सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बुधवार को आईसीसी चीफ और बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाए गए एन श्रीनिवासन ने खुद को बीसीसीआई के कार्यकारी समिति और आईपीएल गवर्निंग बैठकों से अलग कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन को दिए चार ऑप्शन
उनके वकील कपिल सिब्बल ने कहा जब तक इस मामले में जांच चल रही है तब तक श्रीनिवासन बीसीसीआई की कार्यकारी समिति और आईपीएल गवर्निंग बैठकों में हिस्सा नहीं लेंगे.
इससे पहले मंगलवार को आईपीएल-6 में हुई सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन को जमकर लताड़ा और पूछा कि उन्होंने बीसीसीआई की कार्यसमिति में हिस्सा क्यों लिया? न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर और फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ ने श्रीनिवासन की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछा था, 'एक तरफ आप कहते हैं कि कि आप बोर्ड के निर्णय लेने की प्रक्रिया से दूर रहेंगे जबकि दूसरी ओर तमिलनाडु क्रिकेट संघ के माध्यम से आप बीसीसीआई की कार्यसमिति में हिस्सा लेते हैं.'
कोर्ट ने श्रीनिवासन से कहा था, 'आप तीन हफ्ते पहले बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा लेते हैं. आपने कोर्ट से जो कहा है कम से कम उसे तो आपको निभाना चाहिए और खुद को अलग रखना चाहिए.' कोर्ट की यह टिप्पणी बिहार क्रिकेट संघ द्वारा दायर की गई जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान आई.
गौरतलब है कि इसी मामले की सुनवाई के तहत कोर्ट ने श्रीनिवासन को बीसीसीआई से दूर रहने को कहा था. आईपीएल में कथित सट्टेबाजी और उसमें श्रीनिवासन के दामाद व चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम अधिकारी गुरुनाथ मयप्पन के नाम आने के बाद हितों के टकराव को लेकर भी कोर्ट सुनवाई कर रही है.
इसी साल मार्च में कोर्ट ने बीसीसीआई के उपाध्यक्ष शिवलाल यादव को बोर्ड का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावसकर को उस समय जारी आईपीएल टूर्नामेंट से जुड़े कामकाज को संभालने को कहा था.
उस समय श्रीनिवासन ने कोर्ट को बताया था कि उनके खिलाफ जांच जारी रहने तक वह क्रिकेट बोर्ड से दूर रहेंगे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने श्रीनिवासन से यह पूछा था, 'आप बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं, आपके दामाद पर आरोप हैं. ऐसे में सवाल है कि उन्हें सजा कौन देगा. हम चाहते हैं कि बीसीसीआई निष्पक्ष या किसी भी प्रकार की तरफदारी से दूर रहे.'
साथ ही कोर्ट ने पूछा कि क्या यह सही नहीं होगा कि श्रीनिवासन पर अगले 10 साल तक बीसीसीआई के चुनाव लड़ने पर रोक लगा देना चाहिए. इस पर श्रीनिवासन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि अगर कोर्ट चाहे तो एक स्वतंत्र अनुशासन समिति भी बना सकती है जो हितों के टकराव का मामला भी देखेगी.
इस पर कोर्ट ने श्रीनिवासन से कहा था अगर हितों का टकराव सही पाया जाता है तो खेल के भविष्य के लिए इसे इजाजत नहीं दी जा सकती. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर वह बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहते हैं, तो चेन्नई सुपरकिंग्स में उनका निवेश खतरे में पड़ जाएगा.