साल 1992 का क्रिकेट का विश्व कप चल रहा था जिसमें ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को संयुक्त रूप से मेज़बानी मिली हुई थी. उस वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की टीम शुरुआती 5 मैचों में सिर्फ 3 प्वाइंट ला सकी थी. पहले ही मैच में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ रमीज़ राजा ने सेंचुरी मारी लेकिन टीम 220 रनों का स्कोर बचा नहीं सकी. उन्हें इमरान ख़ान की कमी खली जो कंधे की चोट की वजह से खेल नहीं सके.
ज़िम्बाब्वे के साथ अगले मैच में उन्होंने 2 प्वाइंट कमाए लेकिन फिर इंग्लैण्ड के ख़िलाफ़ टीम महज़ 74 रनों पर आउट हो गयी. लेकिन किस्मत का हाल ये था कि बारिश के चलते इस मैच से भी पाकिस्तान 1 प्वाइंट कमा ले गयी. फिर इंडिया ने उन्हें 43 रनों से हराया और साउथ अफ़्रीका ने 20 रनों से. इस मैच तक रमीज़ राजा के कंधे में चोट लग चुकी थी और जावेद मिआंदाद के पेट में सूजन (गैस्ट्राइटिस) हो चुकी थी. अगर पाकिस्तान को आगे जाना था तो उन्हें अपने बचे हुए सभी मैच जीतने थे.
पाकिस्तान का अगला मैच ऑस्ट्रेलिया से होना था. टीम मैदान में आने को तैयार थी. इमरान ख़ान ने खिलाड़ियों को इकट्ठा किया और कहा- 'हमारे पास खोने को कुछ नहीं है. हमें मैदान में जाकर कोने में घिरे टाइगर की तरह लड़ना है.' इमरान टॉस के लिए गए. उनके साथ ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ऐलन बॉर्डर थे. बॉर्डर ने अपने देश की किट पहनी हुई थी. उधर इमरान ख़ान ने अपनी टीम की किट तो पहनी थी लेकिन आधी. उन्होंने किट वाली टीशर्ट की जगह एक सफ़ेद टीशर्ट पहनी थी जिसपर एक टाइगर बना हुआ था. प्रेज़ेंटर ज्योफ़री बॉयकॉट ने टीशर्ट के बारे में पूछा. इमरान का जवाब था- 'मैं यही अभी ऐलन को बता रहा था कि मैं चाहता हूं कि मेरी टीम एक कोने में घिरे टाइगर (Cornered Tiger) की तरह खेले, जब वो अपने सबसे ख़तरनाक रूप में होता है.'
5 मैच में 3 प्वाइंट के बाद ऑस्ट्रेलिया को हराया
ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ आमिर सोहेल ने 76 और अभी भी बीमार चल रहे जावेद मिआंदाद ने 46 रन बनाये. लेकिन उनके तीन बल्लेबाज़ सलीम मलिक, इजाज़ अहमद और वसीम अकरम बगैर एक भी रन बनाए आउट हो गए. पाकिस्तान की टीम 220 रनों के स्कोर पर ऑल-आउट हुई जो बहुत ठीक नहीं लग रहा था. लेकिन फिर आकिब जावेद ने ऑस्ट्रेलिया को शुरुआती झटके दिए और टॉम मूडी और डेविड बून को 31 के स्कोर पर वापस भेज दिया. इसके बाद डीन जोन्स और ज्योफ़ मार्श के बीच एक साझेदारी बननी शुरू हुई. 29वें ओवर में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 100 रन पर पहुंच गया. अगले 3 ओवर में 16 रन और आ गए. ऑस्ट्रेलिया को पौने 6 रन प्रति ओवर की औसत से 105 रन और चाहिए थे. जोन्स और मार्श दोनों ही खूंटा गाड़े हुए दिख रहे थे. मार्क वॉ, कप्तान बॉर्डर, स्टीव वॉ और इयान हीली अभी बाक़ी थे.
