MS Dhoni: पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय क्रिकेट को एक नया आयाम दिया है. उन्होंने दिसंबर 2004 में डेब्यू करने वाले धोनी ने तीन साल बाद ही भारतीय टीम की कमान संभाल ली थी. कप्तान बनते ही उन्होंने पहले ही साल यानी 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जिताया. फिर 2011 वनडे वर्ल्ड कप में चैम्पियन बनाया. चैम्पियंस ट्रॉफी भी अपने नाम की.
सौरव गांगुली ने जीत का चस्का लगाया था, जिसे धोनी ने आईसीसी टूर्नामेंट्स जिताकर चरम तक पहुंचाया. धोनी वैसे तो कैप्टन कूल के तौर पर जाने जाते हैं, मगर दो ऐसी भी बातें थीं, जिनसे वह कभी समझौता नहीं करते थे. इस बात का खुलासा पूर्व फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने किया. यह दो बातें फील्डिंग और रनिंग बिटविन द विकेट थीं.
धोनी की परंपरा को कोहली ने आगे बढ़ाया
श्रीधर ने कहा, 'धोनी जब कप्तान थे, तब उन्होंने फील्डिंग में आगे रहकर नेतृत्व किया. उनकी रनिंग बिटविन द विकेट मेरे लिए आंखें खोलने वाली थीं. धोनी कहते थे, 'दो चीजों से मैं कभी समझौता नहीं करता. यह फील्डिंग और रनिंग बिटविन द विकेट हैं.' और यह आज भी सच में वैसा ही चल रहा है. उन्होंने जिस तरह से फील्डिंग पर जोर दिया. उसे विराट कोहली ने भी आगे बढ़ाया. रवि शास्त्री (पूर्व कोच) ने भी हमेशा यही कहा कि बेस्ट 11 फील्डर्स ही खेलेंगे.'
श्रीधर ने कहा, 'मैंने उमेश यादव, मोहम्मद सिराज और मोहित शर्मा के साथ भी कुछ फील्डिंग सेशन किए हैं. यह तेज गेंदबाज के साथ बेस्ट फील्डर भी थे. साथ ही विराट कोहली, रवींद्र जडेजा, मनीष पांडे की फील्डिंग को तो आपने एंजॉय किया ही होगा.'
धोनी ने दो साल पहले संन्यास ले लिया
बता दें कि श्रीधर को 2014 में भारतीय क्रिकेट टीम का फील्डिंग कोच बनाया गया था. तब महेंद्र सिंह धोनी ही टीम इंडिया के कप्तान थे. धोनी ने 15 अगस्त 2020 को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया. अब वह सिर्फ आईपीएल में ही खेलते नजर आते हैं. वह चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी कर रहे हैं.