अपने पहले ही टेस्ट में शानदार शतक जमाने वाले युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने इस लाजवाब पारी को अपने पिता को समर्पित किया है. उसके यहां तक पहुंचने में पिता के त्याग की बड़ी भूमिका रही है.
पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद शॉ ने यह शतक अपने पिता को समर्पित किया जिन्होंने अकेले ही उन्हें पाला पोसा. शॉ जब केवल 4 साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था.
शतक पिता को समर्पित
उन्होंने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था मुझे अंडर-19 वर्ल्ड कप में जीत के बाद भारत से पदार्पण का मौका मिल जाएगा. मैं मैच दर मैच आगे बढ़ा और आखिर में आज मैंने पदार्पण किया. मैं इस पारी को अपने पिताजी को समर्पित करता हूं. उन्होंने मेरे लिए काफी बलिदान किए.'
“The first hundred is all for him. Whenever I score, I score for him."@PrithviShaw dedicates his debut Test century to his father.
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— ICC (@ICC) October 4, 2018Advertisement
अपने पदार्पण टेस्ट मैच में एक परिपक्व बल्लेबाज की तरह खेलकर शतक जड़ने वाले पृथ्वी शॉ ने कहा, 'मैं अपने डैड के बारे में सोच रहा था और उन्होंने मेरे लिए काफी बलिदान किए. जब मैं शतक बनाता हूं तो उनके बारे में सोचता हूं और यह मेरा पहला टेस्ट शतक है और यह पूरी तरह से उन्हें समर्पित है.'
पृथ्वी शॉ से पूछा गया कि मैच से पहले उनके पिता ने उनसे क्या कहा था, इस पर उन्होंने कहा, 'वह क्रिकेट के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते. उन्होंने यही कहा कि जाओ और अपने पदार्पण का लुत्फ उठाओ. इसे एक अन्य मैच की तरह खेलो.'
19 साल के युवा बल्लेबाज ने कहा कि वह इंग्लैंड में कड़ी परिस्थितियों में भी बेहतर आक्रमण के सामने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिये अच्छी तरह से तैयार थे.
उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम 2 टेस्ट मैचों के लिए टीम में शामिल किया गया था, लेकिन पदार्पण करने का मौका नहीं मिला. हालांकि भारत ने यह सीरीज 1-4 से गंवा दी थी.
इंग्लैंड दौरे का अनुभव शानदार
लेकिन शॉ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2 टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में 134 रन बनाकर करियर की स्वर्णिम शुरुआत की. वह अभी 18 साल 329 दिन के हैं और अपने पदार्पण टेस्ट मैच में शतक जड़ने वाले सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज भी बन गए हैं.
पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद शॉ ने कहा, 'यह कप्तान और कोच का फैसला था. मैं इंग्लैंड में भी तैयार था लेकिन आखिर में मुझे यहां मौका मिला.' शॉ ने कहा, 'लेकिन इंग्लैंड में अनुभव शानदार रहा. टीम में मैं सहज महसूस कर रहा था. विराट भाई ने कहा कि टीम में कोई सीनियर या जूनियर नहीं होता है. 5 साल से भी अधिक समय से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम में साथ में रहना बहुत अच्छा अहसास है. अब सभी दोस्त हैं.'
मैच से पहले नर्वस थे पृथ्वी
वह मैच से पहले थोड़ा नर्वस थे लेकिन इंग्लैंड में सीनियर साथियों के साथ समय बिताने से उन्हें अपने पदार्पण मैच को एक अन्य मैच की तरह लेने में मदद मिली.
शॉ ने कहा, 'मैं शुरू में थोड़ा नर्वस था, लेकिन कुछ शॉट अच्छी टाइमिंग से खेलने के बाद मैं सहज हो गया. इसके बाद मैंने किसी तरह का दबाव महसूस नहीं किया जैसा कि मैं पारी के शुरू में महसूस कर रहा था. मुझे गेंदबाजों पर दबदबा बनाना पसंद है और यही मैं कोशिश कर रहा था. मैंने ढीली गेंदों का इंतजार किया.'
रणजी और दलीप ट्राफी में पदार्पण पर शतक जड़ने वाले शॉ ने उच्च स्तर पर भी यही कारनामा किया. शॉ से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं जब भी क्रीज पर उतरता हूं तो गेंद के हिसाब से उसे खेलने की कोशिश करता हूं और इस मैच में भी मैं इसी मानसिकता के साथ खेलने के लिए उतरा. मैंने यह सोचकर कि यह मेरा पहला टेस्ट मैच है कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की. मैंने उसी तरह का खेल खेला जैसे मैं भारत ए और घरेलू क्रिकेट में खेलता रहा हूं.'
उन्होंने कहा, 'हां, अगर आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और अंडर-19 या घरेलू क्रिकेट की तुलना करो तो इसमें काफी अंतर है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में काफी रणनीतियां बनानी होती है. आपको अधिक तेज गेंदबाजी करने वाले गेंदबाजों का सामना करना होता है. कई बार घरेलू क्रिकेट में भी काफी तेज गेंदों का सामना करना पड़ता है लेकिन यहां अनुभव और विविधता होती है.'