मैच फंसा हुआ था लेकिन अपने घर में खेल रही ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी दिख रहा था. और फिर 47 रन पर खेल रहे डीन जोन्स ने मुश्ताक़ अहमद को वाइड लॉन्ग-ऑफ़ के ऊपर से मारने की कोशिश की. लेकिन गेंद पड़कर बाहर निकली और खड़ी हो गई. आकिब जावेद ने आकर कैच पकड़ा और अचानक मैच का कांटा पाकिस्तान की ओर आ झुका. 3 ओवर बाद ही, इमरान ख़ान की गेंद को ज्योफ़्री मार्श कट करने के लिये गए. लेकिन गेंद उनके शरीर से बहुत क़रीब थी और विकेट के पीछे मोईन ख़ान ने कैच पकड़ा. टीम के खाते में एक ही रन आया था कि मुश्ताक़ अहमद की गेंद को स्क्वायर लेग के ऊपर से मारने के चक्कर में कप्तान ऐलन बॉर्डर ने इजाज़ अहमद को सीधा कैच पकड़ा दिया. ऑस्ट्रेलिया की आधी टीम 123 रनों पर वापस जा चुकी थी. इसके बाद अगले 8 ओवरों में ऑस्ट्रेलिया के खाते में 45 रन और जुड़े और पूरी टीम आउट हो गई.
वर्ल्ड-कप से पहले ही शुरू हो गयी थीं मुश्किलें
पाकिस्तान के सामने अभी 2 मैच और थे. लेकिन चुनौतियां कुल 3 थीं- श्रीलंका और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ दो मैच बचे थे, साथ ही नेट-रनरेट या प्वाइंट वगैरह में पीछे न छूट जाने की चुनौती भी थी. अपने बाकी के दो मैच जीतने के बाद भी उन्हें दूसरी टीमों के नतीजों पर निर्भर रहना था. जावेद मिआंदाद अभी भी फिट नहीं थे और उनकी बीमारी या चोट की समस्या यहां आने के बाद शुरू नहीं हुई थी. टूर्नामेंट में आने से पहले ही पाकिस्तान की टीम को झटके लगने शुरू हो गए थे. वक़ार यूनुस जो टीम के सबसे ख़तरनाक गेंदबाज़ थे और ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर टीम के और भी काम आ सकते थे, चोटिल थे. उनकी पीठ में स्ट्रेस फ़्रैक्चर था. इमरान ख़ान के बारे में ये तय था कि वो पहले मैच में गेंदबाज़ी नहीं करने वाले थे.
असल में उन्होंने पूरी टीम से ये बात छिपाई थी कि उनके कंधे में दर्द था और वो भी चोटिल थे. डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें भी वर्ल्ड-कप में नहीं जाना चाहिए. इमरान ने ये बात टीम मैनेजर को बतायी लेकिन इन दोनों ने इसे वहीं दबा दिया. सईद अनवर भी टीम में चोट के चलते मौजूद नहीं थे. ऐसे में टीम को एक सॉलिड बल्लेबाज़ की ज़रूरत थी. जावेद मिआंदाद की फ़ॉर्म इतनी ख़राब चल रही थी कि उन्हें टीम में सेलेक्ट ही नहीं किया जा रहा था. इसके साथ उनकी पीठ भी घायल थी. लेकिन जावेद, चूंकि जावेद मिआंदाद थे, उन्होंने टीम मैनेजर इन्तिखाब आलम से पहले ही बोल रखा था कि वो वर्ल्ड-कप खेलने जाने वाले हैं. हालांकि कप्तान इमरान ख़ान के प्लान में वो कहीं नहीं थे.
