इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के नियम काफी हद तक खिलाड़ियों की अनुकूल हैं और यही कारण है कि इस चक्कर में कई बार फ्रेंचाइजी को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कई मौकों पर फ्रेंचाइजी को उन खिलाड़ियों को भी भुगतान करना पड़ता है जो टीम शिविर में अपनी चोट की रिपोर्ट दे देते हैं.
आईपीएल के वर्तमान सीजन में दिल्ली डेयरडेविल्स को भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की सेवाएं नहीं लेने के बावजूद अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है. शमी वर्ल्ड कप के दौरान घुटने में लगी चोट के कारण तीन महीने तक नहीं खेल पाएंगे. भुगतान को लेकर नियमों में स्पष्ट है कि चोटिल खिलाड़ियों के संबंध में वेतन संबंधी नियम खिलाड़ियों के पक्ष में हैं.
इनमें कहा गया है कि जैसे ही कोई खिलाड़ी आईपीएल नीलामी में खरीदा जाता है और वह टीम शिविर में रिपोर्ट करता है तो चोटिल होने और टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेने की स्थिति में भी फ्रेंचाइजी को उसे अनुबंधित राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा देना पड़ेगा. आईपीएल संचालन परिषद के एक सदस्य ने स्वीकार किया कि दिल्ली डेयरडेविल्स को इस साल शमी को उनके अनुबंध का 50 प्रतिशत वेतन (2.12 करोड़ रुपये) देने होंगे.
बिना मैच खेले शमी को मिलेंगे खूब पैसे
बीसीसीआई के सीनियर अधिकारी और आईपीएल संचालन परिषद के सदस्य ने कहा, 'नियमों के मुताबिक अगर शमी एक भी मैच खेले बिना आईपीएल से बाहर हो जाता है और चोट के कारण ट्रायल मैच में भी नहीं खेल पाता है तब उन्हें उनकी अनुबंध राशि का आधा हिस्सा देना होगा. इसलिए अगर उन्हें नीलामी में 4.25 करोड़ रुपये में खरीदा गया तो डेयरडेविल्स को उन्हें इसकी आधी राशि देनी होगी.'
सूत्र ने कहा, 'शमी भले ही वर्ल्ड कप के दौरान चोटिल हो गए थे लेकिन उन्होंने शिविर में रिपोर्ट की थी इसलिए फ्रेंचाइजी के पास कोई विकल्प नहीं है. उन्हें भुगतान करना होगा. बीसीसीआई और आईपीएल हमेशा खिलाड़ियों के पक्ष में रहे हैं और मुझे नहीं लगता कि यह नियम बदलने जा रहा है. शमी अनुबंधित खिलाड़ी है इसलिए उनके ऑपरेशन का खर्चा बीसीसीआई वहन करेगा.'
फिंच का मामला शमी से अलग
शमी का मामला हालांकि मुंबई इंडियन्स के सलामी बल्लेबाज एरोन फिंच से एकदम अलग है जो आईपीएल मैच के दौरान चोटिल हो गए थे और इसके बाद टूर्नामेंट से बाहर हो गए. सूत्र ने कहा, 'फिंच अपनी फ्रेंचाइजी से पूरा भुगतान हासिल करने के हकदार हैं क्योंकि वह आईपीएल मैच के दौरान चोटिल हुए थे.' सबसे रोचक पहलू हालांकि ट्रायल मैच को लेकर है. दो फ्रेंचाइजी के अधिकारियों के मुताबिक जैसे ही कोई खिलाड़ी ट्रायल मैच में रिपोर्ट करता है वह पूरे भुगतान का हकदार बन जाता है.
चोटिल खिलाड़ी के लिए फ्रेंचाइजी को नहीं मिलते बीमा के पूरे पैसे
उन्होंने कहा, 'उदाहरण के तौर पर खिलाड़ी जानता है कि वह चोटिल है लेकिन ट्रायल मैच में खेलने से क्या परेशानी है. 20 ओवर के मैच में जैसे ही आपको दर्द होता है फिर आप चाहे 10 लाख के खिलाड़ी हो या 10 करोड़ के यह मायने नहीं रखता. आपको पूरा भुगतान मिलेगा. अधिकतर फ्रेंचाइजी ने हालांकि बीमा करवा रखा है लेकिन चोटिल खिलाड़ी के लिए उन्हें पूरी राशि नहीं मिलती.' पेशेवर फुटबाल क्लबों में खिलाड़ियों का पहले चिकित्सा परीक्षण किया जाता है लेकिन आईपीएल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
इनपुट भाषा से