सचिन तेंदुलकर का ऑस्ट्रेलियाई अवतार था फिलिप ह्यूज. नम्र और छोटी कद-काठी, जीवन प्यार से भरा हुआ. ऐसा कहना है फिलिप ह्यूज के बचपन के कोच नील डी कोस्टा का. ...ताकि फिर किसी क्रिकेटर की मौत यूं न हो
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपे एक लेख में डी कोस्टा ने कहा कि ह्यूज क्रिकेट के लिए बहुत ही भावुक थे. डी कोस्टा का मानना है कि अगर ह्यूज हमारे बीच में रहते तो टेस्ट में जरूर ही 10000 से ज्यादा रन बनाते.
डी कोस्टा ने लिखा है कि ह्यूज के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी. वो हमेशा चुनौती के लिए तैयार रहते. एक वक्त ह्यूज को फ्लिंटॉफ एंड कंपनी का सामना करने में कुछ परेशानी हो रही थी. इसके बाद डी कोस्ट ने ह्यूज को फोन किया. जिस पर इस ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर का जवाब था...कम से कम अगले गेम के लिए तैयार हूं.
वह अपने खेल को लेकर बेहद गंभीर थे. टूर खत्म होने के बाद वह भारत आए. उस वक्त डी कोस्टा विदर्भ क्रिकेट अकादमी के मुख्य कोच थे. इस दौरान ह्यूज ने सचिन तेंदुलकर से मदद मांगी. मास्टर ब्लास्टर ने ह्यूज की इच्छा पूरी की और उससे मिले. इस दौरान ह्यूज ने सचिन से तेज गेंदबाजी का सामना करने के तरीके सीखे. सचिन के साथ बिताए वक्त को फिलिप हमेशा याद रखते.
फिलिप का भारत के साथ बेहद ही मधुर रिश्ता था. इसकी वजह आईपीएल नहीं, बल्कि भारत के क्रिकेट प्रेम और जिंदगी जीने का तरीका था. ह्यूज कभी भी नाकारत्मक चीजों पर ध्यान नहीं देते.