पाकिस्तान की टीम को ऑस्ट्रेलिया के लिए निकलना था और एक दिन पहले ही जावेद मिआंदाद का नाम टीम में शामिल किया गया. इतना ही नहीं, जावेद मिआंदाद को वाइस-कैप्टन भी बना दिया गया. और जब ये हुआ, इमरान ख़ान (कप्तान) और सलीम मलिक (जिनसे कहा गया था कि टीम के वाइस-कैप्टन वो होंगे) को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गयी. यहां तक कि जब प्लेन में टीम बैठी, उस मौके तक इमरान ख़ान को ये नहीं मालूम था कि टीम में जावेद मिआंदाद को शामिल कर लिया गया था और वो वर्ल्ड कप के लिये ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड जा रहे थे.
फिर राउंड-रॉबिन से मिली सेमीफ़ाइनल में एंट्री
पाकिस्तान ने श्रीलंका को आराम से हराया. हालांकि उनके 212 रनों के जवाब में पाकिस्तान की शुरुआत थोड़ी गड़बड़ दिखी. आमिर सोहेल शुरुआती ओवरों में ही चलते बने और इमरान ख़ान ने पहले दो रन बनाने में घंटे भर से कुछ कम का समय लगा दिया. उन्होंने 69 गेंदों में 22 रन बनाये. लेकिन फिर जावेद मिआंदाद ने स्थिति संभाली और सलीम मलिक ने अच्छा साथ दिया. दोनों ने 21 ओवरों में 101 रन बनाए. मिआंदाद के आउट होने पर टीम को 28 रन चाहिए थे लेकिन इतने में भी 2 विकेट गिर गए. इसमें इंज़माम-उल-हक़ का रन-आउट भी शामिल था जो आगे चलकर उनके नाम के साथ चिपक गया.
लेकिन अब भी न्यूज़ीलैंड से पार पाना था और ये टीम अब तक इस वर्ल्ड कप में किसी से भी नहीं हारी थी. लकिन यहां पाकिस्तान ने पहली पारी में 166 रनों पर उनका बिस्तर समेट दिया. मुश्ताक़ अहमद ने 10 ओवर में सिर्फ़ 18 रन दिए और 2 विकेट लिए. वसीम अकरम ने 4 विकेट निकाले. एक मौके पर न्यूज़ीलैंड की टीम 106 रन पर 8 विकेट खो चुकी थी लेकिन फिर डैनी मॉरिसन और गेविन लार्सन के बीच 46 रनों की पार्टनरशिप हुई. फिर लार्सन और विली वॉटसन ने मिलकर 16 रन जोड़े जिससे स्कोर 166 तक पहुंचा. जवाब में रमीज़ राजा ने टूर्नामेंट की दूसरी सेंचुरी मारी और इसकी बदौलत पाकिस्तान को कोई ख़ास दिक्कत नहीं हुई.
पाकिस्तान के 9 प्वाइंट हो गए और सभी मैच भी खत्म हो चुके थे. लेकिन अभी भी सेमीफ़ाइनल में उनकी जगह पक्की नहीं हुई थी. वेस्ट-इंडीज़ का मैच होना था ऑस्ट्रेलिया से. और 8 प्वाइंट लेकर बैठी वेस्टइंडीज़ अगर जीत जाती तो अगले राउंड में पहुंच जाती. ऑस्ट्रेलिया के 6 प्वाइंट थे और पाकिस्तान ने न्यूज़ीलैंड को हराकर अपने 9 प्वाइंट करके ये पक्का कर दिया था कि ऑस्ट्रेलिया किसी भी कीमत पर सेमीफ़ाइनल में नहीं जा सकती थी. यानी कि पाकिस्तान उसी टीम की जीत के भरोसे बैठी थी जिसे उसने अभी-अभी टूर्नामेंट से बाहर किया था. ऑस्ट्रेलिया ने 57 रनों से मैच जीता और वेस्टइंडीज़ को 8 प्वाइंट पर ही रोके रखा. पाकिस्तान का सेमीफ़ाइनल का टिकट पक्का हो गया.
