क्रिकेट के फैंस जिस पल का इतनी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, वो घड़ी आ चुकी है. वर्ल्ड क्रिकेट में 8 साल बाद चैम्पियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट की वापसी हुई है. पाकिस्तान में करीब 20 दिनों तक खेला जाने वाला ये टूर्नामेंट हर मायने में खास है. इससे पहले पाकिस्तान ने 1996 में भारत और श्रीलंका के साथ वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी. यह आईसीसी टूर्नामेंट 'हाइब्रिड मॉडल' के तहत खेला जा रहा है, जिसमें भारत अपने सारे मैच दुबई में खेलेगा. यानी भारत फाइनल में पहुंचता है, तो मेजबान होने के नाते पाकिस्तान में इसका फाइनल नहीं खेला जाएगा.
क्या है चैम्पियंस ट्रोफी का इतिहास? भारत के लिए रहा सफल टूर्नामेंट
चैम्पियंस ट्रॉफी का इतिहास काफी पुराना है. ये टूर्नामेंट पहली बार 1998 में आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी के नाम से शुरू हुआ था. इसका नाम 2002 में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी रखा गया. इस टूर्नामेंट सिर्फ 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं. 2023 में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप की टॉप-8 टीमें चैम्पियंस ट्रॉफी का हिस्सा बनी हैं. यानी ऑस्ट्रेलिया, भारत, न्यूजीलैंड, अफगानिस्तान, इंग्लैंड, बांग्लादेश, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका की टीमें इस टूर्नामेंट में खेल रही है..
2013 का चैम्पियंस ट्रॉफी भारत के लिए बेहद खास माना जा सकता है. तब भारतीय युवा टीम नई प्लेइंग कॉम्बिनेशन के साथ उतरी थी. उस साल टीम इंडिया ने वो कारनामा कर दिखाया, जो बाकी टीमें अपने अनुभवी खिलाड़ियों के साथ भी नहीं कर पाई थीं. उस टूर्नामेंट की बदौलत भारत को कई ऐसे प्लेयर भी मिले, जिन्होंने आगे जाकर भारतीय टीम को संवारा.
गौतम गंभीर और युवराज सिंह को नहीं मिली थी टीम में जगह
2013 में भारत के लिए कई दिग्गज प्लेयर्स खेला करते थे. उस वक्त वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर (मौजूदा समय में भारत के हेड कोच), युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान जैसे प्लेयर्स भारतीय कैंप का हिस्सा थे. लेकिन उस समय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को एक यंग टीम की तलाश थी, जो उन्हें बड़े-बड़े मैच जिताने में सक्षम हो. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हैदराबाद टेस्ट के बाद सहवाग टीम में कभी वापस नहीं आ पाए. युवराज सिंह और गौतम गंभीर अपनी फॉर्म तलाश रहे थे. हरभजन सिंह भी कुछ खास लय में नहीं थे. ऐसे में धोनी ने एक नई टीम बनाई.
4 मई 2013 को भारतीय टीम का फाइनल सेलेक्शन हुआ, जिसमें विकेटकीपर दिनेश कार्तिक और मुरली विजय की सरप्राइज एंट्री हुई. शिखर धवन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट में शानदार परफॉरमेंस देने के बाद, वनडे टीम में भी जगह पा ली थी. विराट कोहली टीम के उप-कप्तान थे और सुरेश रैना मिडल ऑर्डर में बेहतरीन प्रदर्शन कर ही रहे थे. टीम में रोहित शर्मा का भी सेलेक्शन हुआ था जो उस समय वनडे क्रिकेट में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए थे.
वहीं, ऑलराउंडर्स की लिस्ट में आर.अश्विन, रवींद्र जडेजा और इरफान पठान का चयन हुआ. भारत चैम्पियंस ट्रॉफी में एक युवा बोलिंग लाइन-अप के साथ गया. टीम में ईशांत शर्मा और अमित मिश्रा के अलावा बाकी सभी खिलाड़ी के पास उतना अनुभव नहीं था. भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, विनय कुमार समेत भारत पांच पेस बोलर्स अपने साथ लेकर गया.
