बीसीसीआई के पूर्व चयनकर्ता राजा वेंकट ने टीम इंडिया की कप्तानी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. उनके मुताबिक सेलेक्टर्स 2012 में ही धोनी को कप्तानी से हटाना चाहते थे लेकिन उस समय बीसीसीआई चीफ रहे एन श्रीनिवासन ने ऐसा होने नहीं दिया.
तीन साल बाद इस बात का खुलासा होने से क्रिकेट जगत में हलचल मचना तो तय है. पूर्व फर्स्ट क्लास क्रिकेटर और 2008-2012 के बीच ईस्ट जोन के नेशनल सेलेक्टर ने उस दौरान धोनी की कप्तानी में हुए ड्रामा का पूरा ब्यौरा दिया है.
उन्होंने बताया कि उस दौरान सेलेक्टर्स को ऐसा लगा था कि टीम को एक नए लीडर की जरूरत है क्योंकि धोनी की अगुवाई में टीम में गुटबंदी सी शुरू हो गई थी जिससे टीम का माहौल खराब हो रहा था.
फतुल्लाह टेस्ट में भारत ने टेस्ट टीम की कमान संभाली और वेंकट ने फ्लैश बैक में जाते हुए कहा, '2011-12 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट सीरीज थी. भारत ने पहले तीन मैच गंवा दिए थे. हमने सोचा था कि टीम का कप्तान बदलना अब जरूरी हो गया है.'
उन्होंने आगे बताया, 'मोहिंदर अमरनाथ और नरेंद्र हिरवानी (उस समय नॉर्थ जोन और सेंट्रल जोन के सेलेक्टर्स) उस समय टीम के साथ थे. लौटने पर उन्होंने बताया कि टीम में गुटबंदी शुरू हो गई है. टीम स्पिरिट भी नदारद है. हम किसी ऐसे शख्स को चाहते थे जो टीम की एकता को बनाए रखे. विराट हमारी पसंद था. इससे पहले वो अंडर-19 टीम की कप्तानी से हमें प्रभावित कर चुका था. वह किसी गुटबंदी में शामिल नहीं था. इसके अलावा 2010-11 देवधर ट्रॉफी में नॉर्थ जोन की कप्तानी कर चुका था.'
ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत ने इंग्लैंड में भी सारे मैच गंवाए थे. वेंकट ने बताया कि धोनी को कप्तानी से हटाए जाने का फैसला लिया जा चुका था. पूर्व बल्लेबाज मोहिंदर अमरनाथ ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि वेंकट जो कह रहे हैं सही कह रहे हैं. वेंकट ने बताया, 'हम नया कप्तान लाने का फैसला कर चुके थे. हमें लगा कि धोनी का समय खत्म हो गया है और विराट कोहली को कप्तान बनाने का समय आ गया है. हमें वनडे टीम की घोषणा करनी थी लेकिन बीसीसीआई का नियम है कि बिना बीसीसीआई अध्यक्ष की सलाह के हम ओवरसीज सीरीज के लिए टीम की घोषणा नहीं कर सकते हैं. श्रीनिवासन ने हमें धोनी को नहीं हटाने दिया.'