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रोहित, राहुल या रैना! कौन होगा मध्यक्रम में विराट कोहली की पसंद?

महेंद्र सिंह धोनी के अचानक संन्यास लेने के बाद सि़डनी टेस्ट में जहां टीम के रिजर्व विकेटकीपर रिद्ध‍िमान साहा का खेलना तय है वहीं क्या नव-नियुक्त टेस्ट कप्तान विराट कोहली मध्यक्रम में भी कोई बदलाव करेंगे इस पर सस्पेंस बरकरार है.

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महेंद्र सिंह धोनी के अचानक संन्यास लेने के बाद सि़डनी टेस्ट में जहां टीम के रिजर्व विकेटकीपर रिद्ध‍िमान साहा का खेलना तय है वहीं क्या नव-नियुक्त टेस्ट कप्तान विराट कोहली मध्यक्रम में भी कोई बदलाव करेंगे इस पर सस्पेंस बरकरार है. मध्यक्रम में जहां पहले दो टेस्ट में रोहित शर्मा को मौका दिया गया वहीं तीसरे टेस्ट में के. लोकेश राहुल को उतारा गया. दोनों ही टेस्ट में रोहित शर्मा ने कुछ खास नहीं किया तो राहुल ने भी निराश ही किया. अब सवाल यह है कि क्या के. राहुल को दोबारा मौका दिया जाना चाहिए या रोहित शर्मा को वापस अंतिम एकादश में लिया जाना चाहिए या फिर बेंच पर बैठे सुरेश रैना को उतारा जाना चाहिए.

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फ्लॉप रहे हैं रोहित शर्मा
रोहित शर्मा ने एडिलेड टेस्ट में 43 और 6 जबकि ब्रिसबेन टेस्ट में 32 और 0 बनाए. एडिलेड में टीम इंडिया ने 444 और 315 जबकि ब्रिसबेन में 408 और 224 रन बनाए थे. टीम के बड़े स्कोर बनाने के बावजूद शर्मा बड़ा स्कोर नहीं बना सके. रोहित शर्मा ने 2013 में टेस्ट मैचों में पदार्पण के बाद पहले दो टेस्ट में शतक लगा कर यह आशा जरूर जगा दी थी कि वो मध्यक्रम में राहुल द्रविड़ का विकल्प बन सकते हैं लेकिन उसके बाद से खेली गई उनकी पारियों ने कमोबेश निराश ही किया है. टेस्ट में उनका औसत है तो 40.71 लेकिन उनकी खेली गई 16 पारियों में से पिछली 9 पारियां बेहद कमजोर रही हैं. पिछली 9 पारियों में रोहित ने 19, 0, 31 (नॉट आउट), 28, 6, 43, 6, 32, 0 रन की पारियां खेली हैं. यानी 20.63 की औसत से कुल 165 रन. मजेदार तो यह है कि अगर रोहित की पहली दो पारियों को हटा दिया जाए तो बाकी 14 पारियों में उन्होंने 21.69 की औसत से रन बनाए हैं.

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मिलेगा राहुल को एक और मौका?
रोहित के इसी प्रदर्शन की वजह से महेंद्र सिंह धोनी ने मेलबर्न टेस्ट में के. राहुल को आजमाया. कर्नाटक के सलामी बल्लेबाज राहुल अपना पहला टेस्ट खेल रहे थे और उनके आउट होने के तरीके से यह साफ दिख रहा था कि वो नर्वस थे. राहुल को कभी घरेलू पिच पर टीम इंडिया की ओर से खेलने का मौका नहीं मिला और न ही उन्हें वनडे में उतारा गया. वैसे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला मैच खेलते हुए बड़े-से-बड़ा बल्लेबाज भी नर्वस हो जाता है और ऐसा ही कुछ राहुल के साथ भी हुआ. पहली पारी (3 रन) में आउट होने से ठीक पहले वाली गेंद पर उनका कैच छूट गया लेकिन उन्होंने दूसरे ही बॉल पर फिर से गेंद को पुल करने की कोशिश की और कैच दे बैठे. ठीक इसी तरह दूसरी पारी (1 रन) में भी वो मिशेल जॉनसन की गेंद को पुल करने के चक्कर में स्लिप में कैच दे बैठे.

प्रदर्शन के लिहाज से राहुल अच्छा तो नहीं खेले लेकिन पहला टेस्ट होने के वजह से उन्हें दूसरा मौका जरूर दिया जाना चाहिए.

रेस में सबसे आगे रैना
अब यहां मध्यक्रम के लिए तीसरे दावेदार हैं सुरेश रैना . रैना का वनडे में प्रदर्शन काबिले तारीफ रहा है लेकिन टेस्ट में वो कुछ खास नहीं कर सके हैं. रैना 17 टेस्ट खेल चुके हैं और इसमें उन्होंने 28.44 की औसत से 768 रन बनाए हैं. करियर के पहले ही टेस्ट में शतक लगाने वाले रैना ने भी 29 पारियों में केवल एक शतक और 6 अर्धशतक लगाए हैं. उनका टेस्ट करियर खात्मे की ओर था. लेकिन पिछले साल इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में हार के बाद रैना के प्रदर्शन की बदौलत टीम ने वनडे सीरीज जीती. इससे सेलेक्टर्स का उनमें एक बार फिर विश्वास जागा. उन्हें टीम के डायरेक्टर रवि शास्त्री का भी साथ मिला जिन्होंने तब उनके खेल की तारीफ की थी. रैना को ने केवल ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए चुना गया बल्कि बीसीसीआई ने विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी के साथ उन्हें ग्रेड ‘ए’ क्रिकेटरों में भी शुमार किया. इतना ही नहीं कोहली की आक्रामक कप्तानी में भी वो फिट होते हैं.

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ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर रैना पिछले तीन टेस्ट से अपनी बारी का इंतजार करते आ रहे हैं. सिडनी में जीत हासिल करने के लिए मध्यक्रम को पिच पर टिक कर रन बनाना होगा. टीम इंडिया का मध्यक्रम लड़खड़ाया हुआ है और ऐसे में कोहली की नजर में रोहित और राहुल के विकल्प के तौर पर निश्चित ही सुरेश रैना होंगे. यानी 30 महीने बाद एक बार फिर से रैना के पास टेस्ट खेलने का मौका है.

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