भारत की चैम्पियंस ट्रॉफी 2013 वाली टीम: एमएस धोनी (कप्तान), विराट कोहली, शिखर धवन, मुरली विजय, दिनेश कार्तिक, रोहित शर्मा, सुरेश रैना, आर.अश्विन, रवींद्र जडेजा, अमित मिश्रा, इरफान पठान, ईशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, विनय कुमार
6 जून 2013 से शुरू होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी से कुछ समय पहले कप्तान धोनी ने मीडिया के साथ इंग्लैंड के बर्मिंघम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें उनसे प्लेयर्स के सेलेक्शन से लेकर आईपीएल 2013 में हुई मैच फिक्सिंग पर भी सवाल किए गए. उस समय चेन्नई सुपर किंग्स टीम के मालिक गुरुनाथ मयअप्पन पर मैच फिक्सिंग के सीधे-सीधे आरोप लगे थे. जिसमें उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. उनके साथ बॉलीवुड एक्टर विंदु दारा सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था. कॉन्फ्रेंस शुरू होने से पहले सभी से कहा गया था कि धोनी से चैम्पियंस ट्रॉफी से संबंधित सवाल पूछे जाएं. हालांकि मीडिया ने सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन घुमा फिराकर मैच फिक्सिंग पर सवाल कर ही डाला. मगर धोनी ने उनके सवालों को गेंदबाज की बाउंसर की तरह 'डक' करते गए. सभी को यही लग रहा था कि मैच फिक्सिंग जैसे विवाद के बाद क्या भारतीय टीम अपनी इज्जत बचा पाएगी या नहीं.
नई टीम के साथ आया नया हौसला और जीतने की चाह
टूर्नामेंट की शुरुआत भारत और दक्षिण अफ्रीका के मैच से हुई, जिसमें भारतीय टीम ने एक नई ओपनिंग जोड़ी को दक्षिण अफ्रीका धारदार बोलिंग लाइन-अप के सामने उतारा. रोहित शर्मा इतने बड़े टूर्नामेंट में पहली बार ओपनिंग करने उतरे. और उन्होंने अपने जोड़ीदार शिखर धवन का साथ बखूबी निभाया. दोनों ने पहले विकट के लिए 100 रनों की पार्टनरशिप की और वहीं से इन दोनों प्लेयर्स की किस्मत भी बदली. भारत ने पहला मैच इस ओपनिंग जोड़ी की बदौलत आराम से जीता. जिसमें शिखर धवन का बड़ा योगदान रहा. उन्होंने 114 रनों की शानदार पारी खेली थी.
इसके बाद भारत का सामना वेस्टइंडीज से हुआ जो उस समय अपने खतरनाक बैटिंग लाइन-अप के लिए जानी जाती थी. क्रिस गेल, मार्लन सैमुअल्स, डैरेन ब्रावो, ड्वेन ब्रावो, डैरन सैमी, कीरोन पोलार्ड जैसे ताबड़तोड़ बल्लेबाजों के सामने भारत की कम अनुभव वाली बॉलिंग यूनिट ने धागा खोल दिया. उन्होंने वेस्टइंडीज को सिर्फ 233 रनों पर रोक दिया और भारत ने इस टार्गेट को भी आसानी से चेज कर लिया. अभी तक भारत टूर्नामेंट में अपने ग्रुप में टॉप पर था.
लेकिन भारत का सामना अब पाकिस्तान से होना था. ये वो मैच था जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई थीं. मगर उस पूरे टूर्नामेंट में पाकिस्तान की टीम एक भी मैच जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थी. अपने आखिरी लीग मैच में पाकिस्तान के पास अपनी इज्जत बचाने का मौका जरूर था, लेकिन उसने वो भी गंवा दिया. भारत ने पाकिस्तान को मात्र 165 रनों पर ऑल-आउट करके मैच को 8 विकट से जीत लिया था. अभी तक भारत के लिए सबसे बेहतरीन गेंदबाज और बल्लेबाज के रूप में रवींद्र जडेजा और शिखर धवन उभरकर आ रहे थे. सभी टीमों के लीग मैच अब पूरे हो चुके थे जिसके बाद हम सेमीफाइनल की तरफ बढ़े.
भारत के सामने श्रीलंका जैसी दमदार टीम की चुनौती थी. पहले सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने साउथ अफ्रीका को हरा दिया था. अब फाइनल में अपनी जगह बनाने के लिए भारत को श्रीलंका की चुनौती से पार पाना था. भारत ने श्रीलंका को 181 रनों पर रोक दिया था. जिसमें ईशांत शर्मा और आर.अश्विन जैसे गेंदबाजों का महत्वपूर्ण योगदान रहा था. अभी तक भारत के लिए सबसे सफल बल्लेबाज रहे शिखर धवन ने सेमीफाइनल में भी अपना जलवा दिखाया और भारत को जीत की तरफ आगे बढ़ने में मदद दिलाई. भारत ने उस मैच को भी 8 विकट रहते आसानी से जीत लिया था.