सेमी-फ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड से मुक़ाबला और इंज़ी की एंट्री
ऑस्ट्रेलिया के बाहर होने के बाद न्यूज़ीलैंड टूर्नामेंट की सबसे ठोस टीम बन चुकी थी. मैच भी उनके घर में था- ईडेन पार्क, ऑकलैंड. और उनकी शुरुआत भी सॉलिड रही. कप्तान मार्टिन क्रो 91 रनों पर खेल रहे थे. लेकिन इसी दौरान उन्हें क्रैम्प्स से भी जूझना पड़ रहा था और इस स्कोर पर अपने रनर के चलते क्रो रन-आउट हो गए. केन रदरफ़ोर्ड ने हाफ़-सेंचुरी मारी. पाकिस्तान के कप्तान इमरान ख़ान को 10 ओवरों में 59 रन पड़े जो उस समय के हिसाब से बहुत ही महंगा स्पेल था. न्यूज़ीलैंड ने 50 ओवर में 262 रन बनाए.
जवाब में पाकिस्तान की हालत पतली होती दिख रही थी. 140 रनों पर 4 विकेट जा चुके थे. पाकिस्तान को 89 गेंदों में 122 रन चाहिए थे. टीम को जीतने के लिये 8.23 रन प्रति ओवर की गति से रन बनाने थे. छठे नंबर पर 22 साल का नया लड़का बल्लेबाज़ी करने के लिये आया- इंज़माम-उल-हक़. एक शाम पहले इंज़माम की तबीयत ख़राब थी. वो उल्टियां कर रहे थे और कुछ भी खा-पी नहीं रहे थे. वो रात को कप्तान इमरान ख़ान के पास पहुंचे और उनसे कहा कि उनकी हालत ठीक नहीं थी, वो अगले दिन का मैच नहीं खेल पाएंगे. इंज़माम को लग रहा था कि उन्हें टीम में नहीं बल्कि अस्पताल में होना चाहिए. इमरान ख़ान मौके की नज़ाकत समझ रहे थे. उन्होंने इंज़माम से कहा, 'इस वक़्त तुम्हें अपनी तबीयत के बारे में नहीं सोचना चाहिए. तुम अभी ये सोचना शुरू करो कि कल कैसे खेलोगे.' मैच के दौरान अपनी फ़ील्डिंग में इंज़माम कई बार मैदान से बाहर गए और उल्टियां कीं. जब पाकिस्तान के शुरुआती बल्लेबाज़ बैटिंग कर रहे थे, इंज़माम पैड पहने हुए एक मेज़ पर लेटे हुए थे और एक डॉक्टर उनकी देखरेख कर रहा था.
चौथा विकेट गिरते ही मुसीबत भरी स्थिति में इंज़माम मैदान में उतरे. उनके शुरुआती शॉट्स देखकर दूसरे एंड पर खड़े जावेद मिआंदाद ने इंज़माम को समझाया. उनसे कहा कि वो परेशान न हों और आराम से खेलें. मिआंदाद ने इंज़माम की उस स्थिति के बारे में बताया- 'वो बहुत नर्वस था और उसको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसने अभी-अभी कोई भूत देख लिया हो.' लेकिन फिर धीरे-धीरे इंज़माम का कॉन्फ़िडेंस वापस आया और उन्होंने बढ़िया शॉट्स खेलने शुरू किए. इंज़माम ने 37 गेंदों में 60 रन बनाए. मिआंदाद और इंज़माम ने मिलकर 10 ओवर में 87 रन बना डाले.
इंज़माम जब रन-आउट होकर वापस पहुंचे, तब भी पाकिस्तान को जीतने के लिए 5 ओवर में 36 रन चाहिए थे. ऐसे समय में मोईन खान का बल्ला चला और उन्होंने 49वें ओवर की आख़िरी 2 गेंदों पर क्रिस हैरिस को एक चौका और फिर छक्का मारकर मैच निकाल लिया. अगर इमरान ख़ान के 10 ओवर में 59 रन महंगे मालूम हो रहे थे तो न्यूज़ीलैंड के गेंदबाज़ों की व्यथा देखने वाली थी. क्रिस हैरिस को इंज़माम ने अपना निशाना बनाया. हैरिस ने 10 ओवर में 72 रन दिए. दीपक पटेल ने अपने पहले 8 ओवर में 28 रन ही दिए. लेकिन इंज़माम की बैटिंग के दौरान जब वो आए तो आख़िरी 2 ओवरों में उन्होंने 22 रन दे डाले.
