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जब विरोधी खिलाड़ी ने गावस्कर को 'चुपके' से डांटा- शतक नहीं बनाना क्या?

21 साल के सुनील गावस्कर की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्वर्णिम शुरुआत के पीछे एक ऐसे खिलाड़ी का योगदान रहा, जो विरोधी टीम का था.

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सुनील गावस्कर और रोहन कन्हाई (Getty)
सुनील गावस्कर और रोहन कन्हाई (Getty)

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  • 1971 में गावस्कर की डेब्यू टेस्ट सीरीज
  • रोहन कन्हाई ने बढ़ाया था उनका हौसला

1971 में वेस्टइंडीज जैसी टीम को उसके घर में भारत ने न सिर्फ पहली बार मात दी, बल्कि कैरेबियाई धरती पर पहली बार सीरीज पर कब्जा भी जमाया. इसी सीरीज में सुनील गावस्कर ने पदार्पण कर कीर्तिमान रच दिया था. उन्होंने अपनी पहले ही सीरीज में रनों की बरसात कर दी और उनका यह रिकॉर्ड आज भी बरकरार है.

21 साल के सुनील गावस्कर की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्वर्णिम शुरुआत के पीछे एक ऐसे खिलाड़ी का बड़ा योगदान रहा, जो विरोधी टीम का था. हाल ही में गावस्कर ने एक शो (22 Yarns with Gaurav Kapur) के दौरान खुलासा किया कि उनकी पहली सीरीज के दौरान वेस्टइंडीज के एक खिलाड़ी ने उनका 'चुपके' से हौसला बढ़ाया था.

वो कोई और नहीं- रोहन कन्हाई थे, जिनके नाम पर गावस्कर ने अपने बेटे का नाम रोहन रखा. 1976 में पैदा हुए रोहन गावस्कर 11 वनडे में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

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गावस्कर ने माना कि वह रोहन कन्हाई की बल्लेबाजी के बड़े प्रशंसक तो थे ही, उनके प्रति सम्मान की बड़ी वजह उनकी उदारता था. विरोधी टीम के होते हुए भी... कोई परवाह नहीं की और मैदान पर मौका पाते ही उनका हौसला बढ़ाया.

70 साल के गावस्कर ने उस खास पल को याद करते हुए कहा, 'मैंने जब अपने डेब्यू सीरीज में खराब शॉट खेला, तब अगले ओवर में स्लिप पर जाने के लिए मेरे सामने से गुजरते हुए उन्होंने चुपके से डांट लगाई. (कान में फुसफुसाते हुए कहा) बल्लेबाजी पर ध्यान लगाओ...100 नहीं चाहिए क्या, क्या हो गया तुम्हें?

गावस्कर ने कहा, 'सोचो अप 70 रन पर खेल रहे हो...ऐसे में मेरी गलती उनसे देखी नहीं गई. विरोधी टीम के होने के बावजूद वह मेरा हौसला नहीं तोड़ना चाहते थे, वह तो मेरा शतक देखना चाहते थे.. यह अविश्वसनीय था. मैं जितने लोगों से मिला था, वह सबसे अच्छे थे. तभी तो मुझे अपने बेटे का नाम 'रोहन' रखने के लिए ज्यादा कुछ सोचना नहीं पड़ा.'

गुयाना के रहने वाले रोहन भोलालाल कन्हाई वेस्टइंडीज की कप्तानी करने वाले भारतीय मूल के पहले खिलाड़ी थे. वह सनी रामाधीन के बाद विंडीज के लिए खेलने वाले भारतीय मूल के दूसरे खिलाड़ी थे. 84 साल के हो चुके कन्हाई ने 79 टेस्ट मैचों में (1957-1974) 47.53 की औसत से 6227 रन बनाए, जिसमें उनके 15 शतक और 28 अर्धशतक शामिल रहे.

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सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ उस सीरीज में 4 टेस्ट मैचों में खेलकर रिकॉर्ड 774 रन (दोहरा शतक सहित 4 शतक और तीन अर्धशतक) बनाए, जो आज भी डेब्यू करते हुए पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड है.

1971 के फरवरी और अप्रैल के दौरान सीरीज में वाडेकर की कप्तानी में भारत ने पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट ( सीरीज का दूसरा टेस्ट 6-10 मार्च, गावस्कर का डेब्यू टेस्ट) 7 विकेट से जीता, जो इंडीज की धरती पर पहली टेस्ट जीत थी. भारत ने गैरी सोबर्स की कप्तानी वाली विंडीज टीम के खिलाफ चार टेस्ट ड्रॉ करा सीरीज की समाप्ति 1-0 से जीत के साथ की. यह वेस्टइंडीज में भारत की पहली सीरीज जीत रही.

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