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SC का फरमान- अनुराग ठाकुर को देना होगा हलफनामा, राज्य नहीं कर सकेंगे BCCI के फंड का इस्तेमाल

कुछ दिनों पहले लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई के रूटीन खर्च के अलावा बाकी के खर्च पर रोक लगाकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड को रास्ते पर लाने की कोशिश की.

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अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के
अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के

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लोढ़ा पैनल की रिपोर्ट पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला 17 अक्टूबर तक टाल दिया है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने बीसीसीआई से 'अंडरटेकिंग'‘मांगी थी. लेकिन बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल ने देने से इनकार कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को अलग से हलफनामा दायर करने को कहा है. ठाकुर को ICC अध्यक्ष शशांक मनोहर से बातचीत को लेकर यह हलफनामा दायर करना है. अनुराग ठाकुर ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने की प्रक्रिया में ICC को दखल देने के लिए कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के बीसीसीआई फंड इस्तेमाल करने पर भी रोक लगा दी है. अगर राज्य को किसी खास स्थिति में फंड इस्तेमाल करना पड़ रहा है तो उससे पहले एक प्रस्ताव पारित करना होगा.

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बीसीसीआई में सुधारों को लेकर चल रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना अंतरिम फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा था की आप बीसीसीआई पदाधिकारियों से शुक्रवार तक निर्देश ले कर आएं और बताएं की लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें आप पूरी तरह मान रहे हैं या नहीं वरना हम समिति के कहे मुताबिक राज्य क्रिकेट संघों को जारी होने फंड पर रोक लगाने का आदेश देंगे.

कोर्ट सुना सकता है सख्त फैसला
सुप्रीम कोर्ट मौजूदा अधिकारियों को हटाकर नई व्यवस्था को लागू करने का आदेश दे सकता है. यदि शुक्रवार सुबह बोर्ड की तरफ से लोढ़ा समिति की सभी सिफारिशों पर अमल का लिखित आश्वासन दिया जाता है, तब जरूर उसे सुप्रीम कोर्ट के कहर से निजात मिल सकती है. ऐसे में ये देखना बेहद दिलचस्प होगा की बीसीसीआई का अगला कदम क्या होगा.

कई दिनों से चल रही है तनातनी
कुछ दिनों पहले लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई के रूटीन खर्च के अलावा बाकी के खर्च पर रोक लगाकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड को रास्ते पर लाने की कोशिश की. लेकिन बीसीसीआई ने इस पर बयानबाजी कर कोर्ट को नाराज किया था. दरअसल लोढ़ा और बीसीसीआई के बीच शुरुआत से ही टकराव रहा है. बीसीसीआई ने पूरी तरीके से न तो लोढ़ा पैनल के सुझावों को माना है न ही इनकी मदद की है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के चलते इन सिफारियों को क्रिकेट बोर्ड पर जबरदस्ती मनवाने जैसी बात सामने आ गई है.

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