फाइनल में बारिश ने डाला खलल, भारत को मिला बैटिंग का न्योता
जब इस भारतीय टीम का चयन हुआ, तब सभी ने इस बात को मान लिया था कि भारत टूर्नामेंट में ज्यादा आगे नहीं जा पाएगी. लेकिन 23 जून 2013 को जब भारतीय टीम फाइनल पहुंची तब हर कोई दंग रह गया. किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि एक यंग टीम इतने बड़े टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंच पाएगी. खैर, मैच का दिन आता है और फैंस को हाथों निराशा लगती है. बर्मिंघम में खेले जाने वाले फाइनल का आगाज भारी बारिश से हुआ. जिसने मैच में काफी लंबे समय तक खलल डाले रखा. और इसी के चलते मैच 20-20 ओवर का कर दिया गया. ये पहला मौका नहीं था जब भारत के चैम्पियंस ट्रॉफी के सपने के बीच बारिश जैसी आफत खड़ी हुई थी. साल 2002 में भारत और श्रीलंका के बीच चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल बारिश के चलते पूरा नहीं हो सका और ट्रॉफी शेयर की गई थी. भारतीय टीम के फैंस को इस बार भी उसी बात का डर था. लेकिन उस समय वैसा कुछ नहीं हुआ था.
टॉस हुआ और इंग्लैंड ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था. धोनी अभी तक जितने भी आईसीसी फाइनल बतौर कप्तान खेले थे, उसमें से सिर्फ एक बार 2007 में टी20 वर्ल्डकप फाइनल के दौरान टॉस जीते थे. अब भारतीय टीम बैटिंग करने आती है. टूर्नामेंट में भारत के लिए अच्छा करते आए रोहित शर्मा इस बार सस्ते में आउट हो गए थे, लेकिन शिखर अपना 'गब्बर' अंदाज नहीं छोड़ रहे थे. वो एक छोर से स्कोरबोर्ड को चला रहे थे और उनका साथ विराट कोहली निभा रहे थे. दोनों अच्छी बैटिंग कर रहे थे लेकिन एक छोर से जब शिखर का विकट गिरा तब टीम लड़खड़ा गई. दिनेश कार्तिक, सुरेश रैना, धोनी सस्ते में आउट हो गए. लेकिन जडेजा ने विराट का साथ अंत तक निभाया और टीम का टोटल 129 रन पहुंचाया.
इंग्लैंड को मिला आसान लक्ष्य, मगर भारत ने दिखाया अपना दम
इंग्लैंड के लिए 130 रनों का लक्ष्य उतना मुश्किल नहीं था. मॉर्डन डे क्रिकेट में ऐसे स्कोर डिफेंड आसानी से नहीं हो पाते हैं. उस दौरान भी आसान नहीं था और ये बात धोनी बखूबी जानते थे. वो अपनी टीम से कहते, 'ये जरूरी है कि हम सकारात्मक रहें. हम एक अच्छी शुरुआत के लिए जाते हैं. जो बहुत जरूरी है. नतीजे के बारे में मत सोचो और सबसे जरूरी चीज भगवान की तरफ मत देखो क्योंकि वो नहीं आएंगे तुम्हें बचाने. तुम्हें खुद लड़ना होगा. हम एक नंबर 1 टीम हैं और आज हम वैसे ही खेलेंगे. अगर हम हारे भी तब भी उन्हें रन बनाने पड़ेंगे. जो हम उनके लिए आसान नहीं लगने देंगे.'
धोनी की बातों का असर भारतीय टीम पर हुआ. गेंदबाजों ने टीम को अच्छी शुरुआत दी. मैच में भारतीय स्पिनर्स ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने इंग्लैंड के दो प्रमुख बैटर्स इयान बेल और जोनाथन ट्रॉट का विकट अपने कप्तान धोनी की सूझ-बूझ से झटका. एक समय 50 रनों के अंदर इंग्लैंड के 4 विकट गिर चुके थे. लेकिन उनकी उम्मीद अभी नहीं टूटी थी. रवि बोपारा और इयॉन मॉर्गन टीम का स्कोर आगे तेज रफ्तार से बढ़ाते गए. एक समय ऐसा आया जब इंग्लैंड लक्ष्य के पास पहुंच गया था, लेकिन तभी धोनी ने अपना मास्टर स्ट्रोक खेला और गेंद ईशांत शर्मा को थमाई.
