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सतनाम ने आईएमजी रिलायंस और अपने प्रशिक्षकों का आभार व्यक्त किया

एनबीए ड्राफ्ट में शामिल होने वाले पहले भारतीय बने सतनाम सिंह ने अमेरिका की शीर्ष स्तर की बास्केटबाल लीग में जगह बनाने के प्रयासों में मदद करने के लिये अपने प्रशिक्षकों और आईएमजी रिलायंस का आभार व्यक्त किया है

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सतनाम सिंह भामरा
सतनाम सिंह भामरा

एनबीए ड्राफ्ट में शामिल होने वाले पहले भारतीय बने सतनाम सिंह ने अमेरिका की शीर्ष स्तर की बास्केटबाल लीग में जगह बनाने के प्रयासों में मदद करने के लिये अपने प्रशिक्षकों और आईएमजी रिलायंस का आभार व्यक्त किया है.

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आईएमजी रिलायंस छात्रवृत्ति के जरिए गए थे अमेरिका
पंजाब के बरनाला जिले के बल्लो के नाम के छोटे से गांव के रहने वाले सात फुट दो इंच लंबे सतनाम आईएमजी रिलायंस के छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत 2010 में अमेरिका गये थे. उन्नीस वर्षीय सतनाम को डलास मेवरिक्स ने अपनी टीम में चुना.

एनबीए तक पहुंचे पहले भारतीय
जिसके बाद वो अमेरिका की प्रतिष्ठित नेशनल बास्केटबाल एसोसिएशन में शामिल होने वाले पहले भारतीय बन गए. सतनाम ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'सहयोग के लिये सभी का आभार और मैं डलास मेवरिक्स की तरफ से शुरूआत करने को लेकर उत्साहित हूं. आखिर मुझे कुछ बेहद महत्वपूर्ण व्यक्तियों को धन्यवाद कहने का मौका मिला है क्योंकि उनकी मदद के बिना मैं यहां नहीं पहुंच पाता.' उन्होंने लिखा, 'स्वर्गीय डा. सुब्रहमण्यम का आभार जिन्होंने मुझमें कुछ खास देखा और जब मैं आठ साल का था तब से मुझे कोचिंग देनी शुरू की. तेजा सिंह धालिवाल और आर एस गिल का आभार, उन्होंने हमेशा मेरी मदद की और जब मैं भारत में था तब मुझे कोचिंग दी और मेरी देखरेख की. स्वर्गीय हरीश शर्मा का भी आभार, उन्होंने मुझे अमेरिका आकर नयी यात्रा शुरू करने का सबसे बड़ा मौका दिया. श्री मुकेश अंबानी और श्रीमती नीता अंबानी आईएमजी रिलायंस का छात्रवृत्ति के लिये आभार जिससे मैं आईएमजी अकादमी में जा पाया.'

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Thank you to everyone for the support and I am so excited to start with the Dallas Mavericks..I finally now have a...

Posted by Satnam Singh on Saturday, June 27, 2015
बहुत से लोगों का आभार व्यक्त किया है सतनाम ने
सतनाम ने अपने परिजनों, ट्रेनरों और साथियों का भी आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा, 'आईएमजी अकादमी में प्रत्येक का बहुत-बहुत शुक्रिया सभी प्रशिक्षकों, स्टाफ, ट्रेनर, साथियों और शिक्षकों का आभार जिन्होंने मेरी मदद की. आपके सहयोग के बिना मैं यहां नहीं पहुंच पाता. मेरे परिवार और विशेषकर मेरी मां और पिताजी का आभार जिन्होंने युवा उम्र में ही मुझमें कुछ खास देखा और मेरे लिये बहुत अधिक बलिदान किया.
इनपुट: भाषा

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