फ़ाइनल में दर्द से जूझते मिआंदाद की पारी और अकरम के 2 विकेट
25 मार्च 1992 को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर 87,182 दर्शकों के सामने पाकिस्तान और इंग्लैण्ड के बीच विश्व कप का फ़ाइनल मैच खेला गया. और यहां 2 पुराने सिपाहियों ने झंडा उठाया. आमिर सोहेल और रमीज़ राजा जल्दी आउट हो गए. क्रीज़ पर थे जावेद मिआंदाद और इमरान ख़ान. इन दोनों के आते ही एकदिवसीय मैच टेस्ट मैच में तब्दील हो गया. एक मौके पर ऐसा मालूम दे रहा था कि ये सबसे बोरिंग वर्ल्ड-कप फ़ाइनल मैच होने वाला था. इन दोनों ने मिलकर 10 ओवर में सिर्फ़ 4 रन बनाये. 87 हज़ार से ज़्यादा दर्शकों की भीड़ झुंझला रही थी. असल में मिआंदाद और इमरान ख़ान ने ये तय कर लिया था कि किसी भी हाल में टीम को पूरे 50 ओवर बैटिंग करनी थी. उन्हें विश्वास था कि अगर ऐसा हो गया तो डेथ ओवरों में या बीच में जहां भी मौका मिलेगा, रन आते रहेंगे. पाकिस्तान की हालत ये थी कि 25 ओवर के बाद बोर्ड पर सिर्फ़ 70 रन लिखे थे.
इस मौके पर इमरान ख़ान ने जावेद मिआंदाद को बताया कि अब वो तेज़ी से रन बनाने की कोशिश करने वाले थे. यहां से रनों में तेज़ी आई. मिआंदाद अभी भी पेट दर्द से जूझ रहे थे. वो जब पाकिस्तान से निकले थे, उन्हें सेलेक्टर्स को ये विश्वास दिलाना पड़ा था कि उनकी पीठ एकदम ठीक थी. लेकिन ऑस्ट्रेलिया आकर उनके पेट में भी सूजन हो गयी थी और इस मुसीबत ने उनका पिंड नहीं छोड़ा था. फ़ाइनल मैच में पूरे दिन वो दर्द से परेशान रहे. जब वह आउट हुए, 58 रन बना चुके थे. उन्होंने इमरान ख़ान के साथ मिलकर 31 ओवरों में 139 रन बनाये. इसके बाद इंज़माम-उल-हक़ आए और उन्होंने वहीं से खेलना शुरू किया जहां न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ छोड़ा था. इंज़माम ने 35 गेंदों में 42 रन बनाए. इमरान ख़ान 72 रनों पर आउट हुए और अंत के ओवरों में इंज़माम का अच्छा साथ देते हुए वसीम अकरम 18 गेंदों पर 33 रन बना गए. एक वक़्त पर दर्शकों को जम्हाई लेने पर मजबूर करने वाली पकिस्तान की टीम 50 ओवरों में 249 रन टांग चुकी थी.
