हरफनमौला क्रिकेटर युवराज सिंह वर्ल्ड कप खेलने वाली भारतीय टीम में नहीं हैं. यह उनके लाखों प्रशंसकों के लिए बेहद दुखद है. इस जाबांज खिलाड़ी से भारतीयों को हमेशा उम्मीद रहती थी. लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें नहीं चुना. वैसे भी वर्ल्ड कप के लिए चुने गए 30 खिलाड़ियों में वह शामिल नहीं थे. लेकिन पिछले दिनों घरेलू क्रिकेट में उनके लाजवाब प्रदर्शन के बाद उम्मीदें जग गई थीं. लगा था कि उनके फॉर्म में वापसी के साथ टीम में भी उनकी वापसी हो जाएगी.
युवराज सिंह (33) ने भारत को वर्ल्ड कप सहित कई महत्वपूर्ण मैच जिताने में बड़ी भूमिका निभाई थी. लेकिन ऐसी कई वजहें रहीं जिस कारण इस शानदार खिलाड़ी को टीम में जगह नहीं मिली.
1. युवराज का पिछले दिनों वनडे क्रिकेट में प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. उन्होंने अपने अंतिम 20 मैचों में महज एक शतक और दो अर्धशतक लगाए थे. इससे लगता था कि उनका जादुई टच खत्म हो गया है.
2. उनमें पहले जैसी एकाग्रता नहीं रही. पहले वह जिस तरह से खेल पर अपना ध्यान केन्द्रित करते थे, अब उनमें वह बात नहीं रही. उनका कॉन्फिडेंस खत्म होता जा रहा था.
3. उनकी गेंदबाजी की धार भी खत्म होती जा रही थी. वह पहले जैसी गेंदबाजी भी नहीं कर पा रहे थे. वैसे सौराष्ट्र के विरुद्ध उन्होंने अच्छी गेदबाजी की. उन्हें वनडे में हमेशा एक अच्छे ऑलराउंडर के रूप में जाना जाता था.
4. युवराज कैंसर की घातक बीमारी से उबर गए हैं, लेकिन दुर्भागयवश उसका असर उन पर दिखता है. उनमें पहले जैसी फुर्ती नहीं दिखती है. उन्होंने जबरदस्त प्रैक्टिस करके अपनी सेहत और खेल दोनों में सुधार किया है. लेकिन इसका बुरा असर दिख रहा है.
5. रविंद्र जडेजा ने युवराज की जगह ले ली है. उन पर कप्तान धोनी का विश्वास है. धोनी की नजरों में जडेजा कहीं अच्छा कर सकते हैं. बीसीसीआई को भी जडेजा पर युवराज से कहीं ज्यादा विश्वास रहा. जडेजा लंबे अरसे तक खेल सकते हैं, जबकि युवराज का करियर समाप्ति की ओर है. जडेजा की उम्र कम है और वह लंबे समय तक टीम में बने रह सकते हैं.
6. बीमारी के बाद वापसी कर रहे युवराज की तकनीक और रिफ्लेक्स में भी कमी आ गई है. वह उठती हुई तेज गेंदों के सामने पस्त होने लगते हैं और ऑस्ट्रेलिया में ऐसी ही गेंदें मिलेंगी क्योंकि वहां विकेटें उछाल भरी हैं.
7. उनकी फिटनेस भी पहले जैसी नहीं है और उनका वजन भी बढ़ा हुआ दिखता है, जो शायद दवाइयों का असर है. ऐसे में उन पर दांव खेलना जोखिम भरा हो सकता था.
क्रिकेट या किसी भी खेल में नए खिलाड़ियों को कहीं ज्यादा तरजीह दी जाती है ताकि भविष्य में भी टीम की ताकत बरकरार रहे. युवराज का इतिहास शानदार रहा, लेकिन अब टीम को उनकी जरूरत नहीं है.