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इंडिया और श्रीलंका के बीच खेला जा रहा पहला टेस्ट मैच देखने के लिए मैं मोहाली आया हुआ था. दिन भर की थकान के बाद कमरे में घुसते ही बिस्तर पर गिरा और सो गया. एक फ़ोन कॉल ने जगाया. उधर से पहला वाक्य था, 'शेन वॉर्न की खबर सुनी?' मैं नींद में था और समझने में कुछ देर लगी. हड़बड़ी में ख़बरों की वेबसाइट्स खंगाली और तुरंत शेन वॉर्न की प्रोफ़ाइल पढ़ने लगा.
# 145 टेस्ट मैच, 708 विकेट.
# 194 वन-डे मैच, 293 विकेट.
# फ़र्स्ट क्लास में 1319 विकेट.
# विज़डन के सदी के पांच सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में एक.
# अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज़्यादा गेंदें फेंकने वाला खिलाड़ी.
लेकिन बहुत कुछ ऐसा है जो आंकड़ों की शक्ल में सामने नहीं रखा जा सकता. मसलन, शेन वॉर्न ने लेग स्पिन की विधा को किस जगह पहुंचाया. सफ़ेद बालों वाले इस गेंदबाज़ ने माइक गैटिंग के सामने से गेंद को जैसे निकालकर विकेटों की राह दिखायी, दुनिया ने ऐसा कारनामा पहले कभी नहीं देखा था. और ये सबूत था कि आने वाले सालों में हम जो भी देखने वाले थे, वो सब कुछ कारनामे की केटेगरी में बड़ी आसानी से रखा जा सकता था.
शेन वॉर्न ने जब ये ऐलान किया था कि ऐशेज़ का पांचवां टेस्ट इंग्लैंड में उनका आख़िरी मैच होगा, ओवल मैदान के बाहर सुबह 8 बजे से लाइनें देखी जाने लगी थीं. हज़ारों लोग ये मैच देखने के लिए आ रहे थे. टिकट बेचने वालों ने स्टेडियम के बाहर 1400 डॉलर मांगने शुरू किये. ओवल मैदान के सामने एक पेंटहाउस है, जिससे मैदान में चल रहा खेल साफ़ देखा जा सकता है, 5 दिन के लिए 55 हज़ार डॉलर में किराये पर दिया जा चुका था. ऑस्ट्रेलिया के घोर प्रतिस्पर्धी देश इंग्लैंड में शेन वॉर्न की ये दीवानगी उनके खेल के कद की कुछ बानगी ज़रूर दे सकती है और इसे आंकड़ों में नहीं बांधा जा सकता.
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झुके कंधों, आगे पीछे जाते हाथों और बाहर निकलने को आतुर होती जीभ के साथ वो क्रीज़ पर बेहद धीमे क़दमों के साथ आते और अंत में लगभग ढाई चाल चलते हुए शेन अपने पंजों के अगले हिस्से पर ज़ोर देते हुए देह को घुमा देते. पूरी ऊर्जा गेंद में पहुंचती और इसे सैकड़ों बार कमेंट्री बॉक्स से नाम मिला- 'पोएट्री इन मोशन'. दुनिया में विरले ही ऐसे लोग होंगे जिन्होंने इस करतब को, उनके इस ऐक्शन को कॉपी करने की कोशिश न की हो. वो बात और है कि इसके आस-पास भी कोई फटक न सका. हाथ से छूटने के बाद गेंद हवा को काटती हुई आगे बढ़ती और अपने रास्ते से हल्का सा अंदर आ जाती. बाकी का काम टप्पा खाने के बाद गेंद कर देती.
शेन वॉर्न का पूरा जीवन कहानियों से भरा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने से पहले ही शेन वॉर्न अपनी तबीयत के चलते लोगों में जाने जाते थे. उनकी निजी ज़िन्दगी में चल रही चीज़ों ने भी ख़बरों में ख़ूब जगह बनायी. उनके चलते कितने ही अंग्रेज़ी टैब्लॉयड कई बार आबाद हुए. लेकिन इन सभी के बावजूद वॉर्न को महानतम खिलाड़ियों की श्रेणी में ही रखा गया. शायद उनकी ये कहानियां ही वो शै थीं जो हमें ये यकीन दिलाना चाहती थीं कि शेन असल में एक इंसान ही थे जो मौका मिलते ही गलती करने की फ़ितरत रखते थे.
52 साल के शेन वॉर्न को थाईलैंड के एक होटल के कमरे में मरा पाया गया. हार्ट अटैक की बात कही जा रही है. इस दुनिया ने एक बहुत बड़ा किरदार खो दिया है. क्रिकेट के खेल ने एक बहुत बड़ा खिलाड़ी खो दिया है. वो एकमात्र खिलाड़ी, जिसके बारे में कहा जा सकता था कि उसने गेंद को अपने वश में कर लिया था. वो खिलाड़ी, जो बल्लेबाज़ को कभी ये सोचने का मौका ही नहीं देता था कि उसने शेन वॉर्न को पढ़ लिया था. वो खिलाड़ी, जिसने क्रिकेट की सबसे ख़ूबसूरत विधा, लेग स्पिन को नया आयाम दिया. वो खिलाड़ी जिसने हमें कितनी ही कहानियां दीं, कितने ही ऐसे मौके दिए जो हमारी यारी-दोस्ती का, बातचीत का अहम हिस्सा बने.