जवाब में इंग्लैण्ड की टीम बैटिंग करने के लिए आई और क्रिकेट की दुनिया को एक और शानदार कहानी मिली. 1984 में इंग्लैण्ड की टीम पाकिस्तान में थी. यहां टेस्ट मैच खेलने के बाद दोनों टीमें वन-डे खेल रही थीं. फैसलाबाद में होने वाले वन-डे से ठीक पहले इयान बॉथम इंग्लैण्ड वापस लौट आये. उन्हें अपने कंधे की सर्जरी करवानी थी. छुट्टी के दिनों में इयान बॉथम किसी रेडियो कार्यक्रम में थे और वहां उन्होंने ऑन एयर कहा - 'पाकिस्तान ऐसी जगह है जहां आपको अपनी सास को छुट्टी मनाने भेज देना चाहिये. भले ही पूरा ख़र्च आपको उठाना पड़े.' पाकिस्तान में उनके इस कथन की ख़ूब आलोचना हुई और इयान बॉथम ने अपनी इस बात के लिए माफ़ी भी मांगी. अब, जब इंग्लैण्ड की टीम 1992 के विश्व कप फ़ाइनल में बैटिंग कर रही थी और उसके सामने 250 रनों का टारगेट था, इयान बॉथम पहले ओवर की आख़िरी गेंद पर बगैर एक भी रन बनाए विकेट के पीछे मोईन ख़ान को कैच दे बैठे. जब वो वापस पवेलियन जा रहे थे, आमिर सोहेल बॉथम के बगल से निकले और उनसे पूछा 'अब कौन आएगा बैटिंग करने? तुम्हारी सास?'
आकिब जावेद ने एलेक स्टीवर्ट को निपटाया और फिर मुश्ताक़ अहमद ने ग्रीम हिक और ग्राहम गूच को वापस भेजा. लेकिन यहां से पाकिस्तान के लिए दिक्कत शुरू हुई. नील फ़ेयरब्रदर और ऐलेन लैम्ब के बीच पार्टनरशिप शुरू हुई. दोनों ने 14 ओवर बैटिंग की और स्कोर 141 तक पहुंचा दिया. इमरान ख़ान महंगे साबित हो रहे थे और एक्स्ट्रा गेंदबाज़ पर ज़रूरत से ज़्यादा भार पड़ रहा था. ऐसे में इमरान ने एक दांव और खेला और इस दुनिया ने वसीम अकरम का जादू देखा. इमरान ख़ान अकरम को अटैक पर वापस लेकर आए. 35वें ओवर की दूसरी गेंद हवा में बाहर की ओर तैरती आई. बल्लेबाज़ के मन में सवाल आया- गेंद रिवर्स स्विंग हो रही है? एक ओर बल्लेबाज़ शंका से घिरे हुए थे, गेंदबाज़ को उसका सबसे प्यारा हथियार मिल चुका था. ओवर की पांचवीं गेंद अंदर की ओर आई और फिर टप्पा खाने के बाद जब उठी तो हल्की बाहर निकली, बल्ले का किनारा छोड़ा और विकेट में टकरा गई. ऐलेन लैम्ब 41 गेंदों में 31 रन बनाकर जा चुके थे.
शंका अब यकीन में बदल चुकी थी. गेंद रिवर्स स्विंग हो रही थी. नये बल्लेबाज़ क्रिस लुइस ऐसी ही गेंद के इंतज़ार में थे. लेकिन उन्हें एक अलग ही गेंद खेलने को मिली. इस बार गेंद की चमकीली साइड दूसरी दिशा में थी. गेंद चौथे या पांचवें स्टम्प की लाइन में फेंकी गयी थी लेकिन क्रिस तक आते-आते वो मिडल स्टम्प की लाइन में आ गयी. इससे पहले वो कुछ समझ पाते, वो बोल्ड हो चुके थे. मिआंदाद कहते हैं कि दो गेंदों में वसीम अकरम ने पाकिस्तान को वर्ल्ड कप जितवा दिया था.
फ़ेयरब्रदर ने कुछ देर कोशिश की लेकिन वो पाकिस्तान की जीत को रोक नहीं सके. उन्होंने 70 गेंदों में 62 रन बनाए लेकिन दूसरी ओर से विकेट्स गिरते रहे और अंत में पाकिस्तान 22 रनों से मैच जीता गया. इलिंगवर्थ के रूप में आख़िरी विकेट गिरते ही पाकिस्तानी खिलाड़ी मेलबर्न की ज़मीन चूम रहे थे. यह वर्ल्ड कप रमज़ान के दिनों में हुआ था. ऐसे में पाकिस्तान क्रिकेट की ईद हो गयी थी.