मैदान पर वीरेंद्र सहवाग को सुनील गावस्कर के बाद टेस्ट में भारत का बेस्ट ओपनिंग बल्लेबाज बताने वाले पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि दिल्ली का यह तूफानी बल्लेबाज मैदान के बाहर अपने अस्तित्व से अनजान था.
गांगुली ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट-2017 में कहा, 'मैं बड़े आराम से काम करने वाला शख्स हूं, लेकिन जब मैं 2000 में कप्तान बना, तब मुझे लगा की इस टीम को चीजें दूसरी तरह से करनी होगी. भारतीय होने के नाते हम आराम पसंद इंसान हैं.'
गांगुली ने कहा, 'मेरी टीम में सहवाग था, जो मेरी नजरों में सुनील गावस्कर के बाद भारत के बेस्ट ओपनिंग बल्लेबाज हैं, लेकिन मैदान के बाहर एक इंसान के तौर पर वह जानते ही नहीं थे कि उनका भी कोई अस्तित्व है. वह सोते रहते थे और आपको टेस्ट मैच से पहले उन्हें बार-बार जबरदस्ती करते हुए जगाना पड़ता था.'
गांगुली ने कहा, 'जब भारत 2001 में ऑस्ट्रेलिया में खेल रहा था तब मैंने देखा की यह अलग टीम है और लड़ने के लिए तैयार है. इसलिए एक कप्तान के तौर पर मुझे मैदान पर वो माहौल बनाना था जिसकी शुरुआत मुझसे होनी थी.'
गांगुली ने कहा कि टीम चयन पहले की अपेक्षा अब ज्यादा पारदर्शी हो गया है. उन्होंने कहा, 'चयन प्रक्रिया अब पहले से ज्याता पारदर्शी हो गई है. आप जब अब की भारतीय टीम को देखते हैं और विराट कोहली जैसे ईमानदार तथा जुनूनी कप्तान को देखते हैं तो आप को पता चलता है कि यह कितना पारदर्शी है.'
गांगुली ने कहा, 'वह खिलाड़ियों को ध्यान से देखते हैं. हर कोई गलती करता है जो मान्य भी होती है. आप परिणाम देख सकते हैं कि भारत किस तरह से आगे बढ़ रहा है. मैंने जब 1996 में क्रिकेट शुरू की थी तब क्रिकेट अलग थी. यह खेल दिन ब दिन बेहतर होता जा रहा है.'