ईशांत उस समय तक मैच में कुछ खास नहीं कर पाए थे. और यही मौका था उनके पास अपने आप को मैच का हीरो बनाने का जो उन्होंने किया भी. ईशांत ने दो बॉलों पर दो अहम विकट झटके और भारत की मैच में वापसी कराई. इसके बाद भारत ने मैच पर अपनी पकड़ तेज कर ली थी. इंग्लैंड को आखिरी ओवर में 14 रनों की जरूरत थी और भारत को सिर्फ 2 विकट चाहिए थे. धोनी ने गेंद अश्विन के हाथों थमाई और उन्होंने भी अपने कप्तान को निराश नहीं किया. भारत मात्र 5 रनों से चैम्पियंस ट्रॉफी जीती. और धोनी अपनी तीसरी और आखिरी आईसीसी ट्रॉफी बतौर कप्तान जीते.
भारत की ओर से रवींद्र जडेजा को प्लेयर ऑफ द मैच (33* (25) & 2/24) और शिखर धवन को प्लेयर ऑफ द सीरीज (363 रन) का अवॉर्ड मिला. उस टूर्नामेंट के बाद से भारत की टीम में कई बदलाव भी हुए. भारत को एक महान सलामी जोड़ी रोहित शर्मा और शिखर धवन मिले, जिन्होंने आगे जाकर करीब 10 सालों तक भारत के लिए एक साथ वनडे क्रिकेट में लगातार ओपन किया. विराट कोहली, रवींद्र जडेजा, अश्विन, भुवनेश्वर कुमार जैसे प्लेयर्स जिन्होंने भारत के लिए कई सारी मैच विनिंग परफॉरमेंस की. और अब भारत के लिए 2025 चैम्पियंस ट्रॉफी में भी इनमें से अधिकतर प्लेयर्स खेलने वाले हैं. ऐसे में हर भारतीय फैन को ये उम्मीद होगी कि भारत इस बार चैम्पियंस ट्रॉफी में रोहित शर्मा की कप्तानी में बेहतरीन प्रदर्शन करे और टूर्नामेंट जीतकर आए.
चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय स्क्वॉड: रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल (उप-कप्तान), विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल (विकेटकीपर), ऋषभ पंत (विकेटकीपर), हार्दिक पंड्या, रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव, वरुण चक्रवर्ती, हर्षित राणा, मोहम्मद शमी, अर्शदीप सिंह, वॉशिंगटन सुंदर.
नॉन-ट्रैवलिंग सब्स्टीट्यूट: यशस्वी जायसवाल, मोहम्मद सिराज और शिवम दुबे
चैम्पियंस ट्रॉफी के ग्रुप
ग्रुप ए - पाकिस्तान, भारत, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश
ग्रुप बी - दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, इंग्लैंड
चैम्पियंस ट्रॉफी का फुल शेड्यूल...
19 फरवरी- पाकिस्तान बनाम न्यूजीलैंड, कराची
20 फरवरी- बांग्लादेश बनाम भारत, दुबई
21 फरवरी- अफगानिस्तान बनाम साउथ अफ्रीका, कराची
22 फरवरी- ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड, लाहौर
23 फरवरी- पाकिस्तान बनाम भारत, दुबई
24 फरवरी- बांग्लादेश बनाम न्यूजीलैंड, रावलपिंडी
25 फरवरी- ऑस्ट्रेलिया बनाम साउथ अफ्रीका, रावलपिंडी
26 फरवरी- अफगानिस्तान बनाम इंग्लैंड, लाहौर
27 फरवरी- पाकिस्तान बनाम बांग्लादेश, रावलपिंडी
28 फरवरी- अफगानिस्तान बनाम ऑस्ट्रेलिया, लाहौर
1 मार्च- साउथ अफ्रीका बनाम इंग्लैंड, कराची
2 मार्च- न्यूजीलैंड बनाम भारत, दुबई
4 मार्च- सेमीफाइनल-1, दुबई
5 मार्च- सेमीफाइनल-2, लाहौर
9 मार्च- फाइनल, लाहौर (भारत के फाइनल में पहुंचने पर दुबई में खेला जाएगा)
10 मार्च- रिजर्व डे
स्टोरी इनपुट: पर्व जैन