जान बचाने में मदद की. दूसर क्रिस ब्रॉड ने रोते-बिलखते हुए भी उनकी मदद की, जिसकी वजह से वह जीवित बच पाए थे.
47 साल के अहसान रज़ा पाकिस्तान के लाहौर से आते हैं. वह 21 फर्स्ट क्लास मैच भी खेल चुके हैं. अहसान रज़ा अभी तक 133 मैचों में अंपायरिंग कर चुके हैं.